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न्याय के देवता शनि देव के अशुभ प्रभाव अथवा कुदृष्टि आदि से बचने के महत्वपूर्ण उपाय

Shani Dev Ke Ashubh Prabhav and Kudrashti Se Bachne Ke Upay

भारतीय संस्कृति एवं मान्यताओं में ज्योतिष शास्त्र को  बहुत ज्यादा महत्व दिया जाता है। माना जाता है मनुष्य जीवन में ग्रहों के चाल चलन का बहुत असर पड़ता है।

ज्योतिष शास्त्र में कुल मिलाकर नौ ग्रह होते हैं। सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु , शुक्र , शनि, राहू और केतू, इन सबका हम सभी पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। आज हम आपको शनि ग्रह के बारे में बताते हैं, क्योंकि ग्रहों में इसकी स्थिति आपके जीवन में काफी उथल-पुथल कर सकती है।

शनि देव के बारे में माना जाता है कि वो सूर्य के पुत्र हैं और उन्हें सत्य और न्याय बेहद प्रिय हैं। देवों में इन्हें न्यायधीश के रूप देखा जाता है, इन्हें कर्म फल देने वाले या न्याय के देवता कहा गया है। ग्रहों में इनकी अशुभ दृष्टि को क्रूर माना जाता है। इनके प्रति डर की भावना होना अक्सर मनुष्य में देखी गयी है। जबकि शनि इतने बुरे भी नहीं हैं, वो बस प्रकृति का संतुलन बनाए रखने के लिए मनुष्यों को उनके कर्मों का आईना दिखाते हैं।

कहते हैं न, कर्म करते वक्त इंसान हर दिशा में देखता है मगर ऊपर नहीं देखता। शायद इसलिए उसे याद नहीं रहता कि दुनिया से बच कर निकलने वाले ऊपर वाले की अदालत से रिहा नहीं हो सकते।

शनि शायद इसी न्याय प्रक्रिया के प्रधान हैं और मनुष्य के कर्म अनुसार वो अपना प्रभाव उन पर दिखाते हैं। शनि की मुख्य राशियाँ कुंभ और मकर मानी जाती हैं। शनि ग्रह का शुभ चाल-चलन आपके जीवन मे सुख-समृद्धि और वैभव से परिपूर्ण रखेगा। कहते हैं अगर आपकी कुंडली में आपका शनि कमजोर या अशुभ होता है, तो आपके एक बाद एक करके अधिकतर काम बिगड़ने लगेंगे, पैसों और कर्ज की समस्या होने लगेगी, रिश्ते में अनबन होने लगती है, आदि। इसीलिए अपने जीवन के बिगड़े हालातों से निपटने के लिए आपको कुछ शनि के उपाय करने होंगे। आइये जानते हैं ऐसे ही कुछ उपाय।

सरसों का तेल

शनि की उपासना में सरसों का तेल बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। कहते हैं सरसों का दान करना शानिवार को शुभ माना जाता है। आपने अक्सर बड़े बुजुर्गों को कहते सुना होगा कि शनिवार को तेल नही खरीदना चाहिए। हाँ दान करने में कोई मनाही नहीं है।

ज्योतिष के अनुसार शनि दशा सँवारने हेतु लोहे के बर्तन में सरसों तेल और उसमें एक सिक्का डालकर दान करना काफी शुभ कहा जाता है।

पीपल वृक्ष पर दीपक

पीपल के वृक्ष के नीचे शनिवार सुबह पूजन के पश्चात सरसों के तेल का दीपक जलाना आपको शनि देव की कृपा दिलाने में कारगर साबित हो सकता है।

हनुमान जी का पूजन

धर्मशास्त्र के अनुसार यह मान्यता है कि हनुमान उपासक को शनि देव किसी वचन बध्य होने के कारण ज्यादा क्षति नहीं पहुंचाते हैं। इसी लिए हनुमानजी की आराधना भी शनि ग्रह की बिगड़ी हुई दशा की वजह से हो रहे प्रकोप से बचाए रखती हैं। इसलिए लिए आपको नित्य हनुमान चालीसा भी पढ़नी चाहिए।

काली उड़द एवं काले तिल का दान

शनि ग्रह के अशुभ प्रभाव से निजात पाने के लिए काला तिल और उरद की दाल (काली) दान करना या काले जानवर (गाय या कुत्ते) को पूजा के बाद शनिवार को खिलानी चाहिए। ऐसा करने से धन या कार्य संबंधित परेशानी से राहत मिलती है।

लोहे का छल्ला

ज्योतिष शास्त्र में शनिवार को लोहे का छल्ला धारण करना काफी अच्छा माना जाता है। कहते हैं छल्ले को तेल (सरसों) में भीगा कर फिर पानी में साफ कर सीधे हाथ की बीच वाली उंगली में पहनने से शनि देव की कृपा दृष्टि मनुष्य पर बनी रहती हैं।

माता-पिता का सम्मान

माता पिता का कोई विशेष दिन नही, बल्कि माता पिता से ही दिन होता है। उस कथा से तो आप वाकिफ ही होंगे जिसमें गणपति जी को कार्तिकेय के साथ स्पर्धा करनी पड़ी जिसमें कहा गया कि उनमें से जो सबसे पहले पूरे संसार का चक्कर लगाने में सक्षम रहा, वो विजयी घोषित किया जायेगा। फिर दोनों अपने अपने प्रिय वाहन के साथ निकल पड़े।

गणपति बप्पा का मूषक (चूहा) और कार्तिकेय जी का मयूर। कार्तिकेय जी जाने के बाद कुछ देर सोचकर गणेश जी ने भगवान शिव और माता गौरी को साथ बिठाकर उन दोनों की तीन बार हाथ जोड़कर परिक्रमा करने लगे। उन्हें ऐसा करते हुए देख कर भगवान शिव और माता गौरी दोनों हैरान थे, तभी नारद जी ने गणेश जी से इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि माता-पिता का आर्शीवाद और उनकी उपस्थिति ही पूरी दुनिया के बराबर है।

कहते हैं न, माँ-बाप की दुआएं हर बला को टाल देती हैं। माता पिता की सेवा और सम्मान करने से शनि देव विशेष प्रसन्न होते हैं।

"चला था भगवान ढूंढने
मैं मंदिर, मस्जिद गुरुद्वारे में
पूरी दुनिया घूम कर
जब घर लौटा तो पाया
भगवान तो पास ही था मेरे
माँ-बाप की खिलखिलाती मूरत में"

माँ-बाप की पूजा एवं सेवा शनि देव की उपासना का हिस्सा माना जा सकता है।

छायादान

कहते हैं कि छायादान के साथ-साथ आप शनि देव को अपना प्राश्चित समर्पित करते हैं। अगर आप अपने किये का माफीनामा चाहते हैं तो सरसों के तेल को लोहे के बर्तन डाल कर उसमें अपना प्रतिबिंब देखने के बाद मंदिर में चढ़ा दें।

वो चीजें जो सूर्यपुत्र शनि को नहीं पसंद

  • निर्धन, दिव्यांगों, मजबूर लोगों को बेवजह दबाना, उनके साथ बुरा सलूक करना
  • धोखाधड़ी करना, झूठ का सहारा लेकर काम बनाने की आदत
  • परिस्त्री के साथ संबंध बनाना, माता-पिता अथवा परिवार के बड़े-बुजुर्गों का अपमान करना ।
  • जूए में बाजी लगाना, शराब एवं नशे से जुड़ी वस्तुओं का प्रयोग करना।
  • औलाद को कोख में नुकसान पहुंचाना।
  • ईश्वर में यकीन ना करना, जानवरों पर अत्याचार करना।

स्त्री का सम्मान करें

कहते हैं शनि देव को किसी औरत का अपमान बिल्कुल बर्दाश्त नहीं है, खासकर माता का। इसलिए अपने जीवन में हर स्त्री का सम्मान करें, पत्नी के होते हुए किसी परनारी पर दृष्टि न रखे ।

शुभ शनि के प्रभाव

जिन व्यक्तियों की जन्म कुंडली में शनि मजबूत होते हैं, वो अक्सर न्याय के रास्ते पर चलना पसंद करते हैं, ज़मीन-जायदाद एवं कारोबार में उनका कोई नुकसान जल्दी नहीं होता, और अदालत के चक्कर से ये बचे रहते हैं। हर क्षेत्र में इनके सम्मान की बढ़ोतरी होती है।