ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक ग्रहों का राशि परिवर्तन जातकों के जीवन पर विशेष प्रभाव डालता है। किंतु आज रात्रि में होने वाला ग्रह का परिवर्तन अत्यंत ही महत्वकारी है। आज रात से खरमास लगने जा रहा है। आज अर्थात 15 दिसंबर की तिथि ज्योतिष शास्त्र व हिंदू पंचांग के मुताबिक मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि है। आज के दिन सूर्य अपनी राशि परिवर्तित कर धनु राशि में गोचर करेंगे जिस कारण से आज के दिन से सूर्य की धनु संक्रांति का आरंभ हो जाएगा। साथ ही सूर्य की धनु संक्रांति के साथ-साथ आज से खरमास भी आरंभ होने जा रहा है।
खरमास का आरंभ होना हिंदू धर्म में अत्यंत ही महत्वकारी परिवर्तन होता है जिसमें कई बदलाव धार्मिक नियमानुसार आरंभ हो जाते हैं। हिंदू धर्म के मुताबिक जब खरमास आरंभ हो जाता है, तब सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों जैसे कि विवाह उत्सव, मुंडन या यज्ञोपवित संस्कार आदि जैसे क्रियाकलापों पर पाबंदी लगा दी जाती है। वहीं जब धनु संक्रांति का समापन हो जाता है और मकर संक्रांति का आरंभ हो जाता है, तब यह मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं। धनु संक्रांति के समापन का अर्थ यह है कि जब सूर्य धनु राशि में गोचर करना समाप्त कर मकर राशि में प्रवेश करेगा, तो मकर संक्रांति का आरंभ हो जाएगा जिसके बाद से मांगलिक कार्य भी आरंभ होने लगेंगे। आज के दिन इसी संक्रांति के कारण खरमास का आरंभ हो रहा है।
तो आइए जानते हैं खरमास के आरंभ का समय, महत्व आदि क्या है? साथ ही खरमास के दौरान किन-किन मांगलिक कार्यों पर विशेष रूप से पाबंदी लगाई जाती है, अर्थात किन-किन कार्यों को ऐसे काल अवधि में वर्जित माना जाता है।
धनु संक्रांति और खरमास का प्रारंभ
आज की रात्रि अर्थात 15 दिसंबर 2020 की रात्रि 9 बजकर 31 मिनट से सूर्य देव अपनी राशि परिवर्तित कर वृश्चिक राशि से धनु राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं। तत्पश्चात धनु संक्रांति का आरंभ हो जाएगा।
धनु संक्रांति प्रायः 1 माह तक रहता है जिसके बाद सूर्य जैसे ही अपनी राशि परिवर्तित करता है, वैसे ही पुनः अगली संक्रांति अर्थात धनु के बाद मकर संक्रांति का आरंभ हो जाता है। आज के ही दिन धनु संक्रांति के साथ-साथ खरमास का भी आरंभ हो रहा है। खरमास आज यानी 15 दिसंबर से आरंभ होकर 13 जनवरी तक प्रभावी रहेगा। इस दौरान सूर्य धनु राशि में गोचर कर रहा होगा। तत्पश्चात सूर्य भी अपनी राशि परिवर्तित कर मकर राशि में प्रवेश कर जाएगा।
हिंदू धर्म ग्रंथों व पंचांग के मुताबिक वर्ष 2020 में खरमास की काल अवधि 15 दिसंबर से 13 जनवरी के मध्य की है।
धनु संक्रांति व प्रभाव
धनु संक्रांति के दौरान नकारात्मक विचार प्रभावी रहते हैं, अतः इस दौरान ही लोगों को स्वयं को अत्यधिक सकारात्मक बनाने का प्रयत्न करना चाहिए। हिंदू धर्म में धनु संक्रांति को अधिक शुभ घटनाओं में नहीं माना जाता है। हालांकि धनु संक्रांति का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के मुताबिक धनु संक्रांति हेतु पुण्य काल मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 16 मिनट से आरंभ होकर संध्याकालीन 5 बजकर 26 मिनट तक बना रहेगा, अर्थात कुल 5 घंटे 10 मिनट की काल अवधि तक धनु संक्रांति हेतु अत्यंत ही शुभ मुहूर्त रहने वाला है।
तत्पश्चात पुनः धनु संक्रांति हेतु महा पुण्य काल मुहूर्त का भी आरंभ हो जाएगा जो कि दोपहर 3 बजकर 45 मिनट से आरंभ होकर शाम 5 बजकर 26 मिनट तक बना रहेगा। महा पुण्य काल की अवधि कुल 1 घंटे 40 मिनट की है। इस काल अवधि के दौरान ज्योतिष शास्त्र में कुछ विशेष क्रियाकलाप घटनाएं की जाती है। इस काल अवधि में सद विचारों का मंथन करना, सद चिंतन करना व सद कर्म करना अत्यंत ही लाभकारी माना जाता है।
धनु संक्रांति पर लोगों को भगवान सूर्य की विशेष पूजा आराधना करनी चाहिए। इसके अतिरिक्त अपने ग्रह गोचरों के सुख-शांति, समृद्धि आदि हेतु उपाय अपनाने के लिये यह समय बेहतर माना जाता है। वहीं धनु संक्रांति का क्षण आज की रात्रि 9 बजकर 31 मिनट पर है।
खरमास में ये कार्य है वर्जित
चूँकि आज के दिन से खरमास आरंभ हो रहा है, तो इस दौरान कई शुभ कर्मों को वर्जित माना जाएगा। खरमास की काल अवधि के दौरान लोगों को घर में विवाह, सगाई, लग्न, मंडप, गृह प्रवेश, उपनयन, संस्कार आदि जैसे मांगलिक व शुभ कार्यों को नहीं करवाना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक जब सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश कर रहे होते हैं, तो यह बहुत बेहतर परिणाम नहीं देते।
धनु राशि में सूर्य के गोचर की जो काल अवधि होती है, वह सभी जातकों के लिए बहुत बेहतर नहीं मानी जाती। धनु संक्रांति के दौरान अप्रिय घटनाओं का होना, कार्यों में भी विचित्र परिणाम आना आदि जैसी घटनाएं सामान्य हो जाती है। इस कारण से खरमास के दौरान मांगलिक कार्यों को वर्जित किया गया है। हिंदू धर्म में धनु संक्रांति को ही खरमास के नाम से भी जाना जाता है, अर्थात दोनों का मूल अर्थ एक ही है।
माना जाता है कि जब सूर्य दक्षिणायन होने लगते हैं तो यह प्रायः जातकों के लिए कष्टकारी परिणाम ही दर्शाते हैं। ऐसे में जिन भी जातकों के ऊपर सूर्य दोष व जिन जातकों का सूर्य ग्रह कमजोर है, अथवा अन्य ग्रहों के हालात को भी बेहतर बनाने के लिए खरमास के काल अवधि के दौरान जातकों को भगवान सूर्य की विशेष पूजा आराधना करनी चाहिए। इससे आपको अवश्य ही बेहतरीन लाभ की प्राप्ति होगी।