व्यक्ति के जीवन में हो रही सभी घटनाएं, दिन-प्रतिदिन उतार-चढ़ाव की स्थिति, परिवेश, वातावरण, परिवार, समाज का माहौल, विचार, स्वास्थ्य, खुशियां, दुख आदि, सभी कुछ किसी न किसी प्रकार से ज्योतिष शास्त्र से संबंधित है। जीवन में घटित सभी घटनाओं के लिए ज्योतिष का कोई न कोई भाग अवश्य ही जिम्मेदार होता है, भले ही यह प्रत्यक्ष हो अथवा अप्रत्यक्ष।
ज्योतिष शास्त्र में राशि एवं ग्रहों को जातकों के लिए विशेष माना जाता है। कुंडली के अध्ययन हेतु गहन व गूढ़ ज्ञान की आवश्यकता पड़ती है, जबकि राशि व ग्रहों की स्थिति के अनुसार किसी भी व्यक्ति के हाव-भाव अथवा दशा-दिशा में होने वाले परिवर्तन को आसानी से परखा जा सकता है एवं उसके हेतु सामान्य उपाय अपनाए जा सकते हैं।
वर्तमान परिस्थिति में चारों तरफ कोहराम मचा है। लोग पीड़ित होते जा रहे हैं, लोगों पर कोरोना संक्रमण का कहर इस कदर छाया हुआ है जो कि उभरने का नाम नहीं ले रहा। दुनिया त्रस्त हैं, हर व्यक्ति तबाह है, देश-दुनिया की स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। ऐसे में हमें अपने स्वास्थ्य का वास्तविक महत्व समझ आता है। यह परिस्थितियां हमें भय, डर और नकारात्मकता के साथ-साथ अपने स्वास्थ्य एवं जीवन की अहमियत भी बतलाती है।
आइए आज हम आपको आपके सेहत से जुड़े कुछ खास तथ्यों को ज्योतिष शास्त्र से संबंधित कर आपके समक्ष दर्शाते हैं। आज हम आपको आपके ग्रह दोष के अनुसार होने वाली बीमारियों व स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को बताएंगे।
दरअसल ज्योतिष शास्त्र का यह मानना है कि यदि कोई भी ग्रह पीड़ित होता है अथवा परेशानियों में घिरा होता है, तो यह हमारे जीवन में भी विभिन्न प्रकार की परेशानियां, रोग, बीमारी आदि को उत्पन्न करने का कार्य करता है जिसकी नकारात्मकता का सीधा असर हमारे जीवन पर दृश्य मान होता है। तो चलिए आज हम यह जानते हैं कि कौन सा ग्रह किस प्रकार के रोग के लिए जिम्मेदार होता है, साथ ही उस प्रकार के रोग से मुक्ति हेतु अपने ग्रह की शांति हेतु क्या कुछ विशेष उपाय सामान्य रूप से अपनाए जा सकते हैं। फिर देर किस बात की, आइए जानते हैं ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव से होने वाले रोग एवं उनसे बचाव के उपाय। यहाँ हमने सभी नौं ग्रहों के उपाय दिए हैं।
सूर्य ग्रह
आपकी कुंडली में मौजूद सूर्य ग्रह को आपकी तेज, यश, प्रतिभा आदि के साथ-साथ आंख व मस्तिष्क के स्वास्थ्य से संबंधित भी माना जाता है। अतः जब भी आपका सूर्य ग्रह दुष्प्रभावों से घिरा हुआ रहेगा, तो आपके ऊपर इसका नकारात्मक प्रभाव बढ़ जाएगा जिसका जीवन के अन्य क्षेत्रों के साथ-साथ स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ेगा। सूर्य के आपकी सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने के कारण आपको नेत्र संबंधित समस्याएं उत्पन्न होंगी, सिर दर्द अथवा सिर से संबंधित अन्य प्रकार की भिन्न-भिन्न समस्याएं आएंगी। सूर्य ग्रहण को सकारात्मक, प्रभावी एवं अपने नेत्र व मस्तिष्क के स्वस्थ रखने हेतु स्वयं के बर्ताव में सादगी लाएं, किसी से झूठ ना बोलें और किसी अन्य को आहत ना करें।
चंद्र ग्रह
चंद्रमा शीतलता का प्रतीक है। विज्ञान, अध्यात्म एवं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह शरीर के त्रिदोष वात, पित्त एवं कफ में से कफ से संबंधित है। इसके अतिरिक्त यह पेट से संबंधित समस्याओं के लिए भी जिम्मेदार होता है। जब भी चंद्रमा आपके लिए नकारात्मक प्रभाव दर्शाने लगता है, तो आपको सर्दी, जुकाम, बुखार, कफ, खांसी आदि जैसी समस्याएं होती है। इसके अतिरिक्त पेट से भी संबंधित भिन्न-भिन्न प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती है। आपके पेट की नाभि को शरीर का मूल केंद्र माना जाता है। अतः अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखने हेतु आप अपने चंद्रमा को स्वयं के अनुकूल बनाएं। इसके लिए आप अपने आसपास की साफ सफाई स्वच्छता को बनायें रखें, साथ ही अपने खानपान आदि में भी सावधानी बरतें। चंद्रमा से संबंधित उपाय अपनाएं। कुंडली को ज्योतिष से दिखावा कर उचित परामर्श लें।
मंगल ग्रह
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगल ग्रह का मूल रंग लाल होता है और हमारे शरीर में संचालित खून का रंग भी लाल होता है। अतएव मंगल हमारे शरीर के सबसे अहम तत्व अर्थात रक्त एवं रक्त संचरण को नियंत्रित करने का कार्य करता है। जब भी कभी किसी जातक का मंगल अशुभ प्रभाव दर्शाने लगता है, तो उस के जीवन में भिन्न-भिन्न प्रकार की समस्याओं के आने के साथ-साथ रक्त से संबंधित रोग भी उत्पन्न होने लग जाते हैं। शरीर में रक्त की कमी, रक्त से संबंधित समस्या आदि उत्पन्न होने लगती है। अपने मंगल को स्वयं के लिए शुभ प्रभावी बनाने हेतु हर रविवार को गेहूं के आटे का गुड़ डालकर चूरमा बना ले तथा इसे रविवार को स्वयं भी खाएं एवं स्वजनों को भी खिलाएं। इससे मंगल प्रसन्न होंगे।
बुध ग्रह
वैसे तो बुध को बुद्धि का कारक माना जाता है, यह आपके जीवन पर भिन्न-भिन्न प्रकार से अलग-अलग तरह के प्रभाव दर्शाता है। किंतु अगर स्वास्थ्य के मामले में बात करें तो आपकी दांतो व नसों से संबंधित होता है, साथ ही यह आपके शरीर की 72000 नस नाड़ियों को भी नियंत्रित करता है। बुध के बुरा होते ही आपको दांतों में भिन्न-भिन्न प्रकार की समस्याएं होने लगती हैं, उन दातों का दर्द अत्यंत ही असहनीय कष्ट का ही माना जाता है। अतएव बुध की शुभता प्राप्त करने हेतु हर बुधवार के दिन गाय को हरी घास खिलाएं।
गुरु ग्रह
गुरु यानी कि बृहस्पति को ना सिर्फ सभी ग्रहों का गुरु ग्रह, अपितु ब्रह्मांड में मौजूदा सभी तत्व, देवी-देवताओं, पिंड, नक्षत्र आदि सभी का गुरु माना जाता है। बृहस्पति सीधे आपके प्राण अर्थात श्वसन से संबंधित हैं। बृहस्पति के बुरे प्रभाव आपको श्वसन से संबंधित समस्याओं से ग्रसित कर देता है। अतः अपने कुंडली में गुरु को सदैव प्रसन्न रखें। इसके लिए तोते को चने की दाल खिलाए। इस उपाय को काफी कारगर माना जाता है क्योंकि तोता गुरु ग्रह का प्रतीक होता है।
शुक्र ग्रह
शुक्र ग्रह सुख-संपत्ति, वैभव, ऐश्वर्य आदि का प्रतीक है। इसे भौतिक सुख सुविधाओं का मूल कारक माना जाता है। शुक्र ग्रह के अशुभ हो जाने पर यह भिन्न-भिन्न प्रकार की अनेकानेक बीमारियों को आपके लिए उत्पन्न करता है। यह व्यक्ति के रंग रूप आदि पर भी अपने दुष्प्रभाव दर्शाने लगता है और शुक्र को मजबूत रखना अत्यंत ही आवश्यक है। इसके लिए आप गाय को प्रतिदिन रोटी खिलाएं। विशेष तौर पर शुक्रवार के दिन अवश्य ही खिलाएं। गेहूं को ज्योतिष शास्त्र में सूर्य कहा जाता है और शुक्र को गाय। अतः यह आपके लिए शुभकारी रहेगा।
शनि ग्रह
जिस राशि के जातकों का शनि ग्रह अशुभ होता है, उनके जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याएं आने लगती है। शनि की ढैया अथवा साढ़ेसाती व्यक्ति को चारों तरफ से अनेकानेक प्रकार के संकटों से घेर लेती हैं जिसमें कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं भी होती है। शनि को मुख्य रूप से पेट से संबंधित समस्याओं के लिए कारक माना जाता है। इसके लिए आप उपाय के तौर पर मेहनत मजदूरी करने वाले एवं ईमानदारी से खून-पसीना बहा कर रोजी रोटी कमाने वाले लोगों को तन, मन, धन से मदद पहुंचाए। उनको उनके कार्य हेतु उचित सम्मान प्रदान करें, अधिक से अधिक हर क्षेत्र में उनकी मदद करें। इससे शनिदेव प्रसन्न होंगे। शनि देव न्याय के देवता है, आपके शुभ कर्मों के कारण आपके जीवन के सभी रोग व्याधियों को वह हर लेंगे।
राहु ग्रह
किसी भी जातक की कुंडली में राहु ग्रह प्रायः अशुभ का ही संकेत माना जाता है। जिन जातकों की कुंडली में राहु ग्रह दूषित हो जाता है, अथवा दुष्परिणाम प्रदान करने योग्य बन जाता है, उन जातक को अक्सर बुखार की समस्या रहती है। राहु के दुष्प्रभाव से पीड़ित जातकों को कुष्ठ रोगियों की सेवा करनी चाहिए। इसके अतिरिक्त आप निर्धन एवं गरीब लोगों का सम्मान करें, उनकी सहायता करें, सफाई कर्मचारी आदि को भोजन देकर उन्हें प्रसन्न करें। इससे आपको राहु की कृपा प्राप्त होगी एवं आपके राहु से संबंधित स्वास्थ्य दोष दूर होंगे।
केतु ग्रह
अगर आपकी कुंडली में केतु की स्थिति ठीक नहीं है, अर्थात केतु आपके लिए नकारात्मक प्रभाव दर्शा रहा हो तो समझ लीजिए कि यह आपके स्वास्थ्य पर भी अपना बुरा प्रभाव अवश्य ही डालेगा। केतु के दुष्प्रभावी होने पर हड्डियों से संबंधित विभिन्न प्रकार की समस्याएं होने लगती हैं। इसके बुरे प्रभाव से बचने के लिए आप बड़े-बुजुर्गों की सेवा करें, वृद्ध आश्रम में जाकर बुजुर्गों का सेवा सत्कार कर उन्हें प्रसन्न करें। कुत्तों को मीठी रोटी खिलाएं। इससे आपका केतु शुभकारी परिणाम दर्शाएगा।