घोड़ा एक पालतू जानवर है जिसे लोग अपने कारोबार, वाहन आदि अलग-अलग रूपों में प्रयोग करते हैं। घुड़सवार एवं कुछ खानदानी लोग इसे अपने शौक के लिए भी घर में रखते हैं। घोड़ा अलग-अलग रंग, प्रकार एवं नस्ल का पाया जाता है। इसके पैर के सबसे निचले भाग को खुर कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि जब घोड़ा अधिक चलता है, तो उसके पैरों का खूर घिसने लगता है जो घोड़े के लिए पीड़ादायक होता है एवं उसके पैरों की सुंदरता को भी घटाता है।
इस कारण से घोड़े की पैरों की सुरक्षा हेतु लोहे की अर्धचंद्राकार नाल को उसके पैरों के नीचे से लगा दी जाती है जिसे घोड़े की नाल कहा जाता है। यह घोड़े की नाल जब काले घोड़े के पांव में पहनाई जाती है तो इसे काले घोड़े की नाल कहते हैं।
काले घोड़े की नाल का ज्योतिष शास्त्र में बहुत महत्व है। इसे कई ज्योतिषिय व वास्तु उपायों के लिए प्रयोग किया जाता है। यह अत्यंत ही गुणकारी एवं शुभ फलदाई होता है जो कई प्रकार की बुरी बलाओं से बचाने का कार्य करता है।
ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि किस प्रकार हम घोड़े के नाल का प्रयोग कर अपने जीवन से नकारात्मकता को दूर कर सकारात्मकता का वरन कर सकते हैं।
आइये जानते हैं घोड़े के नाल के ऐसे कई प्रयोग, जो आपके जीवन को धन-धान्य एवं खुशियों से भर देंगे-
घोड़े की नाल का प्रयोग कई रूपों में किया जाता है। कुछ लोग इसे मुख्य द्वार पर बुरी नजर से बचाव हेतु लगाते हैं, तो कुछ लोग इस की अंगूठी बनवाकर अपने हाथों में पहनते हैं। कई लोग इससे शनि ग्रह के दोषों के उपाय करते हैं, तो कई लोग अपने छोटे बच्चे की नजर उतारने हेतु इसका प्रयोग करते हैं।
आइए जानते हैं चमत्कारी प्रयोग जिससे घोड़े की नाल से सुगमता पूर्वक संपन्न किया जाता है-
घर के मुख्य द्वार पर
घोड़े के नाल को अपने घर के मुख्य द्वार पर लगाने हेतु विज्ञेताओं के बीच मतभेद जारी है। कुछ लोग इसे जादू, तंत्र-मंत्र आदि से जुड़ा मानते हैं, तो कुछ लोग इसे ज्योतिष शास्त्र से परे मानते हैं, तो वहीं कुछ लोगों की इसमें अत्यधिक आस्था है। ऐसे में आपको ज्योतिषीय परामर्श के बाद ही घोड़े के नाल को अपने घर के द्वार पर लगाने हेतु विचार करना चाहिए।
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हालांकि कुछ श्रेष्ठ ज्योतिष विज्ञेताओं के अनुसार घोड़े की नाल को घर के मुख्य द्वार पर लगाकर बुरी नजर से बचाव किया जा सकता है। घर के मुख्य द्वार पर घोड़े की नाल को लगाने से बाहर से आ रहे सभी प्रकार के संकट वहीं से उल्टे पांव लौट जाते हैं।
घर के मुख्य द्वार पर घोड़े की नाल को दो प्रकार से लगाया जाता है, पहला 'यू पैटर्न' और दूसरा 'रिवर्स यू पेटर्न'।
यू पैटर्न लगाने के तरीके एवं लाभ
जब घोड़े की नाल को यू पैटर्न में लगाया जाता है तो उसके दोनों सिरे ऊपर की ओर होते हैं, यानी कि सामने से आपको घर पर यू आकर की नाल दिखाई देगी।
माना जाता है कि यू पैटर्न में घोड़े की नाल लगाने से घर में सौभाग्य का आगमन होता है एवं ये कारोबारियों के लिए अत्यंत ही लाभकारी होता है। यह उनके मुनाफे का कारक बनता है जिस कारण इसे कई कारोबारी अपने कार्यस्थल, दुकान आदि के आगे भी लगाते हैं।
रिवर्स पेटर्न लगाने के तरीके एवं लाभ
इसमें घोड़े की नाल का दोनों सिरा नीचे की ओर होता है, यानी की उलटे यू के आकार की आकृति। यह आपके घर के सामने से उल्टी यू के आकार जैसी दिखेगी।
रिवर्स यू पैटर्न के संबंध में यह कहा जाता है कि इस तरीके से घोड़े की नाल को अपने घर के मुख्य द्वार पर लगाने से आपके घर में नकारात्मकता का प्रवेश नहीं होता। जो भी कोई बुरी प्रवृतियां पूरे दोष अथवा बददुआएं हैं, वह आपके घर के मुख्य द्वार से ही वापस लौट जाती हैं जिससे आपके एवं आपके स्वजनों के जीवन में कभी कोई संकट उत्पन्न नहीं होता है।
घोड़े की नाल को मुख्य द्वार पर लगाने हेतु यह माना जाता है कि इसे शुक्रवार को ही खरीद कर अपने घर में ले आना चाहिए। साथ ही रात भर इसे सरसों के तेल में भिगोकर रखना चाहिए। तत्पश्चात सुबह शनिदेव के मंदिर में पूजा आराधना के पश्चात इसे अपने घर के मुख्य द्वार पर लगाना चाहिए।
हालांकि घोड़े के नाल को मुख्य द्वार पर लगाने हेतु ज्योतिषीय परामर्श से स्वयं एवं घर के अनुकूल विधि का प्रयोग ही सर्वोत्तम है। इसके अतिरिक्त आपको घर के द्वार पर घोड़े की नाल लगाने के लिए कुछ अन्य खास बातों का भी ख्याल रखना चाहिए। जैसे कि आप इस बात पर ध्यान दें कि कहीं आपके घर का मुख्य द्वार पूर्व या दक्षिण पूर्व की दिशा में तो नहीं है, अगर ऐसा है तो घोड़े की नाल को अपने घर के मुख्य द्वार पर नहीं लगाएं।
अगर आप अपने घर के मुख्य द्वार पर रिवर्स यू के आकार में घोड़े की नाल लगा रहे हैं, तो साथ में आईना भी वहां लगा दे। इससे दोहरा लाभ होता है।
घोड़े की नाल खरीदते वक्त ध्यान रहे कि यह नाल काले घोड़े के पांव में लगकर घिसा हुआ होना चाहिए। दो-तीन घंटे के लिए घोड़े के पांव में पहना कर बेचा जाने वाला नाल उपयुक्त नहीं माना जाता है।
कारोबार हेतु
अगर आप के कारोबार में दिन-प्रतिदिन नुकसान होता जा रहा है, बेवजह आपके कारोबारी की परिस्थितियां बिगड़ती जा रही है, आमदनी सिमित एवं संकुचित हो चुकी है, तो इन सभी समस्याओं के निदान हेतु आप ज्योतिषीय परामर्श से घोड़े की नाल को अपनी दुकान के बाहर शनिवार के दिन लगाए अथवा घोड़े की नाल से बनी अंगूठी का धारण करें।
नजर से बचाव हेतु
अगर आपके घर में किसी छोटे बच्चे को नजर लग गई हो, तो घोड़े की नाल को शुक्रवार की रात्रि सरसों के तेल में भिगोकर रखें। शनिवार के दिन प्रातः उसे शनि मंदिर में ले जाकर वहां पूजा आराधना करें एवं अपने शिशु के मंगल कामना हेतु प्रार्थना करें। तत्पश्चात सरसों के तेल का एक दीपक घोड़े की नाल के समक्ष जलाकर रखें। संध्या काल में उसे घोड़े की नाल को किसी को दान दे दे अथवा किसी सुनसान जगह पर जमीन के नीचे दबा दें। इससे नजर दोष से मुक्ति मिलेगी।
आप अपने घर पर पड़ने वाले बुरी नजर से बचाव हेतु रिवर्स यू आकार में घोड़े की नाल को लगा सकते हैं जिसकी पूरी विधि ऊपर बताई गई है। अगर आपको प्रायः नजर लग जाया करती है, तो इससे बचाव हेतु आप ज्योतिषीय परामर्श से घोड़े की नाल से बनी अंगूठी को शुक्रवार की रात सरसों के तेल में भिगोकर रखने के पश्चात शनिवार को धारण कर सकते हैं। इससे नजर दोष संबंधित प्रभाव एवं शनि की भी बुरी दृष्टि का समापन होता है।
शनि के दुष्प्रभाव से मुक्ति हेतु
शनि की साढ़ेसाती अथवा शनि की ढैया का प्रकोप जिन जातकों पर हावी रहता है, उन जातकों को घोड़े के नाल से बनी अंगूठी को अवश्य ही पहननी चाहिए।
काले घोड़े के नाल से बनी अंगूठी को बनाने हेतु दो प्रकार के लोहे का प्रयोग किया जाता है, पहला काले घोड़े द्वारा पहने गए नाल में प्रयुक्त लोहा, दूसरा किसी पुरानी काट के नाव की कील का लोहा। माना जाता है कि इन दोनों लोहे के संयुक्त स्वरूप से शनि के सभी दोषों से मुक्ति मिलती है एवं जीवन में सुख शांति बरकरार रहती है।
घोड़े की नाल जिन जातकों के घर के मुख्य द्वार पर लगी होती है, उनके ऊपर भी शनि कृपा दृष्टि सदैव बनी रहती है। जादू टोने एवं बुरे साये से सम्बन्धी दोषों से भी इससे मुक्ति मिलती है। ऐसी मान्यता है कि जिस जातक के ऊपर शनि अपने दुष्प्रभाव को लेकर अति प्रभावी होते है, उन जातकों को अपने सोने में प्रयोग किये जाने वाली पलंग में काले घोड़े की नाल से बनी 4 कील लगवा लेनी चाहिए। इससे शनि के दुष्प्रभाव आपके जीवन में परिलक्षित नहीं होते।
यदि आप शनि की ढैया एवं साढ़ेसाती के प्रकोप से पीड़ित हैं, तो इसके निवारण हेतु भगवान शनि के मंत्रों से अभिमंत्रित एवं पूजित छल्ले को अपनी मध्यमा उंगली में शनिवार के दिन धारण करें। इससे शनि के प्रकोप से मुक्ति मिलती है।