नित्य करें हनुमान चालीसा का पाठ, होगा जीवन की सभी बाधाओं का नाश

Benefits of Daily Recitation of Shri Hanuman Chalisa

शास्त्रों में हनुमान जी को संकट मोचन कहां जाता है। संकट मोचन शब्द का अर्थ होता है कि जो संकटों का मोचन करें, अर्थात जो संकटों को हर ले। हनुमान जी अत्यंत ही बलशाली वानर थे जिन्हें उनके भक्ति भावना व सेवा भाव के कारण भगवान की उपाधि दी जाती है। भक्त हनुमान भगवान श्री राम के अनन्य भक्तों में से सर्वोत्तम माने जाते हैं।

ऐसा माना जाता है कि यदि कोई भी व्यक्ति भगवान श्रीराम से अपनी मुराद मांगना चाहता है, तो उसे सर्वप्रथम हनुमान जी को प्रसन्न करना होता है।

हनुमान जी ऐसे देव है जिन्हें भगवान स्वयं ही अपने भक्तों की रक्षा हेतु सर्वश्रेष्ठ मानते हैं। ऐसा माना जाता है कि त्रेता काल में जब भगवान श्री राम ने रावण का वध कर दिया एवं पृथ्वी लोक पर उनकी लीलाओं का समापन हो गया, तत्पश्चात वे अपने लोक में वापस जाने से पूर्व हनुमान जी को पृथ्वी लोक पर छोड़ कर गए और हनुमान जी को भगवान श्रीराम ने यह आदेश दिया कि वह सभी राम भक्तों की जीवन पर्यंत रक्षा करते रहें एवं श्री राम जी के भक्तों पर आने वाले संकटों का वह संकट मोचन बन कर हरण कर ले।

श्री राम चंद्र ने हनुमान जी को अत्यंत ही वीर पराक्रमी व अपने सभी भक्तों में से सर्वश्रेष्ठ माना है। श्री राम एवं माता सीता स्वयं अपने भक्त हनुमान के गुणों का बखान करते हैं। रामायण व अन्य धर्म ग्रंथों में भी हनुमान जी के गुणों का काफी बखान किया गया है, साथ ही श्री हनुमान चालीसा को हर संकटों से बचाव का एकमात्र उपयुक्त साधन बताया गया है।

ऐसा माना जाता है कि हनुमान चालीसा करने वाले जातकों के ऊपर कभी भी किसी भी प्रकार का कोई संकट नहीं  मंडराता है। हनुमान जी सदैव ऐसे भक्तों की रक्षा हेतु तत्पर रहते हैं। जो भी जातक हनुमान चालीसा की चौपाइयों का नित्य प्रतिदिन पाठ करता है, बजरंग बलि जी के प्रति श्रद्धा भावना दर्शाता है, उन जातकों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है एवं जीवन के सभी कष्टों का निवारण होता है।

श्री हनुमान चालीसा की चौपाइयों के संबंध में यह वर्णित है कि जिन भी जातकों के ऊपर अकारण भय का साया मंडराता रहता है, उन जातकों के द्वारा हनुमान चालीसा के पाठ करने से उनके मन की सभी भय समाप्त हो जाते हैं, साथ ही जातकों के अंदर हनुमान चालीसा के पाठ से आत्म शक्ति जागृत होती हैं। जो भी जातक नित्य प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं, उनके मन में कभी भी नकारात्मक विचार उत्पन्न नहीं होते, साथ ही ऐसे जातकों के ऊपर बुरी शक्तियों, काले जादू टोने-टोटके आदि का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

हनुमान चालीसा के पाठ हेतु जातकों को प्रतिदिन प्रात काल उठकर स्नान आदि की क्रिया को पूर्ण कर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। तत्पश्चात हनुमान जी के समक्ष सरसों के तेल का दीपक जला कर उनकी पूजा आराधना कर हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।

हनुमान चालीसा के पाठ की पूर्ति के पश्चात जातकों को हनुमान जी के चरणों का स्पर्श कर उनका नमन वंदन करना चाहिए, साथ ही मन को एकाग्रचित्त कर जातकों को रुद्राक्ष की माला से हनुमान जी के मंत्रों का जप अथवा अपनी क्षमता, स्वेच्छा व सामर्थ्य के अनुरूप हनुमान चालीसा की चौपाइयों का भी 108 बार जप कर सकते हैं।

जिन भी जातकों के ऊपर शनि की ढैया, साढ़ेसाती अथवा शनि की वक्र दृष्टि का प्रभाव दुष्प्रभावी होता है। उन जातकों के लिए हनुमान जी की आराधना अत्यंत ही श्रेष्ठ वह उपयोगी मानी जाती है। ऐसे जातकों की जीवन से शनि के प्रकोप का दुष्प्रभाव हनुमान चालीसा के पाठ से धीरे-धीरे कम हो जाता है। इसके संबंध में ऐसी मान्यता है कि एक बार जब रावण शनिदेव से कुपित होकर उसे बंदी बनाकर अपने कारावास में रख लेता है, तब कुछ वर्षों के पश्चात हनुमान जी जब माता सीता के पास अपनी प्रभु श्री राम के संदेशवाहक के रूप में जाते हैं और लंका दहन करते हैं।

उस दौरान हनुमान जी रावण के कारावास से शनिदेव को मुक्त करवाते हैं जिससे शनिदेव प्रसन्न होकर हनुमान जी से कहते हैं कि आज के बाद जो भी जातक हनुमान जी की आराधना करेगा, वह शनिदेव अर्थात मेरा भी भक्त कहलाएगा। ऐसे जातकों के ऊपर शनि के प्रकोप का प्रभाव अधिक दुष्प्रभावी नहीं रहेगा एवं समस्याओं का भी समाधान होगा।

तब से ही शनिदेव को प्रसन्न करने हेतु भी हनुमान जी की पूजा आराधना को महत्व दिया जाता है। अतः यदि आप शनि के दुष्प्रभाव से ग्रसित हैं तो आप शनि के प्रकोप से मुक्त होने के लिए हनुमान चालीसा का नित्य प्रतिदिन पाठ करें, साथ ही हनुमान जी की पूजा आराधना भी करें। इससे आपके जीवन की सभी समस्याओं का समाधान निकलेगा एवं आप हर प्रकार के संकटों से मुक्त हो जाएंगे।