बृहस्पतिवार का दिन ना सिर्फ धर्म, बल्कि ज्योतिष शास्त्र में भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह सभी ग्रहों के गुरु बृहस्पति से जुड़ा देन है। अतएव यह आपकी कुंडली में में विराजमान बृहस्पति की स्थिति परिवेश हेतु भी खास है।
इसके अतिरिक्त बृहस्पतिवार को भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा आराधना की जाती है। भगवान श्री हरि विष्णु जी सृष्टि के पालन पोषण कर्ता हैं जो सृष्टि पर आपके जीवन क्रम में अहम हिस्सेदारी रखते हैं। अतः आज के इस विशिष्ट दिन में भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा आराधना कर उन्हें प्रसन्न करें ताकि सदा सर्वदा उनकी कृपा दृष्टि आप पर बनी रहे।
बृहस्पतिवार का दिन भगवान विष्णु की पूजा आराधना हेतु सबसे अधिक उपयुक्त माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। यह माना जाता है कि जहां भगवान श्री हरि विष्णु का वास होता है, वहीं देवी लक्ष्मी भी निवास करती है। अतः भगवान श्री हरि विष्णु के साथ-साथ उनकी आराधना अनिवार्य रूप से करें। आज के दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ साथ व्रत धारण करने का भी विधान है।
आइए हम जानते हैं इस दिन किस प्रकार जातक व्रत धारण कर पूजा आराधना कर सकते हैं-
बृहस्पतिवार के दिन व्रत का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में अनेकानेक प्रकार की आ रही बाधाएं दूर हो जाती हैं, विवाह में आ रही समस्याओं का निवारण होता है, घर पर पड़ रहे दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है, भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं, और साथ ही घर में कभी धन-धान्य की कमी नहीं रहती है।
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आइए जानते हैं इस दिन व्रत के साथ पूजा-आराधना करने की विधि विधान-
पूजनकर्म
कहते हैं जीवन में गुरु मंत्र प्रदान करता है। गुरु एवं मंत्र के बिना जीवन अधूरा है, अतः गुरुवार के दिन ग्रहों के आदि गुरु की आराधना हेतु मंत्र का जीवन में शिरोधार्य अवश्य करें। गुरुवार हेतु अभियुक्त अनेकानेक मंत्रों में से किसी एक मंत्र का अपने जीवन में अवश्य ही धारण करें।
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इस मंत्र का आप कम से कम 108 बार गुरुवार के दिन अवश्य ही जप करें। इससे आपके गुरु ग्रह शांत एवं संतुलित रहेंगे जिससे आपके जीवन में बृहस्पति का सकारात्मक प्रभाव बना रहेगा।
ॐ बृं बृहस्पतये नम:।
ॐ क्लीं बृहस्पतये नम:।
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:।
ॐ ऐं श्रीं बृहस्पतये नम:।
ॐ गुं गुरवे नम:।
गुरु का ध्यान मंत्र
आप हर दिन इस मंत्र का कम से कम 3 बार उच्चारण अवश्य करें। कोशिश करें कि गुरुवार के दिन कम से कम ग्यारह अथवा 21 बार इस मंत्र को अवश्य ही उच्चारित कर लें। यह मंत्र आपके लिए अत्यंत ही शुभ फलदायक है। इसे गुरु का ध्यान मंत्र कहा जाता है। इससे आप अपने गुरु का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर उनकी कृपा का पात्र बन सकते हैं।
रत्नाष्टापद वस्त्र राशिममलं दक्षात्किरनतं करादासीनं,
विपणौकरं निदधतं रत्नदिराशौ परम्।
पीतालेपन पुष्प वस्त्र मखिलालंकारं सम्भूषितम्,
विद्यासागर पारगं सुरगुरुं वन्दे सुवर्णप्रभम्।।
बृहस्पति का मूल मंत्र
आप अपने गुरु ग्रह की शांति हेतु उक्त मंत्र का जप करें। यह बृहस्पति का मूल मंत्र माना जाता है।
।। ॐ बृं बृहस्पतये नम:।।
गुरुवार के दिन भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा आराधना एवं आरती का विशेष महत्व है। इस दिन पूजा की समाप्ति के पश्चात भगवान विष्णु की आरती ॐ जय जगदीश हरे अवश्य करें। इससे आपको विशेष फल की प्राप्ति होती है एवं आपके जीवन में सदा भगवान विष्णु की कृपा दृष्टि बनी रहती है। वैसे तो भगवान विष्णु की अनेकों आरतियां प्रचलित है क्योंकि उनके अनेकानेक अवतार हैं जो सृष्टि पर कल्याण करने हेतु अवतरित हुए हैं, किंतु भगवान श्री हरि विष्णु की आराधना हेतु उक्त आरती को मुख्य रूप से सर्वोत्तम माना गया।
भगवान विष्णु की आरती
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे