गरुण पुराण के उपाय जो दुर्भाग्य को बदलेंगे सौभाग्य में

Garun Puran Upay that will Change your Bad Luck into Good Luck

हिंदू धर्म में वेद पुराणों का विशिष्ट महत्व माना गया है, और यही कारण है कि पुराणों के अनुसार कई नियम सतयुग से लेकर अबतक चलते आ रहे हैं।

हिंदू धर्म के 18 महापुराणों में से एक गरुड़ पुराण कहता है कि मनुष्य को अपना जीवन सकारात्मक रूप से जीने के लिए जीवन शिक्षा का महत्त्व अवश्य समझना चाहिए। महापुराणों में भी लिखा है कि यदि किसी मनुष्य की मृत्यु हो जाती है, तो क्रियाक्रम के साथ साथ अगर गरुड़ पुराण का पठन किया जाता हो तो मृत व्यक्ति की आत्मा को शांति मिलती है।

गरुड़ पुराण मृत्यु और इसके बाद होने वाली स्थितियों का समुचित किया गया है, और इसमें स्वर्ग, नर्क, एवं पितृ / मृत्यु लोक आदि का भी वर्णन किया हुआ है।

मनुष्य इस ज्ञान के माध्यम से धर्मपत पर अग्रसर रहे और अपने वैदिक शास्त्रों के नियमों का पालन करे तो जीवन नीतिपूर्वक सुव्यवस्थित रहता है। यहाँ हम आपको बताएंगे गरुड़ पुराण में दी गई कुछ शिक्षा नीतियों के बारे में।

दुर्भाग्य से सद्भाग्य की ओर जाने के लिए उपाय

मनुष्य वैभव एवं समृद्धि पाने के लिए ना जाने कितने ही उपाय अपनाता है, पर अंत तक जाते-जाते उसे जब कोई रास्ता नहीं मिलता तो परेशान एवं थक हार कर बैठ जाता है। हम कई बार यह सोच लेते हैं कि कहीं ना कहीं हमारी मेहनत या दृढ़ निश्चय में ही कमी रही होगी जो हमें यह सफलता प्राप्त नहीं हुई।

लेकिन कई बार सिर्फ यही दो कारक ऐसे नहीं होते जो हमें आगे बढ़ने से रोकते हैं, बल्कि उसके पीछे एक तीसरा कारक भी होता है जिसको हम भाग्य कहते हैं।

भाग्य भरोसे तो बहुत बड़ी से बड़ी जंग भी जीती जा सकती है। इतना ही नहीं भाग्य की बदौलत ही मनुष्य अपना नाम पूरे विश्व में उज्जवल कर पाता है।

कहते हैं कि जिस व्यक्ति का भाग्य उसके साथ हो, वह कुछ ना जानते-समझते हुए भी बहुत कुछ हासिल कर लेता है। कई बार हमें यह भी देखने को मिलता है कि हमसे कम अनुभवी लोग हमसे भी ज्यादा जल्दी तरक्की कर जाते हैं और हम जस के तस पड़े रह जाते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि हम भाग्य के भरोसे पर खरे नहीं उतर पाते।

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आपके साथ भी ऐसा कुछ होता है तो आपको सजग रहने की आवश्यकता है। हमारे शास्त्र कहते हैं कि जो घर साफ एवं स्वच्छ रहता है, वहाँ लक्ष्मी का वास होता है।

कहते हैं लक्ष्मी जी अपनी समृद्धि एवं सौभाग्य लेकर वहीं जाती हैं जिस चौखट पर कचरा या फिर गंदगी का एक तिनका भी ना बसता हो। स्तिथि चाहे कैसी भी हो, घर में साफ-सफाई और अपना मन में पवित्र भाव अवश्य रखना चाहिए।

बुरी स्थिति को भली स्थिति में कैसे परिवर्तित करें?

यदि आप अपने जीवन में सकारात्मकता को गले लगाना चाहते हैं, स्वयं भी आशावान रहना चाहते हैं, तो हमारे धर्म शास्त्रों में बताई गई बातों का पालन अवश्य करें।

कहते हैं जिनका मन सच्चा एवं पवित्र होता है, संकट कभी उनके गले ही नहीं पड़ता। साथ ही यह भी मान्यता है कि जिनके घर का एक-एक कोना साफ एवं स्वच्छ रहता है, वहाँ की अर्थव्यवस्था में कभी गड़बड़ नहीं होती। अर्थात यदि आप सुख-समृद्धि एवं शांति के साथ जीवन यापन करने का सपना देखते हैं, तो आपको घर में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए, साथ ही परिवार में सकारात्मकता एवं प्रेम भावना बनी रहनी चाहिए क्योंकि जब तक आप ईश्वर के सिद्धांतों का पालन नहीं करेंगे, तब तक आपकी इच्छा का भी मान रखना उनके बस में नहीं है।

ईश्वर सौभाग्य तो सभी को देते हैं, बशर्ते व्यक्ति अपना सौभाग्य सहेज और संजोकर रखने के काबिल हो। कहीं ना कहीं हमारे जीवन के कुछ पहलू ऐसे होते हैं जब हम स्वयं को बेहद निर्बल महसूस करते हैं, और इस घड़ी में ईश्वर के प्रति अपनी श्रद्धा बनाए रखना  तथा उन पर अपना विश्वास कायम रखना, इस जंग की सबसे बड़ी जीत होती है।

घर की स्वच्छता के साथ-साथ खुद का भी ध्यान रखें। सुबह स्नान के पश्चात साफ-सुथरे वस्त्र पहनकर, महालक्ष्मी एवं जिन भी देवी देवताओं को आप मानते हैं, उनका पूजन अवश्य करें।

गरुड़ पुराण में निहित है मोक्ष का मार्ग

सनातन धर्म के 18 महापुराणों में सबसे विशिष्ट माना जाने वाला एक पुराण है - गरुड़ पुराण। हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि गरुड़ पुराण में मृत्यु एवं मृत्यु से संबंधित सभी तथ्यों को विस्तार से बताया गया है। यह भी कहा जाता है कि जिस व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात गरुड़ पुराण का पठन किया जाता है उसे स्वर्ग के द्वार को पार करने में कोई मुश्किल नहीं आती।

गरुड़ पुराण हमारी जीवन विद्या को शास्त्रों की शिक्षा में निहित कर मोक्ष के मार्ग की प्रशस्ति करता है। यह हमें बताता है कि किस प्रकार मृत्यु के पश्चात मनुष्य अपना मार्ग बदलता है और किस प्रकार उसका अनुसरण करता है।

गरुड़ पुराण को ही वैष्णव पुराण कहते हैं। गरुड़ पुराण की कथा में वर्णित है कि जगत के पालनहार एवं संचालन कर्ता भगवान विष्णु ने गुरु गरुड़ को सर्वप्रथम यह कथा सुनाई थी, बाद में गुरु महाराज ने जाकर महर्षि कश्यप को बताया उसके बाद ही महर्षि कश्यप ने गरुड़ पुराण की रचना की।

गरुड़ पुराण में वर्णित 18000 श्लोकों के मध्य 1 ऐसा ही श्लोक स्वच्छता एवं सादगी को लेकर उसके तथ्य एवं महत्व को बताया गया है।