हिंदू धर्म में हनुमान जी की पूजा ब्रम्हचर्य की ऊर्जा प्राप्त करने के लिए की जाती है। मंगलवार को हनुमान जी की पूजा करना शुभ माना जाता है, और इस दिन पूजन का खास महत्व भी होता है। इतना ही नहीं, मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करने से भक्तों को तुरंत लाभ प्राप्त होता है।
पूजा तो घर में भी की जाती है परंतु अनादि काल से ही मंदिरों का खास महत्व रहा है। माना जाता है कि जिस मंदिर में भगवान की प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठित की जाती है, वहाँ का वातावरण सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है, और मंदिर में एक असीम ऊर्जा का केंद्र स्थापित हो जाता है। इस ऊर्जा केंद्र का लाभ सदियों-सदियों तक यहां आने वाले भक्तों को मिलता ही रहता है।
देशभर में हनुमान जी के भी कई मंदिर स्थापित है, जहाँ भक्त पूरी श्रद्धा के साथ संकटमोचन का आशीर्वाद लेने एवं अपने जीवन के सभी संकटों को हरने के लिए आते हैं। अब तक तो आप सिर्फ इतना ही जानते होंगे कि भगवान हनुमान का पूजन एक ब्रह्मचारी देवता के रूप में किया जाता है, और इनका पूजन करते समय महिलाएं हनुमान जी के घुटने एवं जांघों के ऊपर स्पर्श नहीं करती। और तो और महिलाओं को हनुमान जी की प्रतिमा के ऊपर ललाट पर तिलक लगाने की अनुमति नहीं होती है, बल्कि उनके कर कमलो यानी कि केवल पैरों पर ही तिलक एवं पुष्प चढ़ाया जाता है।
जो पुरुष आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करने का संकल्प लेते हैं, अर्थात जीवन भर विवाह नहीं करते हैं, उनके मन में हनुमान जी को लेकर आस्था एवं भक्ति स्वयं ही स्थापित हो जाती है।
हमारे पूज्य संकट मोचन हनुमान जी की पूजा अनेकों स्थानों पर अलग-अलग तरीके से की जाती है, लेकिन क्या आपको पता है कि हनुमान जी का एक ऐसा मंदिर भी है हनुमान जी की पूजा उनके स्त्री रूप में होती है।
तो आइए जानते हैं क्या है आखिर इस मंदिर का महत्व और हनुमान जी की पूजा इस प्रकार क्यों की जाती है।
भक्तों की आस्था का केंद्र - गिरिजाबंध मंदिर
हनुमान जी को हनुमंत, वृकोदर, संकट मोचन, पवनसुत, महाबली इत्यादि नामों से जाना जाता है, और अनंत कालों से इनका पूजन और इनकी विशेष शक्तियां भक्तों की आस्था का स्रोत रही है।
दुनिया भर की तो बात ही छोड़ दीजिए, बल्कि हमारे देश में ही ऐसे हजारों हजार प्रसिद्ध हनुमान मंदिर है जिनकी विशेषता इन मंदिरों को सबसे अलग एवं खास बनाती है। उदाहरण के तौर पर देख लीजिए, इलाहाबाद यानी कि प्रयागराज में लेटे हुए हनुमान जी का एक मंदिर है, जहाँ हनुमान जी की प्रतिमा शयन मुद्रा में स्थापित की गई है और यह मंदिर कई हजार वर्षों पुराना है। इस मंदिर में हिंदू धर्म सभ्यता एवं संस्कृति का विशेष उल्लेख मिलता है, और यहाँ से धार्मिक परंपराओं को निभाते चलने की प्रेरणा भी मिलती है।
दूसरी ओर राजस्थान के प्रसिद्ध स्थान बालाजी में हनुमान जी का एक ऐसा मंदिर है जहाँ पर कोई मूर्ति स्थापित ही नहीं की गई। यहाँ मूर्ति की जगह पर एक विशाल चट्टान रखी हुई है जिसको हनुमान जी के स्वरूप की आकृति दे दी गई है और वही इनकी पूजा की जाती है। भक्त यहाँ आते हैं और हनुमान जी को केसरिया सिंदूर चढ़ाकर फल और फूल दान करते हैं, और उनसे अपने सारे संकट हर लेने की प्रार्थना करते हैं।
इन दोनों मंदिरों का तो सिर्फ उदाहरण है, इनके अलावा अनेकों ऐसे प्रतिष्ठित मंदिर हमारे देश में मौजूद हैं जिनकी शिल्पकृति एवं विशेषता विश्व विख्यात और अद्वितीय है।
छत्तीसगढ़ में बना है हनुमान जी का एक अद्भुत मंदिर
हमने आपको हनुमान मंदिरों के बारे में तो कई रोचक बातें बताई, लेकिन क्या आपको पता है हमारे ही देश में हनुमान जी का एक बहुत प्रसिद्ध एवं अतुलनीय मंदिर भी स्थापित है, जिसके बारे में शायद बहुत कम लोगों ने ही सुना होगा।
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले से लगभग 25 किलोमीटर दूर में स्थित रतनपुर नाम का एक गांव है जहाँ हनुमान जी का एक प्रसिद्ध मंदिर है जिसे गिरिजाबंद मंदिर के नाम से जाना जाता है। दोस्तों आपने हनुमान जी की पूजा होते तो सिर्फ एक पुरुष स्वरूप में ही देखा होगा, पर आज हम आपको जिस मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं वह अब तक का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां हनुमान जी की पूजा स्त्री स्वरूप में होती है।
मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में स्थापित हनुमान जी की मूर्ति 10000 वर्ष से भी अधिक पुरानी है और कहते हैं जो भक्त यहां सच्चे मन से श्रद्धा और भक्ति के साथ हनुमान जी की पूजा अर्चना करता है, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
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सभी विशिष्ट मंदिरों के साथ ही यह भी एक ऐसा मंदिर है जहाँ भगवान अपने दरबार से भक्तों को कभी भी खाली हाथ नहीं लौटाते। ऐसा भी कहा जाता है कि यहाँ आने वाले भक्तों को हनुमान जी की शक्तियों का आभास भी होता है।
क्या है इस मंदिर से जुड़े पौराणिक तथ्य?
प्राचीन एवं पौराणिक कथाओं के अनुसार रतनपुर नामक इस गांव में एक राजा हुआ करते थे जिनका नाम पृथ्वी देवजु था। राजा हनुमान जी के बहुत बड़े भक्त भी थे।
एक बार की बात है, राजा पृथ्वी देवजू को किसी प्रकार का कुष्ठ रोग हो गया था जिसके कारण उनका मन नहीं लगता था। वह बेहद उदास एवं निराश रहा करते थे। कहते हैं राजा को सोते हुए स्वप्न में हनुमान जी दिखाई दिए और हनुमान जी ने उन्हें अपना एक भव्य मंदिर बनाने को कहा। हनुमान जी ने सपने में आकर राजा को कहा था कि महामाया कुंड से उनकी प्रतिमा को निकालकर इस नवनिर्मित मंदिर में स्थापित कर दिया जाए।
राजा ने अपने कर्मचारियों एवं प्रजा को आदेश दिया कि जल्द से जल्द इस मंदिर का निर्माण पूरा हो जाना चाहिए। मंदिर बनने की प्रक्रिया समाप्त होते ही राजा पृथ्वी देवजू ने महामाया कुंड से हनुमान जी की प्रतिमा निकलवा कर मंदिर में स्थापित करा दी। कहते हैं मंदिर का निर्माण पूरा होते ही राजा का कुष्ठ रोग अपने आप ही दूर हो गया, और तभी से इसी आस्था का सम्मान करते हुए यहां के लोग हनुमान जी का पूजन करते आ रहे हैं। चूँकि यह मंदिर सदियों पुराना है, इसीलिए इसकी प्रसिद्धि दूरदराज के देशों में भी स्थापित है।