ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार मंगलवार का दिन संकट मोचन हनुमान का दिन निर्धारित माना जाता है। भगवान श्री हनुमान जी का जन्म मंगलवार के दिन ही हुआ है, इसलिए मंगलवार के दिन का विशेष महत्व है। श्री हनुमान भगवान श्री राम के परम भक्त हैं। भक्तों में शिरोमणि श्री हनुमान जी को कहा जाता है। हनुमान जी के बल बुद्धि एवं ऐश्वर्य की चहुँलोक में चर्चा है। माना जाता है जो सच्चे मन से बजरंग बलि की आराधना करते हैं, उनके जीवन मे कभी भी किसी प्रकार की समस्या नहीं आती और वे जातक कष्ठ, पीड़ा, भय, रोग, मोह आदि से परे हो जाते हैं। इसी कारण इन्हें संकट मोचन भी कहते हैं
मंगलवार के दिन हनुमानजी की पूजा-आराधना का विशेष महत्व माना जाता है। आज के दिन हनुमानजी की विधिवत तौर-तरीके से विशेष पूजा होती है। आइए जानते हैं हनुमानजी के पूजन हेतु पूजन विधि-
शास्त्रों का आधार मंत्र है। मंत्र ही देवों के अस्तित्व का प्रतिबिंब है। अतः किसी भी पूजा-आराधना अथवा शुभ कर्म को बिना मंत्र के सहारे पूर्ण कर पाना संभव नहीं है। इसलिए आप श्री हनुमान जी की पूजा आराधना हेतु भी उचित मंत्रों का प्रयोग करें, साथ ही मंत्र जाप अवश्य करें। यह आपको आपकी भक्ति का कई गुना अधिक फल देता है।
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आइए जानते हैं शास्त्रों में हनुमान जी की आराधना हेतु निहित मंत्र जिनका विशेष महत्व मंगलवार के दिन दृश्य मान होता है
पहला मंत्र:
ॐ तेजसे नम:
दूसरा मंत्र:
ॐ प्रसन्नात्मने नम:
तीसरा मंत्र:
ॐ शूराय नम:
चौथा मंत्र
ॐ शान्ताय नम:
पांचवां मंत्र:
ॐ मारुतात्मजाय नमः
विशेष मंत्र:
मंगलवार के दिन 108 बार कवच मंत्र का उच्चारण अवश्य ही करें। इससे संकटमोचन आपके जीवन में आ रही सभी बाधाओं को हर लेते हैं एवं दुख कष्ट से मुक्ति दिलाते हैं ।
ॐ श्री हनुमते नम:”
सर्वकामना पूरक हनुमान मंत्र:
इस मंत्र के जप से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इसका मंगलवार के दिन कम से कम 108 बार अवश्य ही उच्चारण करें।
ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्।
उपयुक्त मंत्रों में से आप अपने जीवन में मंत्रों को अपनी क्षमता एवं श्रद्धा के अनुसार धारण करें। इसके अतिरिक्त आप मंगलवार के दिन बजरंग बाण, श्री राम स्तुति के साथ सुंदरकांड का पाठ आदि अवश्य करें। पूजन की प्रक्रिया संपन्न होने पर हनुमान चालीसा भी पढ़ें।
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आज सूर्योदय के पश्चात मूंगे की माला से उक्त मंत्र का 251 बार जप करें, आपके सभी संकट दूर होंगे एवं घर-परिवार में सुख-शांति, समृद्धि व सिद्धि आएँगी।
।। ॐ मारकाय नमः ।।
आज के दिन संध्याकालीन बेला में दीपक जलाकर भगवान हनुमान के समक्ष उक्त मंत्र का कम से कम 108 बार जप करें। इससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। सारे क्रियाकलाप आपके अनुरूप होने लगेंगे।
ॐ महाबलाय वीराय चिरंजिवीन उद्दते।
हारिणे वज्र देहाय चोलंग्घितमहाव्यये।।
मंगलवार के दिन उक्त मंत्र का जप करने से घर के सभी बुरे साए, कलह-क्लेश आदि समाप्त होते हैं। घर पर भूत, पिशाच, पैतृक कष्ट आदि की समस्याएं समाप्त होती हैं एवं सुख-शांति एवं समृद्धि पूर्ण सकारात्मक परिवेश उत्पन्न होता है।
ॐ दक्षिणमुखाय पच्चमुख हनुमते करालबदनाय।
नारसिंहाय ॐ हां हीं हूं हौं हः सकलभीतप्रेतदमनाय स्वाहाः।।
प्रनवउं पवनकुमार खल बन पावक ग्यानधन।
जासु हृदय आगार बसिंह राम सर चाप घर।।
मंगलवार के दिन भगवान हनुमान की पूजा आराधना के पश्चात चालीसा तथा आरती करना विशेष फलदाई होता है। अतः मंगलवार को हनुमानजी को टिका लगा कर विधिवत तौर तरीके से पूजा-अर्चना करें। तत्पश्चात चालीसा, फिर आरती गाए, साथ ही घंटी भी बजाए। अंत में शंख नाद करें।
दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निजमन मुकुरु सुधारि।
बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
राम दूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुण्डल कुँचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे।
कांधे मूंज जनेउ साजे।।
शंकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जग वंदन।।
बिद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचन्द्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्री रघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना।।
जुग सहस्र जोजन पर भानु।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रच्छक काहू को डर ना।।
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरे सब पीरा।
जपत निरन्तर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।।
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु संत के तुम रखवारे।।
असुर निकन्दन राम दुलारे।।
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुह्मरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै।।
अंत काल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरिभक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बन्दि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महं डेरा।।
दोहा
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके॥
अंजनिपुत्र महा बलदायी, संतन के प्रभु सदा सहाई॥
दे बीरा रघुनाथ पठाये, लंका जारि सिया सुधि लाये॥
लंका-सो कोट समुद्र-सी खाई, जात पवनसुत बार न लाई॥
लंका जारि असुर संहारे, सियारामजी के काज संवारे॥
लक्ष्मण मूर्छित परे सकारे, आनि संजीवन प्रान उबारे॥
पैठि पताल तोरि जम-कारे, अहिरावन की भुजा उखारे॥
बाएं भुजा असुरदल मारे, दहिने भुजा सन्तजन तारे॥
सुर नर मुनि आरती उतारे, जय जय जय हनुमान उचारे॥
कंचन थार कपूर लौ छाई, आरति करत अंजना माई॥
जो हनुमानजी की आरति गावै, बसि बैकुण्ठ परम पद पावै॥