ज्योतिष शास्त्रों में ग्रह नक्षत्र एवं उसकी स्थिति अत्यंत ही महत्वपूर्ण होती है। ज्योतिष शास्त्रों का आधार ग्रह गोचर एवं उसकी स्थितियां ही माने जाते हैं। ऐसे में कुछ ग्रह गोचर नक्षत्र आदि के परिवर्तन के कारण हमारे जीवन में सकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं, तो वही कुछ ऐसी भी ज्योतिषीय घटनाएं होती है जो हमारे जीवन के लिए अशुभकारी होती है। ऐसी घटनाएं हमारे जीवन में अहितकारी परिवर्तन लाती है जिन से बचने हेतु हम उन घटनाओं के संबंध में जानकारी ग्रहण करते हैं तथा उनसे बचाव के उपाय अथवा उस अशुभ काल अवधि में वर्जित कार्यों को करने से बचने का प्रयत्न करते हैं। ऐसे ही अशुभ कारी काल खंडों में से एक पंचक को भी माना जाता है।
आइए जानते हैं पंचक के संबंध में-
ब्रह्मांड में विद्यमान 27 नक्षत्रों के संबंध में कहा जाता है कि यह 27 नक्षत्र प्रजापति दक्ष की 27 पुत्रियां हैं जिनका विवाह चंद्रमा की साथ करवाया गया था। इन 27 नक्षत्रों में से कुछ शुभकारी प्रभाव दर्शाते हैं, तो वहीं कुछ मानव जीवन में अपने अशुभ गुण परिलक्षित करते हैं। ऐसे अशुभकारी प्रभाव परिलक्षित करने वाले आखिरी के 5 नक्षत्र हैं - धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती।
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दरअसल नक्षत्रों को चार चरणों में ज्योतिष शास्त्र द्वारा विभाजित किया गया है जिसमें से पंचक काल घनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण से आरंभ होता है एवं रेवती नक्षत्र के अंतिम चरण तक चलायमान रहता है। चूँकि प्रत्येक दिन एक-एक कर नक्षत्र आरंभ होते है, इस कारण धनिष्ठा नक्षत्र से लेकर के रेवती नक्षत्र तक के बीच 5 दिनों का काल होता है। इन्हीं पाँच दिनों को पंचक के नाम से जाना जाता है।
पंचांग में पंचक काल को सदैव अशुभ मुहूर्त में रखा जाता है क्योंकि इस काल अवधि में किए गए कार्यों में प्रायः असफल परिणाम ही प्राप्त होते हैं। पंचक काल जीवन में नकारात्मकता एवं असफलता लाता है, इस कारण इस काल अवधी में किसी भी जातक को विशेष शुभ कर्मों की शुरुआत नहीं करनी चाहिए। पंचक के प्रभाव को ज्योतिष के अनुसार पांच अलग-अलग खंडों में विभाजित कर देखा जाता है-
ज्योतिष शास्त्र में पंचक को दिन एवं उसके प्रभाव के अनुसार पांच अलग-अलग खंडों में विभाजित किया गया है। पंचम के पाँच दिन को उसके प्रभाव के अनुरूप विस्तृत वर्णन के साथ दर्शाया गया है। आइए जानते हैं पंचक के ये पांच स्वरूप एवं इसके कारण जीवन में घटित होने वाली अशुभ घटनाएं-
रोग पंचक
पंचांग के पांच दिनों में जो पंचक रविवार को आरंभ होता है, वह पंचक रोग पंचक के नाम से जाना जाता है। इस पंचक के दौरान व्यक्ति को शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से गुजरना पड़ता है। मन चिड़चिड़ापन से युक्त एवं शारीरिक पीड़ा व्याधि कष्ट से भरा पूरा यह 5 दिन जातकों का व्यतीत होता है। ऐसे जातकों को पंचक के दौरान किसी भी मांगलिक कार्य में अपना अत्यधिक हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए और ना ही किसी शुभ कार्य की शुरुआत करनी चाहिए। रोग पंचक अत्यंत ही अशुभकारी माना जाता है।
राज पंचक
जो पंचक का काल सोमवार के दिन शुरू होता है, वह पंचक राज पंचक के नाम से जाना जाता है। यह पंचक जातकों के जीवन में शुभकारी परिणाम परिलक्षित करता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में कुछ सकारात्मक परिवर्तन होते हैं। लंबे समय से अटके हुए सरकारी कार्य पूरे हो जाते हैं। राजकाज से जुड़े मसले कानूनी कार्यवाही आदि से जुड़ी समस्याओं का समाधान प्राप्त होता है एवं परिणाम आपके पक्ष में परिलक्षित होते हैं। राज पंचक में आर्थिक संबंधित सभी समस्याओं का समाधान हो जाता है। नौकरी पेशा लोगों के जीवन में नौकरी से संबंधित आ रही समस्याएं समाप्त हो जाती है, नौकरी की तलाश में भटक रहे जातकों को नौकरी मिलने की भी संभावना रहती है।
अग्नि पंचक
अग्नि पंचक मंगलवार को आरंभ होता है, अर्थात मंगलवार को आरंभ होने वाले पंचक का नाम ही अग्नि पंचक है। इस पंचक में आपके पुराने वाद-विवाद से जुड़े कोर्ट-कचहरी के मसलों का समाधान होता है। कानूनी कार्यवाही से जुड़े विपरीत मामले भी आपके पक्ष में परिणाम दर्शाने लगते हैं। इस पंचक के दौरान आप अपने अधिकार से जुड़े मसलों पर कार्य कर लाभ के अनुभाग बन सकते हैं। हालांकि इस पंचक में अग्नि का भय सदा बना रहता है। अगर आप इसके संपूर्णत या परिणाम को देखें, तो इसे अशुभकारी ही माना जाता है। इस पंचक के दौरान निर्माण संबंधित कार्य करना विनाश को न्यौता देने के समान है। औजार, मशीनरी कार्य आदि भी अशुभकारी होता है। इसमें नुकसान मिलने की संभावना अत्यधिक रहती है।
मृत्यु पंचक
शनिवार के दिन आरंभ होने वाले पंचक को मृत्यु पंचक कहा जाता है। मृत्यु पंचक अत्यंत ही कष्टदाई एवं अशुभकारी होता है। इसके नाम से ही यह प्रतीत होता है कि यह व्यक्ति के जीवन में संकटों का पहाड़ लेकर आएगा। यह प्राण पर आघात करने योग्य प्रतीत होता है। अतः इस पंचक के दौरान किसी भी चुनौतीपूर्ण कार्य को ना करें। ऐसे पंचक में जोखिम भरे कार्य में अपना हाथ लगाना मौत को न्योता देने के समान है। मृत्यु पंचक के दौरान वाद-विवाद से बचने की चेष्टा करें अन्यथा आपके नए-नए शत्रु उत्पन्न होंगे और वह आप पर हावी हो सकते हैं। इस पंचक के दौरान चोट लगने, दुर्घटना आदि जैसी चीजों का अधिक खतरा रहता है। इस दौरान वाहन का प्रयोग ना करें, और अधिक से अधिक सतर्कता बरते एवं सचेत रहे।
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चोर पंचक
शुक्रवार के दिन आरंभ होने वाले पंचक को चोर पंचक कहा जाता है। ज्योतिष विज्ञेताओं के अनुसार यह पंचक यात्रा हेतु अशुभकारी होता है। इसमें दुर्घटना आदि के घटित होने की संभावना रहती है। इसके अतिरिक्त अन्य तरह की समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। चोर पंचक को आर्थिक मामलों को लेकर अत्यंत ही अशुभकारी माना जाता है। इस दौरान आपकी अधिक से अधिक हानि हो सकती है। लेनदेन करना चोर पंचक के दौरान ठीक नहीं माना जाता है। नुकसान होने की संभावना रहती है। आर्थिक निवेश अगर आवश्यक ना हो तो ना करें, अथवा बिना जांचे परखे ना करें। चोर पंचक के दौरान मिल रही कार्यक्षेत्र की नई जिम्मेदारियों को भी मना ना करें, इससे भी आर्थिक नुकसान होने की संभावना है जो आपकी तरक्की को अवरुद्ध कर सकता है।
बुधवार और गुरुवार के दिन सोमवार और मंगलवार मे लगने वाले पंचक के समान ही अवगुण प्रभावी रहते है।