Navratri Special: इस नवरात्रि करें आप पूर्ण सिद्धि की प्राप्ति, मंत्र जप द्वारा पाए सभी संकटो का हल

हिंदू धर्म में भिन्न-भिन्न प्रकार के पर्व-त्योहार, व्रत आदि निहित है जो जातकों की सुख-शांति, खुशहाली व समृद्धि हेतु बनाए जाते हैं। ऐसे पर्व त्यौहार के माध्यम से हिंदू धर्म में सकारात्मकता दिन प्रतिदिन बढ़ती रहती है और पवित्रता चहुँ ओर व्याप्त होती है। विभिन्न प्रकार के पर्व-त्योहार, व्रत आदि में नवरात्र पर्व को अत्यंत ही श्रेष्ठ व सिद्धि कारक माना जाता है।

हिंदू धर्म में चार प्रकार के नवरात्र पूरे वर्ष भर में मनाए जाते हैं जिसमें से दो नवरात्र गुप्त नवरात्रि के नाम से विख्यात होते हैं। इन गुप्त नवरात्र को प्रायः ऋषि-महर्षि, पंडित, ब्राह्मण आदि गण करते हैं जबकि अन्य दो नवरात्र सर्वसाधारण के लिए निर्धारित किए गए हैं। इन दो नवरात्र को लेकर पूरे देश भर में धूम मची रहती है। पूरे देश भर के सभी लोग इन दोनों नवरात्र चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि को बड़े ही धूमधाम व श्रद्धा पूर्वक मनाते हैं।

इन दोनों नवरात्रों में से शारदीय नवरात्रि का आरंभ इस वर्ष 17 अक्टूबर 2020 की तिथि से होने जा रहा है। 17 अक्टूबर की तिथि को शारदीय नवरात्र की प्रतिपदा तिथि अर्थात प्रथम दिवस है। इस दिन कलश स्थापन का विधान है। इस दिन से जातक अपने व्रत को आरंभ करते हैं। शारदीय नवरात्र में जातक प्रायः फलाहार या अपने शारीरिक स्वास्थ्य व इच्छा शक्ति और सामर्थ्य को देखते हुए भिन्न-भिन्न प्रकार के भोज्य पदार्थ अन्न फल आदि हेतु संकल्पित होते हैं जिसके पीछे धार्मिक मान्यताएं शारीरिक साधना की होती है।

ऐसा माना जाता है कि इन 9 दिनों के माध्यम से जातक अपने आपको शारीरिक, मानसिक एवं आत्मिक तौर पर साध कर माँ आदिशक्ति जगदंबा हेतु साधना की प्रक्रिया को पूर्ण करते हैं। वहीं धार्मिक साधना के रूप में जातक पूजा-पाठ आदि जैसे क्रियाकलाप को पूर्ण करते हैं किंतु शारीरिक साधना, धार्मिक साधना और आत्मिक साधना में सर्वोपरि व सर्वश्रेष्ठ आत्मिक साधना को माना जाता है। आत्मिक साधना हेतु जातक मंत्र जप करते हैं। ऐसा माना जाता है कि बिना मंत्र जप के कोई भी पर्व-त्यौहार, व्रत आदि पूर्ण रूप से लाभकारी हो ही नहीं सकता है। किसी भी व्रत के पूर्ण लाभ हेतु जातकों को शारीरिक, धार्मिक व आत्मिक तीनों स्वरूप में साधना करने की आवश्यकता होती है ।

तो आइए इस नवरात्र पर हम आपको आत्मिक साधना हेतु कुछ ऐसे मंत्रों के संबंध में बताएंगे जिनका नित्य प्रति दिन संकल्पित होकर जप करके आप स्वयं को आत्मिक साधना का लाभ प्राप्त करवा सकते हैं।

तो आइए जानते हैं कुछ ऐसे विशेष मंत्रों के संबंध में जो आपको आत्मिक तौर पर शुद्ध बनाएंगे और माँ अंबे के नौ रूपों का आशीष प्राप्त करवाएंगे।

जानिए माता के नौ रूपों की आराधना हेतु नौ मंत्र

प्रणतानां प्रसीद त्वं देवि विश्वार्तिहारिणि।
त्रैलोक्यवासिनामीडये लोकानां वरदा भव।।

जो भी जातक माँ दुर्गा के इस मंत्र का नवरात्र के 9 दिनों तक जप करता है, उन जातकों के जीवन में सदैव खुशहाली बरकरार रहती है एवं किसी भी प्रकार के संकट नहीं आते है।

सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्ति भूते सनातनि।
गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोऽस्तु ते।।

इस मंत्र का जप करने से जातकों की आंतरिक ऊर्जा प्रखर होती है, जातक गुणवान होते हैं और शक्तिशाली बनते हैं जिससे कि यह अपने जीवन में आ रही चुनौतियों का सामना करने हेतु स्वयं ही सशक्त हो जाते हैं।

पत्नीं मनोरमां देहि नोवृत्तानुसारिणीम्
तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥

ऐसा माना जाता है कि माँ आदिशक्ति जगदंबा के इस मंत्र का नवरात्र की अवधि में नियमित जप करने से जातकों को सुंदर एवं सुयोग्य जीवनसाथी प्राप्त होता है एवं दांपत्य जीवन भी खुशहाल बना रहता है। जिन भी जातकों के दांपत्य जीवन में समस्याएं आए दिन भरी रहती है, उन जातकों को भी इस मंत्र का जप करना चाहिए।

दुर्गे देवि नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थसाधिके।
मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय।।

ऐसा माना जाता है कि जो भी जातक माता के इस मंत्र का नियमित जप करते हैं, उन जातकों के जीवन में कभी भी अकाल मृत्यु नहीं आती। भूत-प्रेत आदि से संबंधित तत्वों का इनके ऊपर कोई असर नहीं होता। ऐसे जातकों के घर परिवार पर कोई भी आसानी से टोना टोटका नहीं कर सकता।

ॐ महामायां हरेश्चैषा तया संमोह्यते जगत्,
ज्ञानिनामपि चेतांसि देवि भगवती हि सा।
बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति।।

माता के इस मंत्र के जप के द्वारा व्यक्ति कामयाबी के उच्च शिखर तक पहुंचते हैं। इस मंत्र के जप के द्वारा आपके शब्द अधिक प्रभावी होते हैं एवं इस माध्यम से आप सभी चुनौतियों का सामना करते हुए सफलता की ओर अग्रसर होते हैं।

सर्वस्य बुद्धिरुपेण जनस्य हृदि संस्थिते।
स्वर्गापवर्गदे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते।

माँ आदिशक्ति जगदंबा का यह मंत्र मोक्ष प्राप्ति हेतु सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो भी जातक आदि शक्ति जगदंबा के इस मंत्र का नियमित जप करते हैं, उन जातकों की दुर्घटना आदि घटित होने के कम ही आसार होते है।

ऐश्वर्य यत्प्रसादेन सौभाग्य-आरोग्य सम्पदः।
शत्रु हानि परो मोक्षः स्तुयते सान किं जनै।।

नवरात्र के 9 दिन तक इस मंत्र का नियमित जप करें। इससे आपके जीवन में सुख-समृद्धि, खुशहाली व ऐश्वर्य आजीवन बना रहेगा। यह मंत्र माता का सिद्धि मंत्र माना जाता है जिससे लोग सिद्धि की प्राप्ति करते हैं।

शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते।।

माँ दुर्गा के इस मंत्र के जप से आपके ऊपर आने वाला हर संकट स्वयं ही टल जाता है एवं आपको आने वाले संकट का आभास भी हो जाता है जिससे आप सचेत हो जाते हैं। अतः इस मंत्र का नियमित जप करें।

दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः।
सवर्स्धः स्मृता मतिमतीव शुभाम् ददासि।।

यदि आपके आर्थिक हालात बहुत ही बेकार हो चुके हैं, आप अपनी आर्थिक स्थिति को लेकर चिंतित रहने लगे हैं तो आप अपनी गरीबी व दरिद्रता को दूर करने हेतु नियमित सिद्ध मंत्र जप करें। आपके आर्थिक हालात बेहतर होंगे, साथ ही आप सिद्धि की प्राप्ति करेंगे।