हनुमान जी की गिनती भक्त शिरोमणि में से एक में की जाती है। हनुमान जी की पूजा आराधना की विधि भी अत्यंत सरल मानी जाती है। कहा जाता है कि हनुमान जी अति शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवों में से एक हैं। ये संकट मोचन हैं जो व्यक्ति के जीवन से संकटों का हरण करते हैं एवं दुख, पीड़ा, कष्ट, क्लेश, रोग आदि का साया कभी भी अपने भक्तों पर नहीं पड़ने देते हैं।
श्री हनुमान जी राम भक्तों में से सर्वश्रेष्ठ गिने जाते हैं। इनकी भक्ति की गाथा चहुँलोक में प्रचलित है। माना जाता है कि अगर श्री रामचंद्र जी से कोई प्रार्थना करनी हो तो आप को हनुमान जी को प्रसन्न करना अनिवार्य हो जाता है। ऐसे में लोग भगवान श्री हनुमान की पूजा आराधना में कोई कमी नहीं छोड़ते, खूब जतन से हनुमान जी की पूजा उपासना करते हैं।
इन सब के बावजूद कई बार ऐसा होता है कि हम या तो जानकारी के अभाव में या फिर भूलवश कुछ ऐसे क्रियाकलाप कर बैठते हैं, जो हमें हमारे अथक प्रयास एवं भक्ति के फल से वंचित कर देता है! ऐसे में सर्वप्रथम हमें इस तथ्य की जानकारी प्राप्त करने की आवश्यकता है कि ऐसे कौन से कार्य हैं जो हनुमान जी की उपासना के दौरान करने से हमें उनकी कृपा पात्र बनने से वंचित रख सकता है? ऐसे कौन-कौन सी अवस्थाएं हैं जो हमें हनुमान जी के आशीर्वाद की जगह पाप का भागी बना सकता है?
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आइए आज हम आपको ऐसे ही कुछ तथ्यों के बारे में बताएंगे जिसे हनुमान जी की पूजा-आराधना के दौरान ध्यान रखने की आवश्यकता है, ताकि आप ऐसी कोई गलती ना कर बैठे जो आपको सर्वश्रेष्ठ भक्त की भक्ति से वंचित कर दें।
आइए जानते हैं कुछ ऐसे तथ्यों के संबंध में जो हनुमान जी की पूजन क्रिया की अवधि के दौरान वर्जित हैं।
साफ सफाई का रखें विशेष ध्यान
हनुमान जी की पूजा-आराधना में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें। हनुमान जी कर्मठ एवं ब्रह्मचारी देव है, अतः उन्हें स्वच्छता प्रिय है। इसलिए हनुमान जी के सिंगार करने में भी उनके वस्त्र बदलते रहे। गंदे कपड़े गंदगी से जुड़ी वस्तुओं आसपास ना रहने दें।
पूजन से पूर्व कर लें स्वयं को स्वच्छ
हमारे हिंदू सनातन धर्म में यह मान्यता है कि किसी भी भगवान की पूजा-आराधना करने के पूर्व नित्य कर्म स्नानादि को पूर्व में संपन्न कर लिया जाता है, अन्यथा व्यक्ति अपवित्र माना जाता है जिस कारण अपवित्र शरीर में पवित्र मन का वास हो पाना कठिन होता है। इसलिए आप स्वयं को स्वच्छ कर लें, तत्पश्चात ही बजरंग बलि जी की प्रतिमा का स्पर्श मात्र भी करें।
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इस अवस्था में बिना गंगा जल छिड़के ना करें प्रतिमा को स्पर्श
जीवन-मरण एक चक्र है। इस दौर से हर एक व्यक्ति को एक न एक दिन गुजरना ही पड़ता है। अतएव जब भी कभी आप किसी व्यक्ति के मरने के पश्चात उसकी शव यात्रा में जाते हैं, तो वहां से आने के पश्चात बिना स्नान कर गंगा जल छिड़के हनुमान जी की प्रतिमा का स्पर्श ना करें। पवन पुत्र श्री हनुमान राम भक्त हैं, जो गहन भक्ति की मुद्रा में लीन रहते हैं। ऐसे में श्री हनुमान की पूजा-आराधना अथवा स्पर्श मात्र भी हानिकारक होता है।
झूठन से करें बचाव
झूठन अपवित्रता का प्रतीक माना जाता है। यह अलग बात है कि शबरी ने भगवान श्रीराम को अपने झूठे बेर खिलाकर ही वो भक्तों में श्रेष्ठ पायदान पर पहुंचकर स्वयं का कृतार्थ कर गयी। किंतु शबरी के सदृश सामान्य तौर पर भक्ति भावना ला पाना लगभग नामुमकिन है। अतः आप इन तत्वों का विशेष ध्यान रखें कि भगवान श्री हनुमान की पूजा आराधना के पूर्व आप स्वच्छ एवं पवित्र हो, आपने हाथ साफ कर लिया हो, झूठन आदि ना रखें अन्यथा इसके नकारात्मक प्रभाव आपके जीवन में परिलक्षित होंगे।
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सूतक काल
अगर आपके घर में सूतक काल चल रहा हो तो इस दौरान न केवल हनुमान जी ही नहीं, अपितु किसी भी अन्य देव की पूजा आराधना करना वर्जित माना जाता है। सूतक काल किसी सगे संबंधी या खून के रिश्तो में से किसी की मौत पर लगता है। इसके अतिरिक्त ग्रहण काल में भी सूतक लगता है। ऐसी काल अवधि के दौरान इस बात का ध्यान रखें कि सूतक काल में भगवान श्री हनुमान का मन ही मन सुमिरन किया जाता है, किंतु स्पर्श वर्जित माना जाता है।
अगर हुआ हो नवजात शिशु का जन्म
अगर आपके घर में किसी नवजात शिशु का जन्म होता है तो उसके जन्म के अगले 10 दिनों तक उसके परिवार के किसी भी जन को किसी भी भगवान की पूजा-आराधना नहीं करनी चाहिए, ना ही पूजन सामग्रियों का स्पर्श करना चाहिए। इन 10 दिनों में आप भगवान के मंत्रों का सुमिरन करें। उनकी प्रतिमा आदि का स्पर्श ना करें।
तामसिक पदार्थों से रखें दूरी
यदि कोई जातक तामसिक पदार्थों जैसे मांस, मदिरा, शराब आदि का सेवन करता है तो उसे भी उस दिन भगवान श्री हनुमान की ना ही प्रतिमा का स्पर्श करना चाहिए, और ना ही मंदिर के आसपास भी जाना चाहिए। इससे भगवान श्री हनुमान कुपित हो सकते हैं। भगवान श्री हनुमान जी इन सारी बुरी प्रवृत्ति एवं दुष्कर्म को बिल्कुल भी पसंद नहीं करते हैं।
मंगलवार के दिन रखें ये विशेष ध्यान
जो जातक मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा-आराधना हेतु विशेष क्रियाकलाप अथवा व्रत उपवास आदि करते हैं, उन्हें ना सिर्फ खान-पान एवं बोली-व्यहार में ब्रह्मचारी बरतना चाहिए, अपितु ऐसे जातकों को अपने जीवन में उस दिन पूर्णरूपेण वर्चस्व ब्रह्मचर्य बरतना चाहिए। इस दिन आप अपनी काम भावनाओं पर भी नियंत्रण रखें, तभी आप पूजन के पूर्ण फल की भागी बन पाएंगे।
महिलाएं विशेष तौर पर बरतें ये सावधानी
महिलाओं को मासिक धर्म पीरियड्स के दौरान हनुमान जी की पूजा आराधना नहीं करनी चाहिए, ना ही किसी अन्य देवी देवताओं की पूजा करनी चाहिए। ऐसे दिनों में आप किसी भी प्रकार की पूजन सामग्रियों का स्पर्श ना करें और ना ही घर के रसोईघर अथवा अन्य शुभ कर्मों में सम्मिलित हो।