भगवान सूर्य पूरे ब्रह्मांड की प्रक्रिया को निरंतर रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। भगवान सूर्य की घूर्णन गति के कारण दिन-रात संभव हो पाता है जो पृथ्वी के नियम को चलाने हेतु अनिवार्य माना जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान सूर्य को सभी ग्रहों के अधिष्ठाता राजा की संज्ञा दी गई है। सूर्य का प्रबल होना जातक के जीवन को प्रकाशमय करता है एवं ऐसे जातक तीव्र बुद्धि के, तेजस्वी, ओजस्वी एवं ऊर्जावान प्रवृत्ति के होते हैं।
ज्योतिष शास्त्र में भगवान सूर्य की कृपा प्राप्ति हेतु रविवार का दिन विशेष माना गया है। रविवार के दिन ग्रह गोचरों की स्थिति के अनुसार भगवान सूर्य हेतु निर्धारित है। अतः आपको रविवार के दिन भगवान सूर्य की विशेष पूजा आराधना करनी चाहिए।
आइए जानते हैं रविवार हेतु विशेष पूजन एवं अर्घ्य विधि-
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नीचे दिए गए मंत्रों में से आप किसी भी मंत्र का अपने जीवन में शिरोधार्य कर प्रतिदिन कम से कम 108 बार अवश्य जप करे ।
ऊं मित्राय नम:।।
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः।
ऊं रवये नम:।।
ऊं सूर्याय नम:।।
ऊं भानवे नम:।।
ऊं पुष्णे नम:।।
ऊं मारिचाये नम:।।
ऊं आदित्याय नम:।।
ऊं भाष्कराय नम:।।
ऊं आर्काय नम:।।
ऊं खगये नम:।।
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।
ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ।
ऊं घृणिं सूर्य्य: आदित्य:।
इसके अतिरिक्त आप गायत्री मंत्र का भी जप कर सकते हैं, गायत्री मंत्र सूर्य का का मंत्र माना जाता है। सविता गायत्री दोनों एक ही है, अतएव आप गायत्री मंत्र का जप भी कर सकते हैं। वेदों में गायत्री मंत्र को सर्वोपरि एवं कल्याणकारी मंत्र माना जाता है एवं कहा गया है कि जो जातक प्रतिदिन कम से कम 108 बार गायत्री मंत्र का मन एवं आत्मा से जप करता है, उसे कभी भी किसी भी प्रकार के संकट, दोष, आकस्मिक समस्या, अकाल मृत्यु आदि का सामना नहीं करना पड़ता है।
ॐ भूर् भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।।
भगवान सूर्य से मनोवांछित इच्छा की पूर्ति हेतु आप उक्त मंत्र का उच्चारण करें एवं यज्ञ आदि में इस मंत्र से आहुति भी अवश्य ही करें।
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
भगवान सूर्य की अनुकंपा प्राप्त करने हेतु जातकों को रविवार के दिन आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ अवश्य ही करना चाहिए।
सूर्य के उपाय जो करेंगे सभी दोष दूर:
रविवार के दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य प्रदान करने के पश्चात उनका विधिवत तौर से पूजन करने के साथ-साथ भगवान सूर्य देव की आरती भी करनी चाहिए। इससे भगवान सूर्य देव की कृपा दृष्टि आप पर सदैव बनी रहती है।
सूर्यदेव की आरती
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
ॐ जय सूर्य भगवान...
सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।
ॐ जय सूर्य भगवान...
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
ॐ जय सूर्य भगवान...
संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
ॐ जय सूर्य भगवान...
देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
ॐ जय सूर्य भगवान...
तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
ॐ जय सूर्य भगवान...
भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
ॐ जय सूर्य भगवान...