हिंदू धर्म में संस्कृति के अमरत्व हेतु पुरातन कल में ऋषि मुनियों ने अनेक महाग्रंथ, वेद, पुराण, उपनिषद आदि स्मृतियों की संरचना की। हिंदू धर्म में वेदों की महत्ता अधिक है। कहा जाता है कि वेदों का सम्पूर्ण रस उपनिषद एवम् उपनिषद का सम्पूर्ण रस गीता में निहित है।
'विद' (जानना) धातु से 'वेद ' शब्द का अर्थ है - ज्ञान। इस रूप में वेद अनंत ज्ञान का भंडार माने जाते हैं। ज्ञान व्यापक क्षेत्र वाला है किंतु यहां हम वेद शब्द से उस सीमित ज्ञान को ग्रहण करते हैं, जिसे सर्वप्रथम ऋषियों ने देखा ।
महर्षि वेदव्यास जी ने अपनी संस्कृति को स्थापित कर, जन कल्याण हेतु वेदों की रचना की।
मनुस्मृति के अनुसार - वेद सभी प्रकार के ज्ञान से युक्त हैं। तात्पर्य यह है कि हमारे जीवन का ऐसा कोई भी पक्ष नहीं है, जिसका दर्शन हमें वेद में न होता हो। तीनों लोक, चारों वर्ण, चारों आश्रम, यहाँ तक कि भूत, वर्तमान व भविष्य का ज्ञान वेदों में ही निहित है।
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वेद अनंत ज्ञान का भंडार माना जाता है इसलिए वेद शब्द का व्यवहार सदैव बहुवचन में होता है अर्थात वेद है, ऐसा ना कहकर वेद हैं, ऐसा ही कहा जाता है।
परम धार्मिक श्री लोकमान्य तिलक ने तो हिंदू धर्म का लक्षण ही " प्रामाण्य बुद्धिर्वेदेषु " कहा है ।
अर्थात :- हिंदू वही है, जो वेदों की प्रमाणिकता को स्वीकार करता है। हमारी प्रत्येक धारणा एवं विचारणा का मूल स्रोत वेदी है। अतः संक्षेप में हम कह सकते हैं कि वेद हिंदू धर्म, हिंदू संस्कृति, हिंदू सभ्यता के मूल आधार है।
वेदों में ज्ञान का भंडार इन 4 धाराओं के रूप में निहित है।
1) ऋग्वेद
2) यजुर्वेद
3) सामवेद
4) अथर्ववेद
ऋग्वेद
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यजुर्वेद
सामवेद
अथर्ववेद
इन धाराओं में अत्यंत प्राचीनकाल के मानवों के व्यवहार एवम् विचारों का परिचय मिलता है। इनमें हमें अपने पूर्वजों के जीवन व्यवहार एवम् उनकी संस्कृति का सम्यक ज्ञान मिलता है।भारतीय संस्कृति में संस्कारों का विशेष महत्व है । संस्कारों का विधि विधान वैदिक साहित्य में मिलता है । जन्म से लेकर मृत्यु तक सभी भारतीय जीवन के संस्कार वेदविहित हैं। आज भी हिन्दुओं के जन्म , उपनयन , विवाह एवं अंत्येष्टि आदि संस्कारों में वैदिक मंत्र प्रयुक्त होते हैं। इसी प्रकार हमारे जीवन में व्यावहारिक दृष्टि से भी वेदों का महत्व अक्षुण है।इसी प्रकार वेद हिन्दुओं के मस्तिष्क की प्रेरक विचारधारा के मूल स्रोत रहे है और आज भी हैं।
कहा जाता है कि वेदों के ज्ञान को समाहित करने वाले व्यक्ति को स्वयं ब्रह्म की प्राप्ति होती है। वेदों में इसी प्रकार जन्म से मृत्यु तक, आदि से अंत तक की संपूर्ण सामग्री का संग्रहण अपने सागर रूपी ग्रंथ में समाहित कर रखी है, इसलिए हिंदू धर्म में वेदों का अमूल्य महत्व माना गया है।