ज्योतिष शास्त्रों के अनुरूप शनिवार को भगवान शनि का दिन माना जाता है। इस कारण शनिदेव की विशेष मंत्र एवं विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है ताकि उनकी वक्र दृष्टि एवं ढैय्या के प्रभाव से बचा जा सके। लेकिन इसके साथ-साथ राम भक्त हनुमान की भी शनिवार को विशेष पूजा की जाती है, जबकि शास्त्रों द्वारा भगवान श्री हनुमान के लिए मंगलवार का दिन निर्धारित किया गया है। ऐसे में आपके मन में यह प्रश्न उठना लाजिमी है कि आखिर क्यों करें शनिवार को हनुमान की पूजा? आइए आज हम आपको इसके पीछे के गूढ़ रहस्य को बताते हैं-
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि शनि के क्रोध से संपूर्ण जगत ही नहीं अपितु देवी-देवतागण भी भयभीत होते हैं। शनि न्याय के देवता हैं जो किसी भी दोषी को दंड देने में नहीं चूकते, फिर वह व्यक्ति कैसा भी प्रतापी राजा हो अथवा शूद्र ही क्यों ना हो।
दरअसल बात त्रेता काल की है जब रावण ने सीता का हरण कर उन्हें लंका में बंदी बना लिया। तब उनके जीवन में आये दिन अनेकानेक प्रकार की समस्याएं आनी आरंभ हो गई। तत्पश्चात रावण ने अपनी कुंडली का गहन अध्ययन किया जिसमें शनि की स्थिति के कारण रावण के पुत्रहीन होने की स्थिति बन रही थी। रावण अपने पुत्र मेघनाथ से अत्यंत प्रेम करता था, इस कारण वह अपने पुत्र के प्राणों पर संकट आने नहीं देना चाहता था। अतः अपने पुत्र के प्राण बचाने हेतु अहंकारी रावण ने शनि को बंदी बनाकर अपने महल के कारावास में रख लिया ताकि शनि अपने प्रभावों से रावण के पुत्र मेघनाथ पर के प्राणों पर आघात न कर सके।
किंतु विधि के विधान को टाल पाना असंभव माना जाता है। फलतः माता सीता की खोज में जब हनुमान लंका नगरी में प्रवेश करते हैं तो उन्होंने अपनी पूंछ से पूरी लंका नगरी में आग लगा दी एवं शनि देव को बंदी ग्रह से भी मुक्त कर दिया। तत्पश्चात शनिदेव ने भगवान हनुमान का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जो भी व्यक्ति शनिवार को मेरे साथ-साथ आपकी पूजा आराधना करेगा, उसकी सभी मनोकामनाएं तत्काल सिद्ध होंगी एवं हनुमान के भक्तों के ऊपर कभी भी शनि की बुरी दृष्टि नहीं पड़ेगी। उस दिन से शनिवार के भगवान शनि के साथ-साथ हनुमान की पूजा आराधना की जाने लगी।