शुक्रवार का दिन चहुँ ओर से लाभ ही लाभ प्रदान करने योग्य है। ज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक इस दिन आप शुक्र ग्रह को अपने लिए सकारात्मक बनाने हेतु उपाय कर सकते हैं। शुक्र ग्रह धन-धान्य, सुख, समृद्धि एवं भौतिक सुख संपदा, खुशहाली का कारक माना जाता है। अतः शुक्र ग्रह को प्रसन्न कर आप अपने जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति कर सकते हैं।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी का माना जाता है। माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने हेतु इस दिन विशेष पूजा आराधना की जाती है। जिससे आपके जीवन में सुख, समृद्धि सदैव बनी रहती है।
माता लक्ष्मी के साथ-साथ शुक्रवार का दिन देवी संतोषी का भी है। इस दिन जातक देवी लक्ष्मी एवं संतोषी का व्रत कर सुख-शांति एवं स्वजनों की खुशहाली की कामना करते हैं। लोग शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी अथवा देवी वैष्णवी को प्रसन्न करने हेतु व्रत भी रखते हैं। कुछ जातक अपने शुक्र ग्रह को सकारात्मक बनाए रखने हेतु भी व्रत रखते हैं।
ये भी पढ़ें: शुक्रवार के उपाय जो बढ़ाएंगे धन-दौलत
आइए जानते हैं माता लक्ष्मी और देवी वैष्णवी को प्रसन्न करने हेतु शुक्रवार की विशेष पूजा विधि-
अगर आपके कार्यक्षेत्र में आये दिन किसी न किसी प्रकार की समस्याएं आती रहती हैं, आर्थिक मामलों की स्थिति बिगड़ चुकी है, तो आपको शुक्रवार के दिन 108 बार उक्त मंत्र का जप करना चाहिए। इससे आपके जीवन में अद्भुत लाभ परिलक्षित होंगे।
‘ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम गृह धनं पूरय पूरय चिन्तायै दूरय दूरय स्वाहा’’।
शुक्रवार के दिन के व्रत धारियों को उक्त मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए, तत्पश्चात कुंवारी कन्याओं को भोजन ग्रहण कराकर उन्हें धन, वस्त्र आदि अपनी क्षमता एवं सुरक्षा अनुसार प्रदान करें। इससे आपके जीवन में आ रही आर्थिक समस्याएं एवं पारिवारिक क्लेश आदि का समापन होगा।
ॐ श्रीं श्रीये नम:
अगर आपके घर-परिवार अथवा जीवन में आठों दिशाओं से भिन्न-भिन्न प्रकार के संकट आ रहे हों, तो आप इनसे निदान हेतु 8 दीपक जलाकर उक्त मंत्र का 108 बार जप करें। जप की पूर्ति के पश्चात इन आठों दीपक को को घर के 8 कोनों में स्थापित कर दें। आ रही समस्याएं समाप्त होंगी एवं सफलता के शिखर तक पहुंचने में कामयाब हो।
ऐं ह्रीं श्रीं अष्टलक्ष्मीयै ह्रीं सिद्धये मम गृहे आगच्छागच्छ नम: स्वाहा।।
उक्त मंत्र का जप माता लक्ष्मी की आराधना हेतु सर्वोत्तम माना जाता है। इस मंत्र का अगर संभव हो तो आप नियमित 108 बार जप करें। इससे आपके जीवन में ना केवल आर्थिक समस्याएं समाप्त होगी, अपितु अन्य समस्याओं का भी निदान होगा। आपके जीवन में सदैव सुख-शांति एवं समृद्धि बरकरार रहेगी। इस मंत्र के जप हेतु तुलसी की माला का प्रयोग करें।
महालक्ष्मी च विद्महे, विष्णुपत्नी च धीमहि, तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात्।
शुक्र को प्रबल करने के उपाय में से सबसे बेहतरीन निम्नलिखित हैं
माँ लक्ष्मी की आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता, मईया जय लक्ष्मी माता
तुम को निश दिन सेवत, हर विष्णु विधाता….
ॐ जय लक्ष्मी माता…।।
उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जग माता
सूर्य चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता
ॐ जय लक्ष्मी माता…।।
दुर्गा रूप निरंजनि, सुख सम्पति दाता
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता…।।
तुम पाताल निवासिनी, तुम ही शुभ दाता
कर्म प्रभाव प्रकाशिनी, भव निधि की त्राता
ॐ जय लक्ष्मी माता…।।
जिस घर तुम रहती, सब सद्गुण आता
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता
ॐ जय लक्ष्मी माता…।।
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता
ॐ जय लक्ष्मी माता…।।
शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता…।।
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई नर गाता
उर आनंद समाता, पाप उतर जाता
ॐ जय लक्ष्मी माता…।।
देवी वैष्णवी की आरती
जय वैष्णवी माता, मईया जय वैष्णवी माता ।
हाथ जोड़ तेरे आगे, आरती मैं गाता ॥
जय वैष्णवी माता...॥
शीश पे छत्र विराजे, मूरतिया प्यारी ।
गंगा बहती चरनन, ज्योति जगे न्यारी ॥
जय वैष्णवी माता...॥
ब्रह्मा वेद पढ़े नित द्वारे, शंकर ध्यान धरे ।
सेवक चंवर डुलावत, नारद नृत्य करे ॥
जय वैष्णवी माता...॥
सुन्दर गुफा तुम्हारी, मन को अति भावे ।
बार-बार देखन को, ऐ माँ मन चावे ॥
जय वैष्णवी माता...॥
भवन पे झण्डे झूलें, घंटा ध्वनि बाजे ।
ऊँचा पर्वत तेरा, माता प्रिय लागे ॥
जय वैष्णवी माता...॥
पान सुपारी ध्वजा नारियल, भेंट पुष्प मेवा ।
दास खड़े चरणों में, दर्शन दो देवा ॥
जय वैष्णवी माता...॥
जो जन निश्चय करके, द्वार तेरे आवे ।
उसकी इच्छा पूरण, माता हो जावे ॥
जय वैष्णवी माता...॥
इतनी स्तुति निश-दिन, जो नर भी गावे ।
कहते सेवक ध्यानू, सुख सम्पत्ति पावे ॥
जय वैष्णवी माता, मैया जय वैष्णवी माता ।
हाथ जोड़ तेरे आगे, आरती मैं गाता ॥