सोमवार का दिन सोमनाथ अर्थात देवों के देव महादेव का माना जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा-आराधना की जाती है। साथ ही सोमवार के दिन चंद्र देव की भी पूजा आराधना की जाती है चूँकि चंद्रदेव का आदि दिवस सोमवार का दिन होता है। ज्योतिष शास्त्र में सोमवार का दिन चंद्र ग्रह के शुभ प्रभाव का प्रदर्शक माना गया है। इस दिन चंद्रमा की प्रिय वस्तुओं का प्रयोग, दान, आदि कर्म किया जाता है। आज के दिन भगवान शिव की विशेष व विधिवत तौर तरीके से पूजा होती है। आइए जानते हैं शिव के पूजन हेतु पूजन विधि-
भोलेनाथ शंकर के अनेकानेक रूप हैं। वह अनेकों रूप में पूजनीय है। उनको प्रसन्न करने हेतु सोमवार को विशेष तौर पर पूजा-आराधना अभिषेक किया जाता है। किंतु शास्त्रों के अनुसार मंत्र विहीन पूजा का कोई महत्व नहीं रहता एवं बिना मंत्र-जप करने वाले व्यक्ति का कोई मूल अस्तित्व नहीं रहता।
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आप भगवान शिव के अनेकों मंत्रों में से अपनी श्रद्धा एवं सुविधा अनुसार मंत्रों का जीवन में शिरोधार्य करें साथ ही प्रतिदिन 108 बार मंत्र जाप अवश्य करें। सोमवार के दिन यह प्रयास करें कि आप अधिक से अधिक भगवान शिव के मंत्रों का जप करें। इससे आपके जीवन में सकारात्मकता, शुभ फल एवं मनोवांछित इच्छाओं की पूर्ति होती रहेगी।
ऊँ अघोराय नम: ।।
ऊँ पशुपतये नम: ।।
ऊँ शर्वाय नम: ।।
ऊँ विरूपाक्षाय नम: ।।
ऊँ विश्वरूपिणे नम: ।।
ऊँ त्र्यंबकाय नम: ।।
ऊँ कपर्दिने नम: ।।
ऊँ भैरवाय नम: ।।
ऊँ शूलपाणये नम: ।।
ऊँ ईशानाय नम: ।।
ऊँ महेश्वराय नम: ।।
ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।
ऊर्ध्व भू फट् ।।
इं क्षं मं औं अं।।
प्रौं ह्रीं ठः। ।
ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा।।
भगवान शिव को भोले भंडारी कहा जाता है जो अपने भक्तों की सभी इच्छाओं का सम्मान करते हैं एवं उसकी पूर्ति हेतु अथक प्रयास करते हैं। अतः उनका सुमिरन किसी भी स्वरूप में मनोकामना पूर्ति दायक होता है। किंतु शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव से धन प्राप्ति हेतु उक्त मंत्रों का उल्लेख किया गया है।
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अतएव अगर आपके जीवन में आर्थिक समस्या विद्यमान हैं, आये दिन आपको किसी ना किसी प्रकार की से आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है, तो प्रतिदिन उक्त मंत्र का घर से निकलने से पूर्व कम से कम 11 बार उच्चारण अवश्य करें। सोमवार के दिन इसका किसी शिव मंदिर में बैठकर 108 बार उच्चारण करें।
मन्दारमालाङ्कुलितालकायै कपालमालांकितशेखराय।
दिव्याम्बरायै च दिगम्बराय नम: शिवायै च नम: शिवाय।।
श्री अखण्डानन्दबोधाय शोकसन्तापहारिणे।
सच्चिदानन्दस्वरूपाय शंकराय नमो नम:॥
सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा आराधना के पश्चात आरती करना विशेष फलदाई होता है। अतः सोमवार को भगवान शिव का अभिषेक एवं विधिवत तौर तरीके से पूजा आराधना कर, आरती का गायन, घंटी-वादन प्रसन्न मन से करें।
भगवान शिव की आरती
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी जगपालनकारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
लक्ष्मी, सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥