अगस्त माह में कर रहे हैं ये चार ग्रह गोचर

These planents are transiting in August 2020

ग्रहों का गोचर जातक के जीवन में सम-विषम परिस्थितियों को उत्पन्न करने का कारक माना जाता है। इसी प्रकार अगस्त माह में बुध, सूर्य, मंगल और शुक्र ग्रह गोचर करेंगे। वे प्रत्येक राशि पर जिस भाव में विराजमान होंगे, जातक को उसी प्रकार फल प्रदान करेंगे। 1 अगस्त को शुक्र ग्रह मिथुन राशि में, 2 अगस्त को बुध ग्रह कर्क राशि में, 17 अगस्त को बुध ग्रह सिंह राशि में व 16 अगस्त को सूर्य ग्रह सिंह राशि में गोचर करेगा, साथ ही 16 अगस्त को ही मंगल कर रहा है अपनी ही राशि मेष में प्रवेश। तो आइए विस्तारपूर्वक जानते हैं कि किस प्रकार होंगे ये सभी गोचर।

मिथुन राशि में शुक्र ग्रह का गोचर

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुक्र एक स्त्री ग्रह माना जाता है। शुक्र को गुरु के समान महत्वता दी जाती है। यह सबसे जगमगाता व शुभ ग्रहों में से एक है। यह जातक को सुख, समृद्धि, यश, बल, बुद्धि व कामुकता का प्रदाता माना जाता है। किसी के वैवाहिक जीवन व विद्यार्थी जीवन में सफलता के मार्ग को यह ग्रह ही दर्शाता है। इसे विभिन्न कलाओं व सौंदर्य का कारक भी माना जाता है।

1 अगस्त 2020 को प्रातः कालीन 5 बजकर 26 मिनट पर शुक्र ग्रह मिथुन राशि में गोचर करेगा। शुक्र ग्रह मिथुन राशि में 1 सितंबर 2020 तक रहेगा। सामान्यता शुक्र ग्रह किसी भी राशि में 23 दिनों तक गोचर करता है, किंतु इस माह यह मिथुन राशि में पूर्णतः 30 दिन तक स्थित रहेगा। शुक्र ग्रह वृषभ और तुला राशि के स्वामी ग्रह भी माना जाता हैं। इसके गोचर से सभी राशियाँ विभिन्न प्रकार से प्रभावित होती हैं जिससे जातक को शारीरिक व सांसारिक जीवन के साथ साथ वैवाहिक जीवन पर भी इसका निश्चित रूप से प्रभाव पड़ता है। ज्योतिष के अनुसार जातक की कुंडली में शुक्र मजबूत स्थिति में होता है तो उसे अपने वैवाहिक व सामाजिक जीवन में सुख की प्राप्ति होती है व ऐसे रूप रंग से बेहद सुंदर, आकर्षित व मनमोहक होते है। वे अपने विपरीत लिंग वाले जातकों के प्रति जल्दी आकर्षित व मोहित हो जाते हैं। इसी के विपरीत शुक्र की कमजोर दशा होने पर जातक को जीवन में अनादि तरह की परेशानियों व समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिससे उनके परिवार में अनेक प्रकार के मतभेद रहते हैं।

कर्क राशि में बुध ग्रह का गोचर

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बुध ग्रह को नवग्रहों में काफी महत्व दिया गया है। इसे सभी ग्रहों में युवराज व राजकुमार का स्थान प्राप्त है। मान्यता है कि इसका कोई अपना अस्तित्व नहीं होता है, इसलिए जिस भी जातक पर यह ग्रह हावी होता है तो यह उसके जीवन में अनेकानेक प्रकार की प्रतिकूल परिस्थितियां उत्पन्न करता है जिससे जातक का जीवन चिंतापूर्वक व्यतीत होता है। भारतीय मूल में यह कहावत है कि यह बिन पेंदी का लोटा है, अर्थात जिस व्यक्ति की कोई दिशा नहीं व न कोई लक्ष्य होता है व वह स्तिथि अनुसार अपने लाभ को सर्वोपरि मानकर उस ओर अग्रसर हो जाता है, वह व्यक्ति समाज के लिये बहुत हानिकारक होता है। इसी प्रकार बुध अपने वजूद की गैरमौजूदगी में जिस राशि में जैसा योग देखता है, उसमें उसी प्रकार ढल जाता है और उसके अनुसार ही जातक की राशि में प्रभावशाली होता है।

बुध ग्रह 2 अगस्त 2020 को 3 बजकर 23 मिनट पर कर्क राशि में गोचर करेगा जहाँ यह ग्रह कर्क राशि में 17 अगस्त 2020 तक प्रातः कालीन 8 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। ज्योतिष विज्ञान का मानना है कि किसी भी जातक की कुंडली में बुध ग्रह के कमजोर होने से उसके जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याएं आती हैं, तरह-तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ता है, मान सम्मान में गिरावट आती है, शिक्षा क्षेत्र में हानि होती है आदि जगत की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। किंतु इसी के विपरीत बुध ग्रह के बलवान होने से जातक को हर क्षेत्र में सफलता की प्राप्ति होती है। यश, बल, धन-संपदा आदि में वृद्धि होती है। वो अपनी तर्कशक्ति व विवेक शीलता के आधार पर, सब को अपनी ओर आकर्षित करता है जिससे उसे अपने जीवन में सदा सफलता व लाभ की प्राप्ति होती है।

मेष राशि में मंगल ग्रह का गोचर

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगल ग्रह को नवग्रहों में सेनानायक का पद प्राप्त है। यह अपने लाल रंग के समान तेज व ऊर्जा का कारक माना जाता है जिसके कारण इसे क्रूर व क्रोधी ग्रह से संबोधित करते हैं। यह ग्रह किसी जातक के जीवन में कठिनाइयां व अमंगल उत्पन्न करने का कार्य करता है। इसे मेष और वृश्चिक राशि का स्वामित्व प्राप्त है। यह जिस भाव से जातक की कुंडली में विराजमान होता है, उसी प्रकार जातक को फल प्रदान करता है। 16 अगस्त को मंगल ग्रह मीन राशि से अपने स्वामी ग्रह मेष राशि में गोचर करेगा। यह 10 सितंबर तक मेष राशि में रहेगा, इसके उपरांत मेष राशि में रहते हुए वक्री करेगा अर्थात 4 अक्टूबर को मंगल ग्रह फिर मीन राशि में गोचर करेगा। इसके उपरांत अपनी चाल के अनुसार एक बार पुनः 24 दिसंबर को मेष राशि में प्रवेश करेगा। कहते हैं कि मंगल ग्रह का प्रभाव सबसे अधिक जातक के जीवन में शारीरिक रूप से पड़ता है। मंगल ग्रह स्थित होने से जातक आकर्षक, सुंदर, क्रूर व पराक्रमी होता है। यह अपने कर्म के अनुसार फल प्राप्ति ना होने पर अति क्रोधित हो जाते है, किंतु यह बड़े से बड़े निर्णय निसंकोच सहर्ष लेने में सक्षम होते हैं।

सिंह राशि में सुर्य ग्रह का गोचर

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य एक विशाल तारा है किंतु इसकी गणना ज्योतिष में नवग्रह के अन्तर्गत की जाती है। इसे समस्त जीव जगत का देवता माना गया है। सूर्य को आदित्य के नाम से भी संबोधित करते हैं क्योंकि इनकी माँ का नाम अदिति था। 16 अगस्त 2020 को शाम 7 बजकर 27 मिनट पर सूर्य ग्रह सिंह राशि में गोचर करेगा। सूर्य ग्रह को नेतृत्व क्षमता, यश, बल, तेज प्रताप आदि का कारक माना जाता है। जातक की राशि में सूर्य शुभ अवस्था में स्थित होता है तो यह सकारात्मक फल को प्रदान करता है। इस दौरान जातक को सभी कार्य में सफलता प्राप्त होती है, उसके भीतर सकारात्मक विचारों का आगमन होता है व सूर्य के समान समाज में उच्च स्थान प्राप्त करता है। किंतु इसके विपरीत प्रभाव से जातक में अहंकार, अभिमान, क्रोध, ईष्या में वृद्धि होती है व स्वास्थ्य संबंधी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है जैसे - बुखार, मिर्गी का दौरा व पेट सम्बन्धि बीमारी आदि।

सिंह राशि में बुध ग्रह का गोचर

बुद्धि व विवेक का कारक ग्रह बुध 17 अगस्त 2020 सुबह 8 बजकर 18 मिनट पर कर्क राशि से सिंह राशि में प्रवेश करेगा। यह 2 सितंबर 2020 को 11 बजकर 52 मिनट तक सिंह राशि में स्थित रहेगा। इसे सुंदरता, मन की एकाग्रता, तन्मयता, विवेक व वाणी आदि का कारक भी माना जाता है।