धार्मिक ग्रंथों एवं ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार सोमवार का दिन भगवान शिव का निर्धारित है। भगवान शिव देवों के देव महादेव कहे जाते हैं। इन्हें इनके त्याग एवं समर्पण के कारण इन्हें सभी देवताओं के भी देवता यानी महादेव की उपाधि दे दी गई है।
समुद्र मंथन के दौरान जब हलाहल विष की उत्पत्ति हुई थी तो संसार के कल्याण हेतु इन्होंने विष का पान कर उन्हें अपने ग्रीवा में स्थान दिया था। इनका त्याग एवं समर्पण आदिकाल से आज तक पूजनीय है।
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इनके अनेकानेक नाम है और साथ ही कई अवतार भी। जब-जब पृथ्वी पर घोर अत्याचार एवं संकट बढ़ता है, तब-तब यह अपने भिन्न-भिन्न रूपों में भूलोक पर अवतरित होकर अपने भक्तों के संकट को हरने का भी कार्य करते हैं। संकट मोचन भगवान श्री हनुमान भी भोलेनाथ शिव शंभू के ही अवतार हैं। शिव शंभू के भोलेपन एवं सरल स्वभाव के कारण उन्हें भोलेनाथ के नाम से भी संबोधित किया जाता है। यह भक्तों की पीड़ा एवं दुख को हरने हेतु तत्काल तत्पर रहते हैं तो वहीं दुष्टों के नाश हेतु भी इनका क्रोध काफी है।
शिव शंकर भक्तों के प्रेम एवं अनुराग से जितनी शीघ्र गति से प्रसन्न होते हैं, उतनी ही शीघ्रता से वे पापियों का नाश भी करते हैं। माना जाता है कि जब भी घोर पाप एवं अत्याचार बढ़ जाता है, तब इनकी तीसरी आँख दुष्टों का समुचित विनाश किया करती है। इनके क्रोध से पापियों का बच पाना असंभव होता है। अगर आप भी इनके कृपा पात्र बनना चाहते हैं, तो भोलेनाथ के दिन अर्थात सोमवार को इन पांच बातों का रखें विशेष ख्याल रखें। भूलकर भी आप इन पांच गलतियों को करने से यथासंभव बचें अन्यथा आप शिव के प्रकोप से ग्रसित हो सकते हैं। अतः उनके प्रकोप से बचाव एवं उनकी कृपा पात्र बने रहने हेतु सोमवार के दिन इन पांच कार्यो को करने से बचें।
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