क्यों की जाती है गुरुवार को विष्णु भगवान की विशेष पूजा?

Why Lord Vishnu is Worshipped on Brihaspativar (Thursday)

भगवान श्री विष्णु जी को सृष्टि का पालनहार एवं पालन पोषण करने वाला कहा जाता है, क्योंकि त्रिदेवों में विष्णु जी को ही संपूर्ण सृष्टि का संचालक कहा जाता है।

भगवान विष्णु को ही बृहस्पति देव का अवतार भी माना जाता है और इसीलिए गुरुवार के दिन इनकी विशेष पूजा की जाती है। विष्णु अर्थात बृहस्पति, ग्रहों में सर्वश्रेष्ठ या फिर कहे ग्रहों के गुरु बृहस्पति को ही माना गया है। बृहस्पति ही वह ग्रह है जो सूर्य के बाद दूसरे सबसे बड़े आकार के स्वामी हैं।  इस दिन भगवान विष्णु या बृहस्पति देव का पूजन करने से भक्तों को विशिष्ट लाभ की प्राप्ति होती है, घर में सुख-समृद्धि एवं शांति का वास होता है, एवं शुभदा बनी रहती है।

गुरुवार के दिन विष्णु जी के बृहस्पति स्वरूप की पूजा करने से मन अनुसार फल प्राप्त होता है। बृहस्पतिवार के दिन व्रत रखना एवं विष्णु जी की पूजा करना धार्मिक प्रावधानों में शुभ माना जाता है जिसके कारणवश किसी का विवाह होने में कोई परेशानी बाधा बन रही है तो उस बाधा का नाश हो जाता है, और मनोवांछित वर/वधू की प्राप्ति होती है।

क्यों की जाती है बृहस्पतिवार को भगवान विष्णु की पूजा?

जिस प्रकार 7 दिनों के हिसाब से हर दिन किसी न किसी देवता को समर्पित है, वैसे ही बृहस्पतिवार को विष्णु जी का विशेष दिन माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार मान्यता है कि पक्षियों में विशिष्ट गरुड़ देव ने गुरुवार के दिन ही विष्णु जी की पूजा करके उन्हें प्रसन्न किया था और उन्हें विष्णु जी की कृपा प्राप्त हुई थी। उसी दिन से ही गुरुवार का दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए सबसे शुभ माना जाने लगा।

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गुरुवार व्रत की पूजा विधि:-

बृहस्पतिवार के दिन गुरुओं में सर्वश्रेष्ठ भगवान विष्णु जी को पूजा के समय हल्दी, चना दाल, पीले रंग का वस्त्र, गुड, नवेद, आदि अर्पित किया जाता है। इस दिन पीले रंग का वस्त्र पहनने और वस्त्र दान करने से विष्णु जी प्रसन्न हो जाते हैं।

मान्यता है कि भगवान विष्णु को पीला रंग अत्यधिक प्रिय है और इसीलिए इस दिन व्रत के समय भगवान को पीले केले का भोग लगाने से पूजा सफल होती है।

बृहस्पति पूजन के समय केले के छोटे-छोटे पौधों की भी पूजा की जाती है। पीले अक्षत एवं पीले भोग पदार्थ का चढ़ावा शुभ माना जाता है, और पीले रंग की किसी वस्तु का दान करना लाभप्रद होता है। पूजा के पश्चात बृहस्पति भगवान की कथा सुनने से मन निर्मल एवं भविष्य उज्जवल होता है।

पूजन के लिए भगवान का भोग बनाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें की प्रसाद में तुलसी के पत्ते डाले गए हो।

व्रत में ध्यान रखें कि एक से दो बार फलाहार ग्रहण करें, और बृहस्पति भगवान की व्रत कथा का पठन भी करें।

जो व्यक्ति स्वास्थ्य से थोड़ा कमजोर है और पूरे दिन का व्रत केवल फलाहार पर नहीं रख पाता, वैसे लोगों के लिए भी कुछ उपाय हैं। यदि आप दिन भर भूखे रहकर व्रत नहीं रख सकते हैं, तो यथासंभव प्रयास करें कि केवल एक समय ही भोजन ग्रहण करें। व्रत करने वाले सदस्य के लिए सेंधा नमक में बनाया गया भोजन पर्याप्त है। व्रत करने वाले को तामसिक भोजन या प्याज लहसुन डाला हुआ खाना नहीं खाना चाहिए।

पूजा की समाप्ति के पश्चात परिवार के सदस्यों में प्रसाद एवं फलाहार आदि वितरित करें।

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गुरुवार के दिन पूजा का महत्व क्या है?

  • गुरुवार के दिन बृहस्पति भगवान का व्रत रखना शुभ माना जाता है।
  • इस दिन श्रद्धा पूर्वक भगवान की पूजा करने से घर परिवार में सुख-शांति का माहौल बना रहता है।
  • जिस घर में बृहस्पतिवार के व्रत का आयोजन किया जाता है, वहाँ महालक्ष्मी जी का वास होता है और घर में आर्थिक समस्याएं उत्पन्न नहीं होती।
  • भगवान विष्णु की पूजा करने से वाद-विवाद, जमीन जायदाद से जुड़े मामले, सगे संबंधियों से प्राप्त निराशा आदि जैसी समस्याओं का मुख्य रूप से निदान हो जाता है।
  • इस व्रत का धारण करने से स्वास्थ्य लाभ की प्राप्ति होती है।
  • परिश्रम से किए गए कार्यों में मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है एवं युवाओं को शिक्षा के क्षेत्र में एवं विद्यार्थी जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
  • यदि आपके किसी भी कार्य में विघ्न आ रहा हो तो बृहस्पतिवार का व्रत रखने से यह दोष समाप्त जाता है। बृहस्पति जी का व्रत रखने से उन्हें अत्यधिक प्रसन्नता होती है और हमें धन और विद्या का लाभ प्राप्त होता है।
  • विशेषकर स्त्रियों के लिए यह व्रत अति आवश्यक एवं महत्वपूर्ण है, कई बार तो संतान प्राप्ति के लिए भी बृहस्पतिवार का व्रत रखा जाता है।
  • जिन लोगों को विवाह में देरी हो रही है, उनको बृहस्पतिवार का व्रत अवश्य करना चाहिए। भगवान विष्णु का पूजन करने से मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।
  • जो भी व्यक्ति पूरे मन से यह व्रत रखता है, ईश्वर उसे कभी निराश नहीं करते और अपना आशीर्वाद हम पर हमेशा बनाए रखते हैं।
  • इतना ही नहीं भगवान विष्णु को देवताओं, इंद्रियों, अप्सराओं, ऋषि-मुनियों, दानवों, किन्नरों, गंधर्व, आदि का गुरु कहा जाता है, इसीलिए कोई भी इस व्रत को कर सकता है। भगवान कभी अपने भक्तों में भेदभाव नहीं करते, जो भी उनकी मन से पूजा करता है, उसे अच्छे फल की प्राप्ति अवश्य होती है।

कथाओं में कई बार सुनने को आता है कि भगवान विष्णु जब भी विचरण करते अपने मार्ग से गुजरते थे, यदि उन्हें कोई निर्बल, असहाय एवं बेसहारा और जरूरतमंद प्राणी दिख जाता, भले ही वह दानव, दैत्य, इंसान, जानवर कोई भी हो, भगवान उसके सिर पर हाथ रखकर उसका उद्धार अवश्य करते थे। उनकी कृपा के इन अवस्थाओं में कोई भक्त उनसे भक्ति का उपकार पाए बिना कैसे विदा हो सकता है। यही कारण है कि आदि काल से लेकर अब तक प्राणीमात्र की श्रद्धा और विश्वास ईश्वर पर बने हुए हैं, और अनंत काल तक अवश्य बने रहेंगे।

यदि भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की पूजा एक साथ की जाए तो घर परिवार पर आने वाले सभी रोगों एवं कष्टों का निवारण हो जाता है।

भगवान बृहस्पति को गुरुओ में सर्वश्रेष्ठ कहा जाता है, इसीलिए भगवान विष्णु को समर्पित गुरुवार का दिन ज्ञान एवं विवेक में भी वृद्धि लाता है। विद्यार्थियों एवं युवाओं को बृहस्पतिवार का व्रत अवश्य करना चाहिए, इससे बुद्धि एवं मनोबल में वृद्धि होती है।