हिंदू धर्म में अनेकानेक पर्व एवं त्योहार मनाए जाते हैं जिसमे अक्षय तृतीया को शुभकर्ता पर्व में से एक माना जाता है। वैसे तो हर मास की अक्षय तृतीया का अपना एक अलग ही महत्व है किंतु वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। अक्षय तृतीया को आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन ज्योतिषीय क्रियाकलाप हमारे अनुकूल होते हैं।
आज के दिन सूर्य और चंद्रमा अपने ग्रह के उच्च प्रभाव में होते हैं। ऐसा माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक की अवधि में आरम्भ किया गया हर कार्य शुभफलदायी होता है।
ऐसी मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन माता रेणुका के गर्भ से भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी का अवतरण हुआ था। हालांकि परशुराम जी चिरंजीवी है, इसीलिए अक्षय तृतीया तिथि को चिरंजीवी तिथि भी कहा जाता है, साथ ही यह सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में भी अपने विशेष महत्व के लिए प्रचलित है।
धर्म शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन किसी अच्छे आचरण और सद्गुणों द्वारा संपन्न बड़े-बुजुर्ग या ज्ञानवान व्यक्ति से आशीर्वाद लेना काफी लाभदायक एवं शुभ सिद्ध होता है।
शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं, उनका परिणाम बेहद सुखद एवं शुभ मिलता है। ऐसा करने से जातकों के जीवन में सुख समृद्धि का वास होता है।
वर्ष 2021 में अक्षय तृतीया 14 मई यानी दिन शुक्रवार को मनाई जाने वाली है जिसमे शुभ मुहूर्त में पूजा उपासना करना अत्यंत शुभ फलदाई माना जाता है। आइए जानते हैं इस दिन के लिए शुभ मुहूर्त-
अक्षय तृतीया के साथ कईं महत्वपूर्ण पौराणिक कथाएं एवं घटनाएं जुड़ी हुई हैं, जैसे:-
सर्वसिद्ध अबूझ मुहूर्त तिथि - अक्षय तृतीया
शास्त्रों के अनुसार सभी शुभ व मांगलिक कार्यों के लिए अक्षय तृतीया तिथि को अत्यधिक शुभ माना गया है। जहाँ किसी भी प्रकार के शुभ व मांगलिक कार्यों को प्रारंभ करने से पूर्ण जातकों को अक्सर शुभ घड़ी, शुभ बेला व शुभ मुहूर्त जानने के लिए पंडित जी से सलाह लेनी पड़ जाती है, वहीं सर्व सिद्धि देने वाली तिथि शास्त्रों के मुताबिक अक्षय तृतीया को मानी जाती है जिसमें किसी भी शुभ मुहूर्त को दिखाने व जानने की आवश्यकता नहीं होती है। शास्त्रों के अनुसार अबूझ मुहूर्त में अक्षय तृतीया के दिन को भी शामिल किया जाता है।
अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदना बेहद शुभ माना गया है, साथ ही इस दिन कहीं-कहीं सोना खरीदने की परंपरा भी है। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से जातक के जीवन में सुख समृद्धि का वास होता है।
अक्षय तृतीया के दिन विवाह, ग्रह प्रवेश जैसे शुभ कार्य भी पंचांग देखे बिना ही किए जा सकते हैं।
अक्षय तृतीया के दिन हवन और पूजा अर्चना करना जातक के लिए बेहद सुखद परिणाम लाता है। इस दिन पूजा-पाठ करने से जातक को सत्य, धर्म और न्याय के मार्ग पर चलने की शक्ति मिलती है।
आज के दिन जरूरतमंदों एवं गरीबों को दान देना अत्यंत ही शुभ माना जाता है। कुछ स्थानों पर अक्षय तृतीया की तिथि पर चांदी के आभूषण खरीदने का भी विधान है। कुछ लोग घर में पूजन हेतु तांबा, पीतल आदि के धातु से बने बर्तन आदि के साथ ही लक्ष्मी माता की चरण पादुका प्रतिमा आदि को खरीद कर पूजा स्थापना करते हैं।
ये भी पढ़ें: राशिफल द्वारा जानें अपना भाग्य
माँ लक्ष्मी की पूजा हेतु मंत्र
।। ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ ।।
।। ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम: ।।
।। ॐ सर्वाबाधा विर्निमुक्तो धनधान्यसुतान्वित:, मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय: ।।
अक्षय तृतीया पर दान का विशेष महत्व है। कहा जाता है इस दिन किया गया दान कई गुना अत्यधिक फलित होकर प्राप्त होता है। आज के दिन मौसम के अनुकूल फल, अन्न आदि का दान करना चाहिए। आज ऋतु फल जैसे ककड़ी, खीरा, तरबूज, गुड़, सत्तू आदि जैसे शीतल एवं मीठे पदार्थों का दान करना जीवन में मिठास, शीतलता, शांति व खुशहाली लाता है।
ऐसा माना जाता है कि अक्षय तृतीया पर जरूरतमंद को दान करने से स्वयं श्री कृष्ण की कृपा दृष्टि बरसती है। पूजन क्रिया एवं दान कर्म आदि के समापन पश्चात इस मंत्र का उच्चारण करें।
अन्यथा शरणम नास्ति त्वमेव शरणम मम।
तस्मात कारुण्य भावेन रक्ष माम चतुर्भुजम।।
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन पितरों का तर्पण, पिंड दान आदि करने से उन्हें तत्काल मुक्ति की प्राप्ति होती हैं एवं अक्षय फल प्राप्त होता है। आज के दिन किया गया दान कई गुना अधिक फलित होकर प्राप्त होता है।
ये भी देखें: पितृ दोष से मुक्त करेंगे के उपाय
शास्त्रों में तो यह भी वर्णन किया गया है कि अक्षय तृतीया के दिन किया गया जप, तप, हवन, स्वाध्याय आदि संचित होकर अंतर जगत के मानस पटल पर अंकित हो जाता है एवं अक्षय रूप में समाहित रहता है। विशेषकर जब यह तिथि रोहिणी नक्षत्र में आता है तो इसका प्रभाव कई गुना अधिक बढ़ जाता है।
भारत में प्रचलित कुछ अन्य पर्व एवं त्यौहार: