हिंदू धर्म में अनेकानेक प्रकार के व्रत, उपवास, पूजा, पाठ आदि निहित हैं जिसमें से सभी व्रतों में से सर्वश्रेष्ठ एवं शिरोमणि एकादशी के व्रत को माना जाता है।
एकादशी का व्रत सभी व्रतों में सर्वोत्तम और मोक्ष प्रदायक कहा गया है। एकादशी व्रत के संबंध में स्वयं भगवान श्री कृष्ण व्याख्यान प्रकट करते हैं जिसका तत्कालीन उल्लेख श्रीमद्भगवद्गीता में विस्तृत तौर पर देखने को मिलता है।
पूरे वर्ष भर में 24 एकादशी व्रत का प्रावधान है, किंतु जिस वर्ष मलमास लग जाता है, उस वर्ष यह बढ़कर 26 एकादशी हो जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि जो भी जातक वर्ष भर के सभी एकादशी व्रत को जीवन में धारण करता है, उन जातकों के जीवन में खुशहाली व सुख-समृद्धि आजीवन बनी रहती है, साथ ही ऐसे व्यक्ति को अवश्य ही मोक्ष की प्राप्ति होती है।
वर्ष भर के कई एकादशी व्रत के मध्य आमलकी एकादशी को काफी महत्वकारी माना जाता है। इस वर्ष अमलकी एकादशी व्रत की तिथि 25 मार्च 2021 की है।
आमलकी एकादशी का व्रत हर वर्ष फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। इस एकादशी को रंग भरी एकादशी कह कर भी संबोधित किया जाता है। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु माता लक्ष्मी के साथ-साथ आंवले के पेड़ की विशेष पूजा आराधना की जाती है। जातक इस एकादशी के व्रत को श्रद्धा पूर्वक धारण करते हुए भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा आराधना करते हैं, साथ में आंवले के पेड़ की पूजा आराधना भी करते है।
तो आइए आज हम जानते हैं आमलकी एकादशी व्रत की तिथि, मुहूर्त, व्रत विधि, व्रत के धार्मिक महत्व आदि से लेकर व्रत के लाभ एवं उपाय के बारे में।
इस वर्ष आमलकी एकादशी व्रत हेतु 25 मार्च 2021 दिन बृहस्पतिवार की तिथि निर्धारित है।
एकादशी तिथि आरम्भ:- 24 मार्च 2021 दिन बुधवार प्रातः 10 बजकर 23 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्ति:- 25 मार्च दिन बृहस्पतिवार प्रातः 09 बजकर 47 मिनट पर।
पारण (व्रत तोड़ने का) समय:- 26 मार्च दिन शुक्रवार प्रातः 06 बजकर 18 मिनट से प्रातः 08 बजकर 21 मिनट तक।
किसी भी पर्व त्योहार व्रत आदि हेतु उचित मुहूर्त समय तिथि आदि काफी महत्वकारी होते हैं, अतः आप इसका पालन अवश्य करें।
ये भी देखें: अपना आज का राशिफल जानिए
ये भी देखें: नवग्रह दोष शांति हेतु सरल उपाय
वैसे तो सभी व्रतों में ही एकादशी व्रत को सर्वश्रेष्ठ व शिरोमणि माना जाता है, किंतु आमलकी एकादशी का विशेष महत्व माना जाता है। आमलकी एकादशी व्रत की धारणाएं आंवले के पेड़ से भी संबंधित है। ऐसा माना जाता है कि आमलकी एकादशी पृथ्वी के निर्माण काल से जुड़े रहस्य से संबंधित है।
ऐसी मान्यताएं प्रचलित हैं कि जब भगवान श्री हरि विष्णु सृष्टि की रचना कर रहे थे, उस दौरान उन्होंने आंवले के पेड़ को सृष्टि की रचना के आरंभ के समय प्रतिष्ठित किया था और उसमें ईश्वर के वास को जग जाहिर किया था। तब से आंवले के पेड़ को काफी महत्वकारी माना जाता है और आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है।
ऐसा माना जाता है कि जो भी जातक अमलकी एकादशी व्रत के दिन भगवान श्री हरि विष्णु तथा माता लक्ष्मी की पूजा आराधना के साथ-साथ आंवले के पेड़ की पूजा आराधना करते हैं तथा श्रद्धा भाव से अमलकी एकादशी का व्रत धारण करते हैं, उन जातकों को अवश्य ही मोक्ष की प्राप्ति होती है, साथ ही ऐसे जातकों के जीवन की सभी बाधाएं समस्याएं समाप्त हो जाती है। ऐसे जातकों के ऊपर सृष्टि के पालन एवं पोषण करता भगवान श्री हरि विष्णु की कृपा दृष्टि और धनधान्य की देवी माता लक्ष्मी की कृपा निरंतर बनी रहती है।
आमलकी एकादशी के दिन करें ये उपाय
एकादशी व्रत को मोक्ष प्रदायक व्रत माना जाता है, अतः जातकों को किसी भी एकादशी व्रत के पारण वाली तिथि को अधिक से अधिक दान पुण्य का कार्य करना चाहिए।
एकादशी व्रत के पारण वाली तिथि को आप गरीब व लाचार तथा जरूरतमंदों को भोजन ग्रहण करवाएं, साथ ही आप अपने सामर्थ्य अनुसार जरूरतमंदों को वस्त्र, अन्न, धन आदि प्रदान भी करें। इससे आपके जीवन में कभी भी सुख-संपत्ति व ऐश्वर्य की कमी नहीं होगी।