भगवान विष्णु के अनन्त स्वरूप का करें एकसाथ पूजन, धारण करें अनन्त के सूत्र, मनायें अनन्त चतुर्दशी का त्योहार
सनातनी हिंदू समाज मे अनेकानेक प्रकार के भिन्न-भिन्न पर्व त्यौहार हैं जिनके अपने अलग-अलग मायने एवं महत्त्व होते हैं। इनमे से एक अनंत चतुर्दशी का त्यौहार भी है। हर वर्ष भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। कई स्थानों पर इसे अनंत चौदस के नाम से भी संबोधित किया जाता है। अनंत चतुर्दशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा आराधना की जाती है, साथ ही अनंत चढ़ाया जाता है।
इसके अलावा भगवान श्री गणेश की इसी दिन विदाई भी की जाती है। जब भाद्र मास की चतुर्थी तिथि को भगवान श्री गणेश की स्थापना कर गणेश चतुर्थी का उत्सव मनाया जाता है, तो उनकी विदाई की तिथि चतुर्दशी तिथि के निर्धारित की जाती है, अर्थात आज के दिन भगवान श्री गणेश का विसर्जन भी किया जाता है। अनंत चतुर्दशी के दिन प्रायः जातक व्रत रखते हैं एवं भगवान विष्णु की विशेष उपासना करते हैं। कई स्थानों पर अनंत चतुर्दशी की तिथि को फलाहार व्रत किया जाता है, तत्पश्चात अनंत चतुर्दशी वाली तिथि को प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि कर अनंत भगवान की विशेष पूजा की जाती है। इस पूजा में रेशम व अन्य धागों से निर्मित अनंत को अनंत भगवान को चढ़ाया जाता है। तत्पश्चात इसकी पूजा कर सभी जातक इसे अपने हाथ अथवा गले में धारण करते हैं, फिर प्रसाद ग्रहण करने के पश्चात ही भोजन ग्रहण करते हैं ।
इस वर्ष अनंत चतुर्दशी यानी भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 1 सितंबर 2020 को मनाई जा रही है। सभी जातक विधि विधान से पूजन की प्रक्रिया व्रत आदि का संकल्प लेंगे। तो आइए जानते हैं सर्वप्रथम अनंत चतुर्दशी मनाने के पीछे के महत्व व मान्यताओं के संबंध में।
इस व्रत के संबंध में ऐसा कहा जाता है कि सर्वप्रथम अनंत चतुर्दशी का व्रत पांडवों के द्वारा किया गया था। जब पांडव अपना राजपाट हार गए थे, वे काफी चिंतित थे जिस पर युधिष्ठिर ने अपनी स्थिति के सुधार व सकारात्मक परिवर्तन हेतु भगवान श्री कृष्ण से कुछ उपाय मांगे जिस पर भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा - हे युधिष्ठिर, माता लक्ष्मी तुमसे इन दिनों रुष्ट हो गई हैं, उन्हें प्रसन्न करने हेतु तुम एवं सभी पांडव द्रौपदी सहित अनंत चतुर्दशी का व्रत धारण करो तथा भगवान श्री हरि विष्णु के अनंत स्वरूपों का भान करो। इससे माता लक्ष्मी तुमसे प्रसन्न होंगी एवं तुम पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखेंगी।
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अनंत चतुर्दशी की तिथि को 14 गांठ वाले रेशम के धागे व अन्य भागों को अपने हाथों में या फिर गले में धारण किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि14 गांठ के माध्यम से जातक भगवान विष्णु के 14 अवतारों को जीवन में स्थान देता है एवं इसका धारण करता है। ऐसा करने से जातकों के ऊपर भगवान विष्णु के 14 अवतार की कृपा दृष्टि सदैव बनी रहती है।
अनंत चतुर्दशी को लोग प्रायः व्रत भी धारण करते हैं। इससे व्यक्ति के अंदर के सात्विकता के साथ त्याग व समर्पण की भावना बनी रहती है। त्याग व समर्पण से जातकों के व्यक्तित्व का परिष्कार होता है, इसलिए जातक 1 दिन पूर्व ही अनंत चतुर्दशी हेतु त्रयोदशी तिथि को व्रत धारण कर स्वयं को अनंत के धागे को धारण करने योग्य पात्रता बनाते हैं। तत्पश्चात जातक दूसरे दिन शुभ संकल्पों के साथ अनंत को अपने हाथों में धारण कर भगवान विष्णु का आशीष प्राप्त कर माता लक्ष्मी देवी कृपा पात्र बनते हैं।
इस वर्ष भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि हिंदी कैलेंडर के मुताबिक 1 सितंबर की पड़ रही है। 1 सितंबर 2020 को अनंत पूजा विधि विधान से मनाया जाएगा। अनंत पूजा हेतु पूजन का शुभ मुहूर्त पंचांग के मुताबिक प्रातः काल 5 बजकर 59 मिनट से लेकर 9 बजकर 40 मिनट तक का बना हुआ है। इस काल अवधि में पूजा करना अत्यंत ही शुभ एवं अति फलदाई रहेगा।
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अनंत चतुर्दशी के पूजन हेतु आप 1 दिन पूर्व ही त्रयोदशी की तिथि को ही प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान पूजन की क्रिया करें एवं भगवान विष्णु से प्रार्थना करें कि वह आपको इतनी पात्रता प्रदान करें कि आप उनके 14 स्वरूपों को अनंत के रूप में अपने जीवन में धारण कर सकें। इसी बात का ध्यान करते हुए मन ही मन संकल्पित होकर पूरे दिन फलाहार अथवा बिना नमक के भोजन का सेवन करें। ध्यान रहे आप त्रयोदशी तिथि को सूर्यास्त के पश्चात अन्न, जल या फल जैसे सभी तत्व का सेवन वर्जित है, अतः कुछ भी ग्रहण न करें। फिर दूसरे दिन अर्थात चतुर्दशी तिथि को प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। तत्पश्चात भगवान श्री हरि विष्णु के प्रिय रंग अर्थात पीले रंग के वस्त्रों का धारण करें। फिर शुभ मुहूर्त अनुसार पूरे विधि विधान से अनंत भगवान का पूजन करें ।
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अनंत भगवान के स्वरुप अवतार के रूप में की जाती है। भगवान विष्णु अर्थात अनंत भगवान के पूजन के साथ-साथ आप अनंत को भी पूजन करें। सामान्य तौर पर अनंत आपको इस दिन बाजार में उपलब्ध हो जाएगा। अगर ना हो तो आप रेशम के धागों को लेकर उसमें 14 गांठ बांध दें, तत्पश्चात इसे भगवान विष्णु के समीप पूजित कर अपने हाथ व गले में धारण करें। अनंत धारण करने के पश्चात आप सर्वप्रथम प्रसाद का सेवन करें तत्पश्चात ही भोजन करें।