जेष्ठ माह में पड़ने वाली कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी के नाम से जाता है। इस दिन भगवान श्री विष्णु की आराधना की जाती है।
कहा जाता है कि भगवान विष्णु की पूजा करने से हमें समुचित लाभ प्राप्त होता है। भगवान के या यू कहें श्री हरि विष्णु के सभी अवतार अलौकिक एवं स्वयं में अद्वितीय हैं। उनकी शक्तियों व भक्ति के भिन्न-भिन्न स्वरूप का अवतरण हमें अपनी पौराणिकता एवं मूल सभ्यता से जोड़ता है। अतः इन्हीं वजहों से व्रत रखने की क्रिया को भी सनातन धर्म मे बहुत महत्वकारी माना गया है।
अपरा एकादशी को अचला एकादशी एवं भद्रकाली एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। केवल भारतवर्ष में ही नहीं बल्कि यह व्रत दुनिया के और भी कई देशों में अलग-अलग नामों के साथ मनाया जाता है।
भगवान श्री विष्णु की भक्ति का यह व्रत हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है। भगवान विष्णु को सृष्टि का पालनहार माना गया है, अर्थात ईश्वर का वह रूप जो इस संसार, सृष्टि और ब्रह्मांड में चल रही गतिविधियों को नियंत्रित करता है, एवं प्राणी मात्र का पालन पोषण करता है।
अपरा एकादशी का व्रत इस साल 6 जून 2021 दिन रविवार को पड़ रहा है। मान्यताओं के अनुसार जो यह व्रत रखता है, उसके सारे दुख कष्ट व रोग दूर हो जाते हैं, साथ ही यश में वृद्धि होती है और मानसिक विकार उसके आसपास भी नहीं आता।
क्यों मनाया जाता है अपरा एकादशी का व्रत?
हिंदू धर्म में प्राचीन व पौराणिक सभ्यता के अनुसार अपरा का मतलब होता है अपार पुण्य, अथवा अधिकतम पुण्य। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान श्री विष्णु का पूजन करने से व्यक्ति को समुचित लाभ, सुख-समृद्धि, वैभव ,आरोग्य, वंश, निष्काम, सफलता, प्रसन्नता आदि की प्राप्ति होती है। पौराणिक काल के शास्त्रों में ग्रंथों का अध्ययन करने से पता चलता है कि जो व्यक्ति भी इस दिन व्रत रखता है, उसे अथाह पुण्य प्राप्त होता है।
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हर वर्ष जेष्ठ मास की कृष्ण पक्ष के एकादशी तिथि को ही अपरा एकादशी के नाम से मनाया जाता है। इस साल 5 जून 2021 के दिन शनिवार सुबह 04 बजकर 07 मिनट से एकादशी तिथि प्रारंभ हो रही है। इसी समय से अपरा एकादशी के योग बन रहे हैं और एकादशी की यह तिथि रविवार 6 जून 2021 को सुबह 6 बजकर 19 मिनट तक रहेगी, अर्थात इस बार अपरा एकादशी का व्रत 5 जून की सुबह से प्रारंभ होकर 6 जून की सुबह तक चलेगा। इसके साथ ही आपको बताना चाहेंगे कि अपरा एकादशी की पारण तिथि यानी कि व्रत खोलने की तिथि 7 जून 2021 को सोमवार के दिन सुबह 6 बजे से लेकर 08 बजकर 39 मिनट तक रहेगी।
अपरा एकादशी का महत्व
हिंदू धार्मिक कथाओं में अपरा एकादशी का बहुत महत्व माना गया है। पौराणिक कथाओं में वर्णन कुछ इस प्रकार आता है कि - जब महाभारत का युद्ध चल रहा था, तो भगवान श्री कृष्ण ने पांडु के पुत्रों यानी कि पांडवों को यह व्रत रखने की सलाह दी थी और इस व्रत के समन के साथ ही उन्हें आशीर्वाद दिया था कि युद्ध में उनकी विजय होगी। इस व्रत में पांडवों को अविश्वसनीय परिणाम दिए और भगवान श्री कृष्ण की यह वाणी सत्य हो गई।
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कहा जाता है कि पांडवों ने यह व्रत रखा, इसीलिए वे युद्ध में विजय हुए। यह व्रत असल में बहुत महत्वपूर्ण है और जो भी व्यक्ति यह व्रत करता है और इस दिन भगवान श्री विष्णु की पूजा करता है, उसको सारे दोषों, कष्टों, विकारों, कुंठा, रोगों आदि से मुक्ति मिल जाती है।
मान्यता तो यह भी है कि इस व्रत का परिणाम इतना प्रबल होता है कि हमारे ब्रह्म हत्या यानी कि ब्राह्मणों को मारना, भूत योनि अर्थात जन्म के समय गलत योनि प्राप्त होना, परनिंदा यानी कि दूसरों के बारे में गलत बोलना और उनके बारे में गलत सोचना, झूठ का सहयोग देना, गलत कार्यों में संलग्न रहना, मन को दूषित करने वाले शास्त्रों का पठन करना, जैसे किए गए और भी ना जाने कितने ही पापों से मुक्ति मिलती है।
इस व्रत के साथ ही प्राप्त होने वाले पालनकर्ता, भगवान श्री विष्णु के आशीर्वाद से जीवन के अनेकानेक कष्ट दूर होते है, परिवार में शांति एवं सुख का माहौल बना रहता है, कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है एवं दुश्मन हमारे आसपास भी नही आते। गुण के साथ-साथ पुण्य की प्राप्ति के लिए भी यह व्रत रखा जाता है।