जब सूर्य अपनी राशि परिवर्तित करता है तो संक्रांति का आवागमन होता है। अर्थात सूर्य के राशि गृह बदलने पर उसके साथ संक्रांति नाम जुड़ जाता है। उदाहरण के तौर पर जब भी सूर्य मकर राशि में दाखिल होता है तो वह तिथि मकर संक्रांति कहलाती है। ऐसे ही जब सूर्य कुंभ राशि में दाखिल होगा है तो यह दिन कुंभ संक्रांति के नाम से जाना जाता है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कभी भी एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने हेतु सूर्य को लगभग एक माह का वक्त लगता है। वर्ष के सभी 12 माह में सूर्य अलग-अलग राशियों में प्रवेश करता है जिसे हम सौर मास के नाम से भी जानते हैं। इसमें कुम्भ संक्रांति का अपना एक अलग ही अहम महत्व है।
वर्ष 2021 में कुंभ संक्रांति 12 फरवरी दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी। इस दिन रात्रि 09 बजकर 27 मिनट पर सूर्य कुम्भ राशि मे प्रवेश करेगा। कुंभ संक्रांति के दिन का पुण्यकाल दोपहर 12 बजकर 36 मिनट से आरंभ होकर शाम 06 बजकर 09 मिनट तक चलायमान रहेगा, जबकि महा पुण्य काल शाम 04 बजकर 19 मिनट से शाम 06 बजकर 09 मिनट तक रहेगा। ऐसी मान्यता है कि इस कालखंड में गौ दान, अन्न दान आदि के साथ प्रयागराज में कुंभ स्नान और अन्य पवित्र नदियों में स्नान का सबसे शुभ समय होगा है। इस दिन का हर राशि पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है।
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इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर भगवान सूर्य को जल से आर्घ्य प्रदान करें। भगवान सूर्य को अर्घ्य देते समय सूर्य अर्घ्यं मंत्र का जप करें। अगर संभव हो तो आज के दिन कुम्भ यानी संगम में स्नान करें, या फिर गंगा के पवित्र नदी में स्नान करें। फिर निम्न मंत्र का उच्चारण करें:
मंत्र
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते।
अनुकंपये माम भक्त्या गृहणार्घ्यं दिवाकर:।।
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