शिवरात्रि हिंदू धर्म के अनेकानेक प्रकार के पर्व, त्योहार, व्रत आदि के मध्य काफी महत्वकारी माना जाता है। शिवरात्रि व्रत को लोग बड़े ही श्रद्धा भाव से धारण करते हैं। कुंवारी कन्याएं इच्छित वर की प्राप्ति हेतु अथवा विवाह से संबंधित समस्याओं के निवारण के लिए भी यह व्रत धारण करती हैं, तो वहीं कई लोग तंत्र-मंत्र विद्या में प्रगाढ़ होने हेतु शिवरात्रि व्रत का धारण करते हैं। शिव के प्रति अपनी भक्ति भावना को दर्शाने हेतु जातक शिवरात्रि व्रत को धारण करते हैं।
शिवरात्रि व्रत हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है जिसे मासिक शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। वहीं मासिक शिवरात्रियों में से कुछ शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। अमांत पंचांग के मुताबिक जो शिवरात्रि माघ के महीने में आती है, उसे महाशिवरात्रि कहकर संबोधित किया जाता है और उसमें भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, जबकि वहीं पूर्णिमा तिथि पंचांग के मुताबिक फाल्गुन महीने में आने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कह कर संबोधित किया जाता है और भगवान शिव के प्रति विशेष भक्ति भावना प्रकट करते हुए उनकी पूजा की जाती है।
महाशिवरात्रि को बहुत ही अधिक महत्व माना जाता है। हिंदू धर्म में महा शिवरात्रि पर्व को पूरे राष्ट्र भर में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। वहीं कई शिव भक्त मासिक शिवरात्रि के व्रत को धारण कर शिव के प्रति अपनी भक्ति भावना प्रकट करते हैं और बड़े ही श्रद्धा भाव से व्रत को धारण करते हैं। शिवरात्रि व्रत के संबंध में वैदिक पुराणों में यह उल्लेख किया जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन सर्वप्रथम रात्रि के मध्य काल में भगवान शिव अपने लिंग स्वरूप में प्रकट हुए थे जिस कारण से इसे शिवरात्रि कह कर संबोधित किया जाता है।
माना जाता है कि पहली बार इस शिवलिंग की पूजा आराधना भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी द्वारा की गई थी। इस कारण से ही महाशिवरात्रि को भगवान शिव के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है। हालांकि शिवरात्रि के पीछे भगवान शिव और शक्ति के मिलन अर्थात शिव और शक्ति के विवाह हेतू भी मान्यताएं प्रचलित है। किंतु शिवलिंग की जब चर्चा की जा रही हो तो शिवरात्रि को भगवान शिव के लिंग स्वरूप के अवतरण के रूप में महत्व दिया जाता है।
शिवरात्रि का व्रत प्राचीन काल से चला आ रहा है जिसे लोग बड़े श्रद्धा भाव से और धूमधाम से मनाते हैं। तो आइए जानते हैं मासिक शिवरात्रि व्रत हेतु उचित समय तिथि आदि के संबंध में।
महाशिवरात्रि के महत्व के संबंध में मान्यताएं सर्वत्र प्रचलित है। किंतु मासिक शिवरात्रि के संबंध में बहुत कम जातकों को ज्ञात होता है। मासिक शिवरात्रि को काफी महत्वकारी माना जाता है।
पूजन हेतु विधि विधान
11 जनवरी 2021 (सोमवार) - पौष कृष्ण चतुर्दशी, 11 जनवरी दोपहर 02 बजकर 32 मिनट से 12 जनवरी दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर।
10 फरवरी 2021 (बुधवार) - माघ कृष्ण चतुर्दशी, 9 फरवरी देर रात्र 02 बजकर 05 मिनट (10 फरवरी 02:05am) से 10 फरवरी देर रात्रि 01 बजकर 08 मिनट (11 फरवरी 01:08am) पर।
11 मार्च 2021 (गुरुवार) - फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी, 11 मार्च दोपहर 02 बजकर 40 मिनट से 12 मार्च दोपहर 03 बजकर 01 मिनट पर।
10 अप्रैल 2021 (शनिवार) - चैत्र कृष्ण चतुर्दशी, 10 अप्रैल प्रातः 04 बजकर 28 मिनट से 11 अप्रैल प्रातः 06 बजकर 02 मिनट पर।
9 मई 2021 (रविवार) - वैशाख कृष्ण चतुर्दशी, 9 मई शाम 07 बजकर 30 मिनट से 10 मई रात 09 बजकर 54 मिनट पर।
8 जून 2021 (मंगलवार) - ज्येष्ठ कृष्ण चतुर्दशी, 8 जून सुबह 11 बजकर 25 मिनट से 9 जून दोपहर 01 बजकर 57 मिनट पर।
8 जुलाई 2021 (बृहस्पतिवार) - आषाढ़ कृष्ण चतुर्दशी, 8 जून सुबह तड़के 03 बजकर 22 मिनट से 9 जुलाई सुबह 05 बजकर 15 मिनट पर।
6 अगस्त 2021 (शुक्रवार) - श्रावण कृष्ण चतुर्दशी, 6 अगस्त शाम 06 बजकर 30 मिनट से 6 अगस्त शाम 07 बजकर 11 मिनट पर।
5 सितम्बर 2021 (मंगलवार) - भाद्रपद कृष्ण चतुर्दशी, 5 सितम्बर सुबह 08 बजकर 22 मिनट से 6 सितम्बर सुबह 07 बजकर 38 मिनट पर।
4 अक्टूबर 2021 (मंगलवार) - आश्विन कृष्ण चतुर्दशी: 4 अक्टूबर रात 09 बजकर 05 मिनट से 5 अक्टूबर शाम 07 बजकर 05 मिनट पर।
3 नवंबर 2021 (मंगलवार) - कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी, 3 नवंबर प्रातः 09 बजकर 02 मिनट से 4 नवंबर प्रातः 06 बजकर 03 मिनट पर।
2 दिसंबर 2021 (मंगलवार) - मार्गशीर्ष कृष्ण चतुर्दशी, 2 दिसंबर रात 08 बजकर 26 मिनट से 3 दिसंबर शाम 04 बजकर 55 मिनट पर।