हिंदू धर्म व ज्योतिष शास्त्र के अनुसार साल में एकादशी के 24 व्रत होते हैं और हर महीने में एकादशी के व्रत अवश्य होते हैं। हिंदू धर्म में हर एकादशी के व्रत का अपना-अपना अलग महत्व होता है, खासकर वैशाख के महीने में पड़ने वाली एकादशी का व्रत हिंदुओं में बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है जिसे मोहिनी एकादशी कहा जाता है।
हिंदू धर्म के अनुसार ऐसी मान्यता है कि मोहिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लेकर देवताओं का मन मोह होने के साथ ही उन्हें अमृत पान कराया था। मोहिनी एकादशी का मुख्य उद्देश्य समस्त पापों की शांति होता है। तो चलिए जानते हैं कि इस वैशाख के महीने में मोहिनी एकादशी कब है और इसका क्या महत्व है।
प्रतिवर्ष वैशाख के महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन मोहिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस साल 2021 में मोहिनी एकादशी का व्रत 23 मई दिन रविवार को है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से मोहिनी एकादशी का व्रत रखता है, उसे हर प्रकार के दुख व समस्या से राहत मिलती है, और इसी के साथ ही उसकी हर इच्छा पूरी होती है।
शुभ मुहूर्त
वैशाख के महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 22 मई 2021 दिन शनिवार को प्रातः 9 बजकर 15 मिनट पर आरंभ होगी, जो 23 मई 2021 की सुबह 6 बजकर 42 मिनट पर समाप्त होगी।
इस बार एकादशी की उदया तिथि 23 मई 2021 को है, इसलिए मोहिनी एकादशी का व्रत 23 मई को ही रखा जाएगा।
इस वर्ष एकादशी के व्रत का पारण का समय 24 मई 2021 दिन सोमवार को सुबह 06 बजकर 01 मिनट से सुबह के ही 08 बजकर 39 मिनट तक है।
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पौराणिक कथाओं के अनुसार जब समुद्र मंथन के समय अमृत से भरा हुआ कलश प्राप्त हुआ था जिसे लेकर देवताओं और असुरों के मध्य इस बात पर बहस होने लगी कि कौन सर्वप्रथम अमृत का पान करेगा। अमृत पान को लेकर देवताओं और असुरों में युद्ध होने लगा।
तब ऐसी स्थिति को देखकर भगवान विष्णु ने सुंदर मोहिनी नाम की स्त्री का रूप धारण किया जिसे देखकर सभी असुर मंत्रमुग्ध हो गए। इसके बाद भगवान विष्णु ने अपने मोहिनी अवतार में ही असुरों से अमृत का वह कलश लेकर सभी देवताओं को पिला दिया। इसके बाद वे सभी देवता अमर हो गए। इसीलिए ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु ने जिस दिन मोहिनी अवतार लिया था, उस दिन वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी थी, और इसी कारणवश तब से उस दिन को मोहिनी एकादशी के रूप में मनाया जाने लगा।
मोहिनी एकादशी से संबंधित एक अन्य कथा
सरस्वती नदी के रमणीय तट पर भद्रावती नामक एक सुंदर नगरी थी जहाँ धृतिमान नामक राजा राज्य करता था जोकि चंद्र वंश में उत्पन्न और सत्य प्रतिज्ञ थे।
उसी नगर में धनपाल नामक एक वैश्य रहता था जो कि बहुत ही धनवान और समृद्ध था। वह हमेशा नेक कार्य में लगा रहता था। गांव में सभी के लिए कुंआ, प्याऊ, मठ तथा बगीचा आदि बनवाता रहता था।
धनपाल भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था और हमेशा उनकी पूजा करता था। उसके पांच पुत्र थे जिनके नाम सुमना, द्युतिमान, मेधावी, सुकृत तथा धृष्ट्बुद्धि थे। धृष्ट्बुद्धि उनके पांचवे पुत्र का नाम था, उसका नाम हमेशा बड़े-बड़े पापों में रहता था क्योंकि वह हमेशा जुआ जैसे दुर्व्यसन करता रहता था। वह हमेशा वेश्याओं से मिलने के लिए आतुर रहता था और अधिकतर गलत कामों में अपने पिता का धन बर्बाद करता रहता था।
एक दिन धनपाल ने अपने उस पुत्र से परेशान होकर उसको घर से बाहर निकाल दिया। घर से निकाल दिया जाने पर उसके पास ना तो पैसा था और ना ही खाने का कुछ सामान जिसके कारण वह भूख-प्यास से दर-दर भटकने लगा।
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भटकते-भटकते एक दिन वह महर्षि कौण्डिन्य के आश्रम में पहुंचा और हाथ जोड़कर उनसे बोला - हे! ब्राह्मण, मुझ पर दया कीजिए और मुझे कोई ऐसा उपाय बताइए जिससे मेरे सभी पापों का नाश हो और मैं फिर से एक नया व सुखी जीवन जी सकूं। तब महर्षि बोले कि- वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोहिनी नामक एकादशी का व्रत करने से सभी प्रकार के पापों का नाश होता है और पूर्व जन्म के सभी अपराध माफ होते हैं।
महर्षि के मुख्य से यह वाक्य सुनकर धृष्ट्बुद्धि बहुत ही प्रसन्न हो गया। उसने महर्षि द्वारा बताए अनुसार विधि पूर्वक मोहिनी एकादशी का व्रत पूरी श्रद्धा व आस्था से किया। मोहिनी एकादशी का व्रत करने से वह पाप रहित हो गया और उसके अंदर सद्भाव का जागरण हुआ और फिर वह सभी पापों से रहित होकर गरुड़ पर विराजमान होकर अपने दिव्य देह को धारण कर श्री विष्णु धाम की ओर प्रस्थान कर गया।
इसीलिए कहा जाता है कि मोहिनी एकादशी का व्रत बहुत ही उत्तम होता है। इसे करने से सहस्त्र गोदान का फल प्राप्त होता है।
मोहिनी एकादशी का महत्व
मोहिनी एकादशी के दिन मुख्य रूप से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। एक ऐसी भी मान्यता है कि जब सीता जी वन में चली गई थी, तब राम भगवान बहुत दुखी थे। तब उन्होंने अपने दुख को दूर करने के लिए मोहिनी एकादशी का व्रत रखा था। कहा जाता है कि दिन जो भी व्यक्ति सच्चे मन से व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, उनके जीवन से सारे कष्ट मिट जाते हैं और उनका जीवन सुखी हो जाता है।