हिन्दू धर्म में प्रत्येक प्राणी का देवी-देवताओं के रूप में पूजन किया जाता है। इसी प्रकार हिन्दू धर्म में नाग देवता की पूजा-अर्चना करने की एक शुभ तिथि वर्णित की गई है जिसे नाग पंचमी के नाम से सम्बोधित किया जाता है। इस तिथि का आगमन सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को होता हैं।
ऐसी मान्यता है कि नाग देवता को त्रिकालदर्शी, देवाधिदेव महादेव ने अपने कंठ में धारण कर रखा है, इसलिए नाग देवता का पूजन करने से महादेव को भी अति प्रसन्नता होती है। इसी कारण महादेव की कृपा भी उस साधक पर विराजमान रहती है। इस प्रकार कहते हैं कि नाग देवता सदा माँ लक्ष्मी की सेवा व रक्षा हेतु लीन रहते हैं, इसलिए नाग देवता की आराधना से माँ लक्ष्मी जी भी प्रसन्न होती हैं जिससे साधक को घर में कभी भी अन्न, जल, धन आदि समस्यों का सामना नहीं करना पड़ता ।
पुरातन काल में एक नगर में एक राजा अपनी पत्नि व सात संतानों के साथ हँसी-खुशी अपना जीवन यापन करता था। वे सभी एक साथ एक घर में राज करते थे। उस राजा के छह पुत्रों को तो संतान सुख की प्राप्ति थी, किन्तु उसका सबसे छोटा पुत्र संतान सुख से वंचित था। इसी कारण उसकी अन्य पुत्रवधू अपनी सबसे छोटी देवरानी को अनेकानेक प्रकार के ताने बुना करती थी। घर पर एक तरफ सास तो दूसरी ओर जेठानियां और बाहर समाज के सभी लोगों ने उसको बातों से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया था। उनकी बातों को सुनकर वो बहुत ही दुखी रहती थी। हमेशा अपनी दुविधा के बारे में सोचती रहती थी और आये दिन अपने पति के समक्ष रोती रहती थी।
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एक दिन इससे परेशान होकर उसके पति ने उसे बहुत समझाया कि बाहरी दुनिया को बातों के उपरांत कुछ नहीं आता। वे समाज का हिस्सा हैं, उनकी बातों को दिल से लगाने को कोई आवश्यकता नहीं है। ऐसी कहावत है कि कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना। इसलिए हमे अपने कानों से उनकी बातों को सुनना तो है, किन्तु अपने काम की चीज को अपनाकर बाकी खराब चीजों को हमे दूसरे कान से निकाल देना चाहिए।
अपने पति की बातों से प्रभावित होकर वो एक बार फिर से हँसते-मुस्कुराते रहने लगी। किन्तु कुछ समय उपरांत बाहरी तानों का मंजर फिर से शुरू होने लगा और सभी लोग उसे बांझ-बांझ कहकर पुकारने लगे। इससे उसके दिल को बहुत चोट पहुंची और वह व्याकुल होकर रोने लगी। उस रात वो रोते रोते सो गई।
एक समय की बात यह है, उस रात नाग पंचमी की तिथि का आरंभ था। उस रात पाँच नागों ने उसे स्वप्न में आकर प्रत्यक्ष रूप में दर्शन दिए। पांच नाग ने उसे यह सुझाव दिया कि नाग पंचमी को विधिवत रूप से पूजा अर्चना कर पुत्र की प्राप्ति हेतु आराधना कीजिए।
पांच नागों के द्वारा दिए गए उपाय अनुसार उसने पांच नागों की आकृति बनाकर उनकी विधिवत रूप से आराधना की। आराधना के फलस्वरूप राजा के सबसे छोटे पुत्र वधू को भी संतान सुख की प्राप्ति हुई।
नाग पंचमी से संबंधित अन्य कथित कथन
कहते हैं कि पुरातन काल में एक राज्य में एक किसान परिवार रहता था। उस किसान की तीन संतान थी, दो पुत्र और एक पुत्री जो उसके जीवन के तीन स्तंभ थे। एक दिन खेत में हल जोतते समय उस किसान के हांथों नाग के तीन बच्चों की हल से कुचलकर मृत्यु हो गई। तब उस नागिन ने अपने बच्चों की हत्या करने वाले से बदला लेने के लिए उस किसान के घर जाकर किसान सहित उसकी पत्नि व दो पुत्र की डसकर हत्या कर दी। अगले दिन उस किसान की पुत्री को मारने के लिए उस किसान के घर दोबारा उसके घर गई, किन्तु उस नागिन को घर में देख किसान की पुत्री ने एक कटोरे में दूध उसके पीने हेतु रख दिया। यह देख वह नागिन बहुत प्रसन्न हुई। नागिन ने प्रसन्न होकर उस किसान के सभी परिजनों को जीवित कर दिया। एक बार पुनः सब घर में हसी खुशी अपने जीवन के लम्हों को जीने लगे थे। इसलिए हिन्दू धर्म में यह मान्यता है कि इस दिन नागों के प्रकोप से बचने के लिए साधक को नागों की पूजा करनी चाहिए।
हर वर्ष सावन के माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी के शुभ दिन का आगमन होता है। इस वर्ष नाग पंचमी शनिवार, 25 जुलाई 2020 को मनाई जाएगी। इस साल नाग पंचमी वृश्चिक लग्न में होगी व इस वर्ष कल्कि भगवान की जयंती का शुभ अवसर भी इसी दिन होगा।
नाग पंचमी तिथि आरंभ:- 24 जुलाई 2020 दोपहर 02 बजकर 33 मिनट से
नाग पंचमी तिथि समाप्ति:- 25 जुलाई 2020 दोपहर 12 बजकर 01 मिनट पर।
नाग पंचमी पूजन मुहूर्त आरंभ:- 25 जुलाई 2020, प्रातः 05 बजकर 38 मिनट से
नाग पंचमी पूजन मुहूर्त अंत:- 25 जुलाई 2020, प्रातः 08 बजकर 22 मिनट पर
नाग पंचमी के शुभ अवसर पर करें इस मंत्र का पाठ
वासुकिः तक्षकश्चैव कालियो मणिभद्रकः।
ऐरावतो धृतराष्ट्रः कार्कोटकधनंजयौ ॥
एतेऽभयं प्रयच्छन्ति प्राणिनां प्राणजीविनाम् ॥
अर्थात् - मान्यता है कि शिव जी ने नाग देवता को अपने कंठ में धारण कर रखा है व नाग देवता लक्ष्मी जी की रक्षा व सेवा हेतु लीन रहते है। इसलिए नाग देवता की आराधना करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। नाग देवता की आराधना से लक्ष्मी जी की अनुकम्पा साधक पर विराजमान रहती है जिससे उसके घर में कभी भी धन संबंधी परेशानियां नहीं आती हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
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