रामनवमी

Ram Navami

हिंदू धर्म में अनेकानेक पर्व, त्यौहार, व्रत आदि मनाये जाते हैं। हिंदू धर्म में 33 कोटि देवी देवताओं को पूजा जाता है, जिनमें भगवान विष्णु को सृष्टि का पालन-पोषण कर्ता कहा जाता है।

भगवान विष्णु पृथ्वी लोक पर सत्य की स्थापना एवं बुराई के पराजय हेतु अनेकानेक बार अवतरित होते हैं। उनके अनेकों अवतारों में से एक मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का अवतरण है।

भगवान श्रीराम अवतरित होकर मर्यादा की टकसाल कायम करते है एवं सत्य की स्थापना करते है। इनके अवतरण को रामनवमी पर्व के रूप में संपूर्ण सृष्टि भर में मनाया जाता है। आइए जानते हैं रामनवमी पर्व की पीछे की कथा एवं इस वर्ष रामनवमी पर्व हेतु तिथि व शुभ मुहूर्त।

राम नवमी पर्व कथा

बात त्रेता काल की है जब अयोध्या के राजा महाराज दशरथ हुआ करते थे। महाराज दशरथ अत्यंत पराक्रमी एवं यशस्वी राजा थे। वे अपनी प्रजा का अपनी संतान की भांति ख्याल रखते थे। वे चाहते थे कि उनकी वंशज भी इस प्रकार आयोध्या की प्रजा का भरण पोषण करें और सुशासन को बनाएं रखें। किंतु उनकी कोई संतान नहीं थी जिस वजह से वे दुखी रहने लगे।

महाराज दशरथ की तीन पत्नियां थी, फिर भी उनकी कोई संतान नहीं थी। तत्पश्चात उन्होंने ऋषि मुनियों की शरणागति अपनाई एवं तपस्वी ऋषि वशिष्ठ के पास पहुंचे। महर्षि वशिष्ठ ने राजन को कामस्थि यज्ञ करने की सलाह दी। तत्पश्चात रुशया शरुंगा ऋषि ने इस यज्ञ को पवित्रता एवं श्रद्धा पूर्वक संपन्न कराया।

ये भी देखें: दशहरा पर्व तिथि एवं शुभ मुहूर्त

यज्ञ की पूर्णता पर यज्ञ देवता द्वारा पयसाम (खीर) का कटोरा सौंपा गया जिसे महाराज दशरथ ने अपनी दो पत्नी कौशल्या एवं केकई के बीच आधा-आधा बांट दिया। इसके बाद देवी सुमित्रा को माता कौशल्या एवं केकई द्वारा उनके खीर का आधा-आधा हिस्सा प्रदान किया जाता है। इस प्रकार यज्ञ के प्रसाद के अव्यवस्थित विवरण के 9 महीने बाद महाराज दशरथ के चार संतान जन्म लेती है।

माता कौशल्या के गर्भ से श्री राम का जन्म हुआ, वहीं वही केकई की गर्भ से भरत का, तो सुमित्रा के गर्भ से जुड़वा पुत्र लखन एवं शत्रुघ्न का अवतरण होता है।

पुत्र रत्न की प्राप्ति कर महाराज दशरथ अत्यंत प्रफुल्लित होते हैं। महाराज दशरथ के घर पुत्र के रूप में भगवान् श्री हरी विष्णु स्वयं अवतरित लेते हैं जो राम के रूप में उनके घर में अवतरित होते हैं। प्रभु के इस रूप को ही रामनवमी पर्व के रूप में मनाया जाता है। चूँकि यह तिथि चैत्र मास के नवमी की थी, इस कारण इसे राम नवमी कहा जाता है।

रामनवमी तिथि 2021 एवं शुभ मुहूर्त

किसी भी पुजन कर्म में शुभ मुहूर्त विशेष महत्व रखता है। पूजन कर्म में शुभ मुहूर्त उचित समय पर लिए गए स्वास्थ्यवर्धक भोजन के समान होता है। जैसे उचित समय पर लिया गया सेहतमंद भोजन आपका सर्वांगीण विकास करता है, ठीक उसी प्रकार शुभ मुहूर्त में किया गया पूजन समुचित फल प्रदान करता है। इस वर्ष रामनवमी का पावन पर्व 21 अप्रैल 2021 दिन बुधवार को है।

ये भी देखें: श्री हनुमान चालीसा

तो आइए जानते हैं रामनवमी पर्व हेतु शुभ मुहूर्त।

रामनवमी मध्याह्न मुहूर्त:- प्रात: 11 बजकर 02 मिनट से दोपहर 01 बजकर 38 मिनट तक।
काल अवधि:- 2 घंटे 26 मिनट।

रामनवमी मध्याह्न का क्षण:- दोपहर 12 बजकर 20 मिनट।

नवमी तिथी आरंभ:- 21 अप्रैल 2021, 00 बजकर 43 मिनट से।
नवमी तिथी समाप्ति:- 22 अप्रैल 2021, 00 बजकर 35 मिनट पर।

रामनवमी व्रत व पूजा विधि

  • रामनवमी की पूजा के दिन नवरात्रि कर रहे जातक अपना व्रत खोलें। इसके लिए षोडशोपचार पूजन कर यज्ञ हवन विधि से पूर्णाहुति करें।
  • तत्पश्चात गरीबों एवं भूखों को भोजन कराकर स्वयं भोजन ग्रहण करें।
  • रामनवमी पर्व को व्यवसाय से जुड़े लोग भी धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन वे अपने कार्यक्षेत्र, दुकान आदि की सफाई करते हैं एवं कार्यस्थल पर श्री राम भगवान की मूर्ति को स्थापित कर पूजन कर्म कर प्रसाद वितरण करते हैं।
  • रामनवमी पर्व के दिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि कर भगवान सूर्य को अर्घ्य प्रदान करें।
  • तत्पश्चात अपने इष्ट देव एवं भगवान श्री राम, सीता, हनुमान का श्रद्धा भाव से पूजन करें।
  • पूजन कर्म में लड्डू का भोग लगाएं।
  • आज के दिन राम चालीसा या राम स्त्रोतक का पाठ करना विशेष फलदाई रहता है।
  • पूजन कर्म पश्चात भगवान श्री राम की आरती करें एवं प्रसाद को दूसरों के बीच बाटकर ही स्वयं खाएं।
  • आज के दिन गरीबों में दान देना चौगुना फलदाई होता है। आज के दिन किया गया दान आपको चौगुना होकर पुनः प्राप्त होता है।
  • रामनवमी पर्व के दिन आप अपने अंदर की एक बुराई का परित्याग कर श्रीराम के चरित्र से किसी एक अच्छाई को अपने जीवन में धारण करें।
  • आज के दिन संध्याकाल में तुलसी एवं पीपल के समीप दीपक जलाएं।
  • भगवान श्री हनुमान की आराधना करें, उनके मंदिर में लड्डू का भोग लगाएं।