भारतीय हिंदू धर्म में अनेकानेक पर्व त्यौहार है। वहीं ज्योतिष शास्त्र में भिन्न-भिन्न प्रकार के व्रत भी बताए गए है जो हमारे जीवन हेतु शुभकारी व्रत के रूप में सर्वत्र निहित है जिनमें से विनायक चतुर्थी भी एक है।
हिंदू पंचांग के अनुरूप विनायक चतुर्थी हर माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को श्रद्धा भाव से मनाई जाती है। हर माह की तिथियों में फेरबदल भी होता है। आज के दिन शुभ मुहूर्त में विधिवत तौर तरीके से भगवान श्री गणेश की पूजा आराधना करने से जीवन के सभी कष्ट, द्वेष, बाधाएं समाप्त होती हैं एवं आपके जीवन में रिद्धि-सिद्धि एवं शुभ लाभ के योग सदैव बने रहते हैं।
भगवान गणेश सभी देवों में प्रथम पूजनीय माने जाते हैं। किसी भी प्रकार के पूजन कर्म में सर्वप्रथम भगवान श्री गणेश का ही आवाहन किया जाता है तो आइए जानते हैं आज के दिन विनायक चतुर्थी के अवसर पर भगवान गणेश की पूजा आराधना कैसे एवं कब करनी है।
एक बार की बात है, माता पार्वती एवं भगवान शिव चौपड़ खेलने के लिए बैठे थे जिसमें उनकी हार-जीत का निर्णय करने वाला कोई नहीं था। तब माता पार्वती ने तिनके से एक बालक को बनाकर उसमें प्राण दे दिया और उसे आदेश दिया कि वह चौपड़ खेल में हार-जीत का निष्पक्ष रूप से उचित निर्णय दे।
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माता शिव और पार्वती चौपड़ खेलने लगे जिसमें माता पार्वती लगातार तीन बार जीत जाती है, किंतु उस बालक की अज्ञानता के कारण उसने तीनों बार भगवान शिव को विजई घोषित कर दिया जिससे माता पार्वती कुपित हो गई और उन्होंने उसे श्राप दे दिया कि तुमने अनुचित निर्णय दिया है, इस कारण तुम्हें उचित स्थान पर रहने का अधिकार नहीं है। जाओ तुम आज से अपनी एक पाव के सहारे से कीचड़ में रहोगे और वहीं पर अपना जीवन कष्ट में व्यतीत करोगे। इस पर उस अबोध बालक ने माता पार्वती से क्षमा प्रार्थना करते हुए कहा कि माता यह मुझसे भूलवश एवं अज्ञानता के कारण हो गई है। इसके लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूँ।
तत्पश्चात माता पार्वती ने अपने कृपालु स्वभाव को दर्शाते हुए अपने पुत्र गणेश को याद कर उसने उस बालक से कहा कि आज से ठीक 1 वर्ष पश्चात इस स्थान पर कुछ नागकन्याएं भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना हेतु आएंगी। उनसे तुम गणेश के पूजन विधि को जानकर लगातार 21 दिनों तक भगवान गणेश की पूजा आराधना करो। तत्पश्चात उस बालक ने 1 वर्ष पश्चात आई कन्याओं से व्रत विधि जानकर लगातार 21 दिनों तक भगवान गणेश की पूजा आराधना की जिससे भगवान गणेश प्रसन्न हुए एवं उन्होंने उसे शंकर एवं माता पार्वती से पुनः मिलने का अवसर प्रदान किया।
वहीं दूसरी तरफ चौपड़ में अनुचित निर्णय के कारण माता पार्वती शिव से भी कुपित हो गई थी जिस पर भगवान शिव ने माता पार्वती को मनाने हेतु लगातार 21 दिनों तक गणेश का पूजन किया जिससे माता पार्वती का भी क्रोध समाप्त हो गया। जब यह बालक कैलाश पहुँचा, तब 21 दिन के व्रत के फल के बारे में माता पार्वती से कहा। तत्पश्चात भगवान शंकर भी की इसकी महत्ता के बारे में बताते है जिसके बाद देवी पार्वती भी कार्तिकेय से मिलने की अभिलाषा लिए 21 दिनों तक लगातार भगवान गणेश की पूजा एवं व्रत करती हैं जिससे उनकी इच्छाएं पूर्ण हो जाती है। तब से यह व्रत संपूर्ण जगत में मनोवांछित फल की प्राप्ति हेतु विख्यात हो गया एवं सभी लोग इसे विनायक चतुर्थी के रूप में मनाने लगे।
शनिवार, 16 जनवरी 2021 - पौष शुक्ल चतुर्दशी, 16 जनवरी प्रातः 07 बजकर 48 मिनट से 17 जनवरी प्रातः 08 बजकर 10 मिनट पर, पूजन हेतु शुभ मुहूर्त 16 जनवरी सुबह 11 बजकर 30 मिनट से दोपहर 01 बजकर 32 मिनट तक।
सोमवार, 15 फरवरी 2021 - माघ शुक्ल चतुर्दशी, 15 फरवरी 01 बजकर 59 मिनट (01:59am) से 16 फरवरी तड़के सुबह 03 बजकर 40 मिनट (17 फरवरी 03:40am) पर, पूजन हेतु शुभ मुहूर्त 15 फरवरी सुबह 11 बजकर 29 मिनट से दोपहर 01 बजकर 44 मिनट तक।
बुधवार, 17 मार्च 2021 - फाल्गुन शुक्ल चतुर्दशी, 16 मार्च रात्रि 08 बजकर 59 मिनट से 17 मार्च रात्रि 11 बजकर 26 मिनट पर, पूजन हेतु शुभ मुहूर्त 17 मार्च सुबह 11 बजकर 20 मिनट से दोपहर 01 बजकर 40 मिनट तक।
शुक्रवार 16 अप्रैल 2021 - चैत्र शुक्ल चतुर्दशी, 15 अप्रैल दोपहर 03 बजकर 30 मिनट से 16 अप्रैल शाम 06 बजकर 03 मिनट पर, पूजन हेतु शुभ मुहूर्त 16 अप्रैल सुबह 11 बजकर 06 मिनट से दोपहर 01 बजकर 36 मिनट तक।
शनिवार, 15 मई 2021 - वैसाख शुक्ल चतुर्दशी, 15 मई प्रातः 08 बजकर 01 मिनट से 16 मई प्रातः 09 बजकर 58 मिनट पर, पूजन हेतु शुभ मुहूर्त 15 मई सुबह 10 बजकर 58 मिनट से दोपहर 01 बजकर 37 मिनट तक।