हस्तरेखा शास्त्र केवल जातक के जिंदगी के वर्तमान एवं भविष्य के बारे में ही विस्तृत जानकारी नहीं देता हैं, बल्कि ये जातक की हथेली पर मौजूद रेखाओं पर भी बने रहे योगों के बारे में भी अवगत कराता हैं।
हस्त शास्त्र जातकों को यह बतलाता है कि हस्त रेखाओं के उदगम् और विलय इंसान को अमीर और गरीब बनाने की सामर्थ भी रखता हैं। हथेली पर कई ऐसे प्रतीक हैं जिन्हें देखने के लिए जातक को किसी ज्योतिषी के समीप जाने की आवश्यकता नहीं हैं, बल्कि जातक स्वयं से ही अपनी हथेली व हथेली पर बन रहे चिन्हों को देखकर यह जान सकते हैं कि उनकी हथेली में धनलक्ष्मी का योग बन रहा है या नहीं। हथेली के इस योग से धन योग या धन बढ़ोतरी के बारे में कई बातें बताई गई है जो कि जातक के जीवन के ओर भी कई महत्वपूर्ण राज खोलती हैं।
तो आइए जानते हैं क्या आपके हथेली पर धन लक्ष्मी योग बन रहे हैं या नहीं।
हथेली पर वृक्ष या पर्वत का बनना-
हस्तरेखा शास्त्रों के अनुसार यदि किसी जातक की हथेली पर वृक्ष या पर्वत का चिन्ह बन रहा है तो ऐसे जातकों के जीवन में धन लक्ष्मी योग हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुरूप अगर जातक की हथेली में गुरु पर्वत पर नक्षत्र का चिन्ह बना होता है तो उसे नियंत्रण धन की प्राप्ति होती रहती है और माता लक्ष्मी की विशेष अनुकंपा बनी रहती हैं। हालांकि ऐसे जातक कठिन परिश्रम से कभी भी पीछे नहीं हटते है और ना ही मेहनत करने से डरते हैं। ऐसे जातक धन अर्जित करने का प्रयास सदैव करते रहते हैं। शास्त्रों के अनुसार ऐसे जातकों का भाग्य भी समय-समय पर मदद करते रहता हैं। ऐसे जातक प्रशासनिक कार्यों में खूब तरक्की व धन कमाते हैं। शास्त्रों के अनुसार ऐसे जातकों पर माता लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती हैं। हथेली पर गुरू पर्वत तर्जनी उंगली के नीचे स्थित होता है। तर्जनी उंगली या फर्स्ट फिंगर के नीचे का उभार वाला स्थान गुरू पर्वत कहलाता हैं।
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हथेली पर शंख का बनना-
समुद्र शास्त्र के अनुसार होता यदि किसी जातक की उंगली के प्रथम छोर पर शंख चिन्ह बना होता है तो ऐसे जातक बहुत ही अधिक बुद्धिमान और विद्वान होते हैं। जिस जातक के चारों उंगलियों पर शंख का चिन्ह बना होता है वह सरकारी क्षेत्रों में प्रतिष्ठित होते हैं।
जिन जातकों की पांचों अंगुलियों पर शंख चिन्ह बन रहा होता है, उनके भाग्य में विदेश यात्रा करने का योग बन रहा होता है। ऐसे जातक विदेश जाकर बहुत सारा धन और सम्मान अर्जित करते हैं।
जिन जातकों की छह अँगुलियों पर शंख निशान बन रहा होता हैं, ऐसे जातक विद्वान तो होते ही हैं, साथ ही साथ धर्म-कर्म एवं कर्मकांड के अच्छे ज्ञाता भी बन सकते हैं, और इसी रूप से इनकी प्रसिद्धि के योग बन रहे होते हैं।
जिन जातकों की आठ अंगुलीयों पर शंख चिन्ह बन रहा होता है, ऐसे जातकों के जीवन में सुख एवं सौभाग्य की प्राप्ति होती है। जिन जातकों की दस उंगलियों में शंख का निशान बन रहा होता हैं ऐसे जातक मंत्री या महात्मा बन सकते हैं और अपने जीवन में खूब धन कमाते हैं। समुंद्र शास्त्रों के अनुरूप ऐसा माना जाता है कि जिन जातकों के हथेली में शंख चिन्ह बना रहता है, वैसे जातक या तो जन्म से ही धनवान होगा या अपनी मेहनत और प्रयास से धन अर्जित कर लेंगे।
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हथेली पर कलश चिन्ह का बनना-
ज्योतिष शास्त्र में जातक के हथेली पर कलश चिन्ह का बनना अत्यंत शुभ माना गया है। जिस जातक के हाथ में कलश का चिन्ह बनता है, तो ऐसे जातक काफ़ी धनी, धार्मिक यात्रा करने वाला, विजयी, मंदिर-धर्मशाला व प्यार आदि का निर्माण करवाता हैं। ऐसे जातक धनवान तो काफी होते ही हैं, साथ ही साथ शास्त्रों के अनुरूप ऐसे जातकों के पास अच्छा खासा धन, वैभव एवं यश रहता है। शास्त्रों के अनुसार ऐसे जातकों के पास अच्छी खासी जमा-पूँजी भी रहती हैं। शास्त्रों में ऐसा वर्णित हैं कि ऐसे जातक धर्म-कर्म में अत्यंत विश्वास रखते हैं। शास्त्रों के मुताबिक ऐसे जातक अपनी योग्यता से समाज में अपनी सम्मानित छवि बनाते हैं।
हथेली के शनि पर्वत पर कमल का निशान-
शास्त्रों के अनुरूप ऐसा माना गया है कि कमल भगवान विष्णु का प्रतीक चिह्न हैं। यदि किसी जातक की हथेली के शनि पर्वत पर कमल का निशान बन रहा है, तो ऐसे जातक काफी परोपकारी स्वभाव के होते हैं। शास्त्रों के अनुसार ऐसे जातक के जीवन में सदैव माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहती हैं। शास्त्रों में ऐसा वर्णित हैं कि ऐसे जातक दान-पुण्य का भी कार्य अधिक करते हैं। यदि ऐसे जातक गरीब घर में जन्म ले, तो भी अपने कठिन परिश्रम, मेहनत व लगन के बल पर धन, संपदा, यश, वैभव और सम्मान को प्राप्त कर लेते हैं। ऐसे चिन्ह वाले जातक अपने बिजनेस को भी बढ़ाने के लिए कोई न कोई नई-नई योजना लाते रहते हैं और उस योजना में सफलता भी हासिल करते हैं। ऐसे जातकों पर माता लक्ष्मी का आशीर्वाद सदा बना रहता है।
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त्रिशुल का चिन्ह-
शास्त्रों के अनुरूप त्रिशूल का चिन्ह भगवान शिव का प्रतीक चिन्ह माना गया है। हस्तरेखा शास्त्र के अनुरूप सूर्य पर्वत पर त्रिशूल चिन्ह का बनना यह दर्शाता है कि उस जातक पर भगवान शिव की कृपा सदैव बनी रहती है। वहीं कुछ ज्योतिषियों का मानना है कि त्रिशूल की दो परिस्थितियां होती है-
शास्त्रों में ऐसा वर्णित है कि ऊपर की दशा की तरफ का त्रिशूल जातक के जीवन में सदैव सकारात्मक और अधिक प्रभावशाली होता है, जबकि नीचे की दिशा का त्रिशूल अपेक्षाकृत कम प्रभावशाली होता है। ज्योतिषों के अनुरूप ऐसा माना गया है कि लाखों जातकों में से किसी एक जातक के हाथ में त्रिशूल चिन्ह बना होता है जो कि अत्यंत भाग्यशाली और धनवान होने की ओर इशारा करता है। इन जातकों के जीवन में राजयोग का सुख भोगने का योग बन रहा होता है। ऐसे जातक धनवान तो होते ही हैं साथ ही साथ समाज और परिवार में आदरणीय माने जाते हैं। ऐसे जातक राजकीय अधिकारी बनते हैं। ज्योतिषों के अनुरूप भाग्य भी इन जातकों का पूरा साथ देता है।