गोमेद राहु का रत्न है। जिस भी किसी जातक की कुंडली में यदि राहु ग्रह का प्रभाव होता है, उसे गोमेद धारण करने की सलाह दी जाती है। किन्तु ध्यान रहे कि कुंडली में राहु से संबंधित विशेष योग बनने पर ही गोमेद रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है।
जब किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु नीच राशि में होता है तो उसे गोमेद अवश्य धारण पहनना चाहिए ताकि राहु के दुष्प्रभावों से बचा जा सके। इसके अतिरिक्त राहु मकर राशि का स्वामी है, इसलिए मकर राशि वाले जातकों को भी गोमेद धारण करना चाहिए।
राहु को राजनीति का मारकेश भी कहा जाता है, इसलिए जो व्यक्ति राजनीति में प्रसिद्धि प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें भी गोमेद रत्न अवश्य धारण करना चाहिए। वकालत, न्याय और राजकाज से जुड़े लोग भी इस रत्न को धारण कर सकते हैं।
ध्यान रहे, किसी भी रत्न को धारण करने से पूर्व ज्योतिष सलाह लेना अनिवार्य होता है। रत्न आदि किसी सिद्ध ज्योतिषी को जन्म कुंडली दिखाने के बाद ही धारण करना चाहिए क्योंकि यदि कुंडली में राहु की स्थिति अनुकूल नहीं हुई तो उसकी अशुभता का प्रभाव भी जातक के जीवन पर को प्रभावित करेगा। इसलिए कुंडली के अनुसार ही रत्न धारण करें।
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गोमेद स्टोन की संरचना
गोमेद एक प्रकार का खनिज पत्थर है जिसकी रासायनिक संरचना में यह जिर्कोनियम का सिलिकेट रुप माना जाता है। इसकी उत्पति सायनाइट के स्टोन से होती है। यह एक पारदर्षी रत्न है। इसके अन्दर जाल समान धुंधलापन अथवा कट का निशान पाया जाता है। इसे अंग्रेजी में हैसोनाइट स्टोन कहते हैं।
यह कैल्शियम एल्यूमीनियम (Ca3 Al2 {SiO4}3) का मिश्रित रूप है जिसका घनत्व 3.65 और अपर्वतक सूचकांक में इसकी सीमा 1.742 से 1.748 है। गोमेद गारनेट समूह का रत्न है। इसका रंग गोमूत्र के समान पीलापन लिए हुये लाल होता है।
इस रत्न को तीन भागों में देखा जाता है। जो रत्न बराबर कोण वाला, चमकीला, चिकना एवं सुन्दर हो, उसे उच्च वर्ग का गोमेद कहा जाता है। मध्यम वर्ग का गोमेद भूरापन लिए हुये लाल रंग का होता है। जो गोमेद खुदरापन लिए हुये अपारदर्शी, छायारहित छींटो से युक्त पीले कॉच के समान दिखाई देने वाला होता है वो निम्न वर्ग का गोमेद कहलाता है।
शनिवार या बुधवार के दिन अष्टधातु या चाँदी की अंगूठी में 8 रत्ती गोमेद जड़वा कर षोड़षोपचार पूजन करने के बाद "ॐ रां राहवे नमः" मन्त्र की कम से कम एक माला जाप करें।
तत्पश्चात अंगूठी का पंचामृत से स्नान करें जिसके लिए सबसे पहले अंगूठी को दूध, फिर गंगा जल, फिर शहद, शक्कर एवम घी में स्नान करवाये। उसके बाद अंगूठी को मध्यमा ऊँगली में धारण करें। इसके साथ निम्न मंत्र का भी अनुष्ठान के स्वरूप में जप करें जिससे आपको शीघ्र फल प्राप्ति होगी एवं सभी कार्य सफलतापूर्वक संपन्न होते चले जाएंगे, साथ ही सारे विघ्न एवं बाधाएं स्वयं ही नष्ट हो जाएंगी।
ॐ कया नश्चित्र आ भुवदूती सदावृध: सखा। कया शचिष्ठया वृता।।”
ध्यान रहे गोमेद हो या कोई भी अन्य रत्न, बिना किसी ज्योतिषीय सलाह के अथवा किसी सिद्ध ज्योतिषी को अपनी जन्म कुंडली दिखाएं एवं उचित योग अनुसार ही रत्न धारण करें अन्यथा यह आपके लिए घातक सिद्ध हो सकता है। इसलिए ज्योतिषीय परामर्श के पश्चात ही किसी भी रत्न आदि का धारण करें।
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