माणिक्य रत्न (Manik Stone)

Manikya Ratna Ruby Stone

सभी देवों में सर्वश्रेष्ठ सूर्य है, इसे सृष्टि का संचालक माना जाता है। सूर्य दिवाकर है। उसी प्रकार नौ रत्नों में सर्वोत्तम माणिक्य है जो कि सूर्य का प्रतिनिधित्व करता है। माणिक्य को सूर्य का रत्न माना जाता है। इसे संस्कृत में कुरविन्द, पदुमराग, वसुरत्न आदि नामों से इंगित किया गया है।

माणिक्य का अंग्रेजी नाम रूबी (Ruby) है, जो लेटिन भाषा का शब्द है। रूबी का तात्पर्य लाल रंग से है। माणिक्य का रंग भी लाल ही होता है। यह हल्के गुलाबी लाल रंग में भी उपलब्ध है। माणिक्य खानों से खनन द्वारा प्राप्त किया जाता है। तत्पश्चात इसकी सफाई एवं कटाई कर सुंदर एवं आकर्षक बनाया जाता है। सबसे आकर्षक माणिक्य बर्मा (म्यांमार) के देशों में पाया जाता है।

माणिक्य की रासायनिक संरचना

रासायनिक दृष्टि से अगर माणिक्य पर विश्लेषण करें तो यह एक योगिक तत्व है, जो एलुमिनियम आक्साइड Al2O3 द्वारा निर्मित है। यह खनिज के अलग-अलग प्रकारों में से एक कोरंडम की प्रकृति है। इसमें गुरुत्वाकर्षण शक्ति होती है जिसकी सीमा 4.03 है। माणिक्य को विलक्षण प्रकृति का अद्भुत रत्न माना जाता है। यह बेशकीमती रत्नों में से एक होता है।

क्या है असली रूबी रत्न की पहचान?

असली प्राकृतिक माणिक्य का रंग गहरा लाल गुलाबी सा होता है। इसमें एक विशेष चमक होती है। इस पर आसानी से खरोच आदि का निशान नहीं बनता है। इस की कटाई एवं छटाई केवल हीरे के माध्यम से की जा सकती है।

ज्योतिष विज्ञान की मानें तो असल माणिक्य को गाय के दूध में डालने पर दूध का रंग गुलाबी सा प्रतीत होता है, वहीं जब इसे कांच के गिलास में डाला जाता है तो कांच से भीनी सी लाल किरण बाहर आती हैं। आमतौर पर रूबी रत्न खरीदने से पूर्व व्यक्ति को रत्न के प्रायोगिक परीक्षण का प्रमाण पत्र अवश्य देखना चाहिए। ताकि उसकी गुणवत्ता का पता लगाया जा सके।

किन जातकों के लिए उपयुक्त है माणिक्य स्टोन?

माणिक्य एक बेशकीमती एवं प्रभावशाली और ऊर्जायुक्त रत्न है जिसका धारण साधारणतया नहीं किया जा सकता। इसे धारण करने हेतु सर्वप्रथम अपनी कुंडली एवं ग्रह-गोचरों की दशा-दिशा का किसी सिद्ध ज्योतिषी से अवलोकन करवाना चाहिए। तत्पश्चात अपनी कुंडली अनुसार विधि पूर्वक माणिक्य को धारण करें। सामान्यतः ज्योतिष आचार्यों द्वारा माना जाता है कि मेष, सिंह एवं धनु लग्न हेतु माणिक्य सर्वोत्तम होता है। यह वृश्चिक और मीन लग्न के धारकों को साधारण फल देता है, वहीं वृषभ राशि के जातकों को विशेष दशा दिशाओं में ही माणिक्य धारण करना चाहिए।

किन के लिए माणिक्य है मंगलकारी

ज्योतिषाचार्य की माने तो कन्या, मकर, मिथुन, तुला एवं कुंभ के जातकों को माणिक्य धारण नहीं करना चाहिए। यह जीवन चक्र में बाधा कारक सिद्ध होता है। ऐसे लोगों को भी माणिक्य धारण करने से बचना चाहिए जिन्हें हृदय संबंधी रोग, उच्च रक्तचाप या शरीर के अधिक तापमान से संबंधित परेशानी है।

जिन जातकों की कुंडली में शनि के उतार-चढ़ाव की स्थिति रहती है, उन्हें भी रूबी को धारण नहीं करना चाहिए। इस प्रकार के किसी भी परिवर्तन के पूर्व अपनी कुंडली दिखाकर किसी से ज्योतिषी की सलाह लेना ही सर्वोत्तम है।

माणिक्य रत्न के ज्योतिष तथ्य एवं लाभ

माणिक्य सुप्रसिद्ध, प्रचलित एवं सिद्ध रत्नों में से एक है। यह सूर्य का प्रतिनिधित्व करता है। इस पर सूर्य का स्वामित्व रहता है। यह हल्के गुलाबी रंग-लाल रंग का रत्न है, जिसे पूर्वी देशों में धरती मां के हृदय के रक्त की बूंद के रूप में वर्णित किया गया है। राजा-रजवाड़ों के काल में इनका एक अलग ही महत्व था।

ज्योतिष के अनुसार जिन जातकों की कुंडली में सूर्य शुभ प्रभाव में होता है उन्हें माणिक्य धारण करना चाहिए। यह शत्रु पर विजय प्राप्ति, ऋण मुक्ति, आत्मा स्वतंत्रता के साथ बौद्धिक श्रेष्ठता प्रदान करता है। माणिक्य एक बहुमूल्य रत्न है, जो हमें स्वयं के समान बहुमूल्य, तेजस्वी एवं ऊर्जावान बनाता है। यह व्यक्ति के अंदर की संकोच प्रकृति को समाप्त कर आत्मविश्वास हेतु वृद्धि कारक होता है।

मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण को माणिक्य समर्पित करने से व्यक्ति उच्च पद व समाज में ख्यति की प्राप्ति करता है। यह राजनीति से जुड़े लोगों को सत्तासीन बनाने में अहम योगदान देता है। महिलाओं को सदैव हल्के रंग के माणिक्य का रत्न धारण करना चाहिए, जबकि पुरुषों को गहरे लाल गुलाबी रंग के माणिक्य का धारण करना चाहिए।

कितने रत्ती का माणिक्य है उपयुक्त?

ज्योतिष विज्ञान की मानें तो माणिक्य जैसे शुभ रत्नों को उचित मात्रा अनुसार धारण करना प्रभावी होता है। ज्योतिष के अनुसार जातक को कम से कम 1 कैरेट में माणिक्य को सोना अथवा पीतल में जड़वा कर धारण करना चाहिए। सामान्यता 2-3 कैरेट का माणिक्य बेहतर माना जाता है, लेकिन बात सर्वोत्तम की करें तो 5 से 7 कैरेट का माणिक्य धारण करने हेतु सर्वश्रेष्ठ है। यह ऊर्जाशील तथा उष्म रत्न है जो अपना प्रभाव हमारे शरीर के वात, पित्त व कफ पर भी डालता है। विशेष कर यह पित्त एवं शरीर के उष्म तत्त्वों का संचालन करता है।

रूबी रत्न की धारण विधि

नियमतः माणिक्य धारण करने हेतु 5 से 7 कैरेट के लाल अथवा हलके गुलाबी रंग के पारदर्शी माणिक्य रत्न को ताम्बे की या स्वर्ण अंगूठी में जड़वाये। इसे किसी भी शुक्लपक्ष के पहले इतवार के दिन सूर्योदय के बाद अपने दायें हाथ की अनामिका में धारण करें।

इसके शुद्धिकरण और प्राण प्रतिष्ठा करने के हेतु कुछ विधियों का पालन करें। सबसे पहले अंगूठी को दूध, गंगाजल, शहद, और शक्कर के घोल में डुबो कर रखे, फिर सूर्यदेव के समक्ष मन ही मन पवित्र भाव से उज्जवल भविष्य एवं श्रेष्ठ कर्म हेतु आशीर्वाद मांगे और कहें कि मैं आपका प्रतिनिधि रत्न धारण कर रहा हूँ, मुझे आशीर्वाद प्रदान करे! तत्पश्चात अंगूठी को जल से निकालकर ॐ घ्रणिः सूर्याय नम: मन्त्र का जाप 108 बार पूर्ण कर अंगूठी को विष्णु या सूर्य देव के चरणों से स्पर्श करवा कर अनामिका में धारण करें!

माणिक्य रत्न धारण तिथि से बारहवें दिन से असर दिखाना शुरू करता है और तकरीबन 4 सालों तक पूरा प्रभाव देता है जिसके बाद ये निषक्रिय हो जाता है! अच्छे प्रभाव के लिए बैंकॉक का पारदर्शी माणिक्य 5 से 7 कैरेट वजन में धारण करे! सस्ते और भद्दे रत्नों को धारण करने से लाभ के स्थान पर हानी होने की संभावना रहती है।

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