काल सर्प दोष के उपाय (Kaal Sarp Yog)
"कालसर्प दोष", यह नाम किसी भी जातक को सुनने में भयावह सा प्रतीत होता है। कुछ लोग इसे दुख, कलह-क्लेश एवं पारिवारिक विपदाओं का कारक मानते हैं, तो कुछ लोग इसे फकीरी जैसी फटेहाल स्थिति बनाने की वजह समझते हैं। वहीं कुछ जातक तो 'काल सर्प दोष' के नाम को तोड़ मरोड़ कर जीवन के किसी काल में सर्प आदि के डांस लेने जैसी विपदाओं से संबंधित समझते हैं और इसके उपाय के पीछे भागने का जतन करने लगते हैं।
किन्तु आपको किसी उपाय आदि को अपनाने एवं उसका अनुसरण करने से पूर्व सबसे पहले कालसर्प योग के संबंध में जानने की आवश्यकता है। ज्योतिष शास्त्रों के गहन अध्ययन के पश्चात यह ज्ञात हुआ कि पूर्व रचित शास्त्र में कहीं भी काल सर्प दोष को कोई स्थान नहीं दिया गया है और ना ही 'कालसर्प दोष' संबंधी किसी दोष का जिक्र किया गया है। वहीं आधुनिक ज्योतिष शास्त्रों के ज्योतिषविदो ने अपने ग्रंथों में कालसर्प दोष एवं इसके दुष्प्रभावों का वर्णन किया है।
आइए जानते हैं क्या है कालसर्प दोष का अर्थ
शास्त्र अनुसार राहु और केतु जातक की कुंडली में विराजमान होकर हमेशा अशुभ परिणाम ही देते हैं। राहु-केतु हमेशा वक्री चाल चलते हैं। इसमें राहु के अधिदेवता 'काल' साथ ही केतु के देवता 'सर्प' को माना जाता है। जब भी कभी आपकी कुंडली में इन दोनों ग्रहों के बीच अन्य सभी ग्रह आ कर रुक जाते हैं, तो आपकी कुंडली में कालसर्प योग का प्रभाव मंडराने लगता है।
ये भी पढ़ें:
माना जाता है कालसर्प दोष 12 प्रकार ( अनंत, कुलिक, वासुकि, शंखपाल , पद्म , महापद्म, तक्षक , कर्कोटक, शंखनाद , घातक , विषाक्त, शेषनाग) का होता है जो जातक की कुंडली पर भिन्न-भिन्न प्रकार के प्रभाव को दर्शाता है। यह दोष प्रबल प्रकृति का होता है जो एक साथ कई संकट प्रबलता के साथ जीवन में लाता है। काल सर्प दोष के निवारण हेतु सर्वप्रथम इसके प्रभावों को समझना आवश्यक है।
कुंडली में काल सर्प योग के लक्षण
बाल्यकाल में बढ़ने की उम्र में निम्न सभी प्रकार की समस्याएं कालसर्प दोष के लक्षण को दर्शाती हैं:
- अनायास किसी दुर्घटना आदि का घटित हो जाना
- किसी असाध्य रोग से ग्रसित हो जाना
- शिक्षा-दीक्षा का प्रभावित होना
- किसी रोग अथवा समस्या के कारण पढ़ाई-लिखाई का चौपट हो जाना, आदि प्रकार की समस्याएं कालसर्प दोष के लक्षण को बताती हैं।
विवाह संबंधी मसलों में अनेकानेक संबंधी समस्याएं उत्पन्न होना, जैसे:
- आये दिन किसी न किसी विघ्न बाधा का उत्पन्न होते रहना
- विवाह के पश्चात भी तनावग्रस्त वैवाहिक जीवन आदि कालसर्प दोष के लक्षण हैं।
- कई बार इसकी वजह से तलाक जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
एक काल सर्प दोष के लक्षण के मुताबिक
- संतान होने में समस्या का उत्पन्न होना
- संतान के जीवन में अनेकानेक प्रकार की बाधाएं आना,
- उनकी वृद्धि में अनेकानेक समस्याएं उत्पन्न होना आदि भी कालसर्प दोष के लक्षण है।
उपरोक्त के अलावा:
- घर में कलह-क्लेश की स्थिति नियमित बने रहना
- गर्भपात आदि जैसी विपदा का आना
- घर की महिलाओं, बेटियों आदि के साथ आए दिन किसी न किसी प्रकार की समस्या का बने रहना
- घर पर बुरी आत्माओं का साया मंडराना आदि सब काल सर्प दोष के लक्षण हैं।
ये भी पढ़ें: जानिए क्या कहता है आपका राशिफल
काल सर्प दोष के निवारण हेतु उपाय
- कालसर्प दोष के निवारण हेतु आप नियमित महामृत्युंजय मंत्र का अधिकाधिक जप करें एवं निरंतरता को बनाए रखें। जप के प्रारंभ वाले दिन से अगले 7 दिनों तक लगातार महाकाल का रुद्राभिषेक करें। यदि संभव हो तो इन 7 दिनों तक किसी अनिष्ट व तामसिक पदार्थों का सेवन ना करें। शुद्ध भाव से पूजन कर्म एवं जप करें, इससे जल्द ही कालसर्प दोष से मुक्ति मिलेगी।
- कालसर्प दोष के जैसे विषम दोष से मुक्ति हेतु आप त्र्यम्बकेश्वर का श्रद्धा भाव से तीर्थाटन करें एवं वहां पूजन-अर्चन व स्नान आदि कर जरूरतमंदों व गरीबों में क्षमता अनुसार अधिकाधिक अन्न, वस्त्र आदि का दान करें। कालसर्प दोष से मुक्ति हेतु भगवान शिव का शरणागत होना एकमात्र उपाय है।
- कालसर्प दोष का मुख्य कारक राहु एवं केतु की स्थिति में परिवर्तन एवं उनके दुष्प्रभाव हैं। अतः घर में राहु-केतु के मंत्रों का निरन्तर जप करवाएं।
राहू मंत्र: ।। ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम: ।।
केतु मंत्र: ।। ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नम:।।
- कालसर्प दोष से मुक्ति हेतु सर्प मंत्र अथवा नाग गायत्री मंत्र का जप करवाएं।
सर्प मंत्र: ।। ॐ नागदेवताय नम: ।।
नाग गायत्री मंत्र: ।। ॐ नवकुलाय विद्यमहे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात् ।।
- अपने घर में श्रीमद्भगवद्गीता, श्री हरिवंश पुराण आदि का पाठ करवाते रहें। इससे घर में सकारात्मकता फैलती है एवं इस दोष का प्रभाव घटता है।
- घर में किए जाने वाले दुर्गा पाठ एवं भैरव उपासना से भी गृह क्लेश आदि जैसे कालसर्प दोष के प्रभाव से मुक्ति मिलती है।
- कालसर्प दोष के तत्काल निवारण हेतु राहु काल में दूर्वा से लगातार सात दिनों तक 1100 राहु मंत्र का जप करवाएं। इससे शीघ्र ही कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।