हिंदू धर्म में अनेकानेक प्रकार के पर्व त्योहार व्रत आदि निहित हैं जिनमे प्रत्येक दिवस का अपना-अपना अलग महत्व होता है।
हिंदू धर्म में तिथियों की गणना सनातन हिंदू कैलेंडर पंचांग के मुताबिक की गई है जिसमें प्रत्येक दिवस के महत्व को ज्योतिषीय खगोलीय दृष्टिकोण से दर्शाया गया है। इसमें प्रत्येक दिवस, दिन, तिथि आदि का स्वयं में विशेष महत्व माना जाता है।
हिंदू धर्म के पंचांग में माह, तिथि पक्ष आदि का भी निर्धारण किया गया है जिसमें हर माह को काफी अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रत्येक माह में कई पर्व त्यौहार निहित होते हैं जिसमें सभी का स्वयं में विशेष महत्व है। प्रत्येक माह में पड़ने वाले पर्व, तोहार व्रत आदि के मध्य कालाष्टमी के व्रत को काफी अधिक महत्व कार्य माना जाता है। कालाष्टमी का व्रत भगवान भैरव के विशेष पूजा आराधना हेतु जाना जाता है।
भगवान भैरव को अनेक-अनेक प्रकार की अद्भुत शक्तियों से परिपूर्ण माना जाता है। जो भी जातक भगवान की पूजा आराधना करता है, उसके अंदर कुछ अद्भुत शक्तियां भी आती है। ऐसे में कालाष्टमी व्रत को काफी अधिकारी माना जाता है।
कालाष्टमी व्रत को मूल रूप से भगवान भैरव की आराधना हेतु काफी श्रेष्ठ माना जाता है। कई ज्योतिष शास्त्र व तंत्र, विद्या आदि की शिक्षा लेने वाले जातकों के लिए यह दिवस का महत्वकारी माना जाता है। ऐसे में आपके लिए भी यह जानना अति आवश्यक है कि कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव की पूजा आराधना हेतु व उन्हें प्रसन्न करने हेतु क्या कुछ ऐसी क्रियाकलाप करें, जिससे उनकी कृपा दृष्टि आप पर बनी रहे और उनकी अद्भुत शक्ति सदैव आपकी रक्षा करें। तो आइए जानते हैं, कालाष्टमी के दिन अपनाए जाने वाले कुछ खास पूजा विधि व उपायों के बारे में।
कालाष्टमी व्रत पर अवश्य करें श्री कालभैरवाष्टकम् का पाठ
यदि आप काल भैरव भगवान को प्रसन्न करना चाहते हैं और उनसे विशेष शक्तियां अर्जित कर उनके खास कृपा पात्र भक्तों में से एक बनना चाहते हैं, तो आप कालाष्टमी व्रत की तिथि पर भगवान श्री भैरव जी का विशेष पूजन करें। इस दिन आप भगवान श्री भैरव जी की प्रतिमा को स्थापित करें, उनके समक्ष धूप, दीप आदि जलाएं। इस दिन आप भगवान भैरव के समक्ष सरसों के तेल का दीपक अवश्य ही जलाएं। तत्पश्चात आप श्री कालभैरवाष्टकम् पाठ अवश्य करें।
ऐसा माना जाता है कि कालाष्टमी व्रत की शुभ तिथि पर जो भी जातक श्री कालभैरवाष्टकम् का पाठ करता है, उन जातकों के सभी मनोकामनाएं की सिद्धि होती है और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना द्वारा आप कर सकते हैं काल भैरव जी को भी प्रसन्न
कालाष्टमी व्रत की तिथि पर आप भगवान भैरव की पूजा आराधना करने के साथ-साथ भगवान भोलेनाथ की पूजा अवश्य ही करें। इस दिन आप शिवलिंग पर चंदन का लेप करें और फिर जल अर्पित करें। तत्पश्चात 21 बिल्व पत्रों को अर्पित करें। फिर भगवान शिव के समक्ष हाथ जोड़ें और साष्टांग नमन भी करें। ऐसा करने से भगवान शिव के प्रसन्न होने के साथ-साथ भगवान कालभैरव भी प्रसन्न होंगे और आपकी मनवांछित इच्छाओं की पूर्ति करेंगे।
कालाष्टमी व्रत के दिन कराएं काले कुत्ते को भोजन, काल भैरव के साथ आप पर बनी रहेगी शनि की भी कृपा
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक भगवान भैरव और शनिदेव को प्रसन्न करने हेतु अनेकों उपायों में से काले कुत्ते को रोटी खिलाना अत्यंत ही लाभकारी माना जाता है। इस उपाय का महत्व तिथि के अनुसार और भी अधिक बढ़ जाता है। अतः आप कालाष्टमी व्रत के दिन किसी काले कुत्ते को मीठी रोटी खिलाएं। इससे भगवान भैरव के प्रसन्न होने के साथ-साथ भगवान शनि भी आपसे प्रसन्न होंगे और शनि से संबंधित आपके सभी दोष भी समाप्त होंगे।
इस दिन यदि आप को काला कुत्ता भोजन कराने हेतु नहीं मिल रहा हो तो आप किसी भी कुत्ते को श्रद्धाभाव पूर्वक भोजन करा दें, इससे भी आपके ऊपर भगवान काल भैरव तथा शनिदेव की कृपा दृष्टि बरकरार रहेगी।
भूखे लाचार और जरूरतमंदों की सेवा करने से शीघ्र प्रसन्न होते हैं भगवान काल भैरव
भगवान भैरव को प्रसन्न करने हेतु आप अधिक से अधिक जरूरतमंद लोगों की मदद करें। आप दान-पुण्य का कार्य करें। भूखे को भोजन तथा वस्त्र आदि अपने सामर्थ्य अनुसार दान करें। इसके अतिरिक्त आप जरूरतमंदों व गरीबों के आर्थिक सहयोग भी करें। आपके अंदर के इस स्वभाव को देखकर भगवान काल भैरव आपसे अति शीघ्र प्रसन्न होंगे और आप पर सदैव अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें। आपके द्वारा किए जा रहे कारोबार व कार्यक्षेत्र काफी लाभकारी होंगे। इन उपायों को करने से आप अपने करियर व कार्यक्षेत्र में खूब उन्नति करेंगे और साथ ही आपकी प्रोन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे।
भगवान भैरव को प्रसन्न करने के लिए जलाएं धूपबत्ती
भगवान भैरव को खुशबूदार चीजें काफी पसंद है, अतः आप इस दिन भगवान भैरव को प्रसन्न करने हेतु धूप, अगरबत्ती आदि अवश्य ही जलाए। कालाष्टमी के दिन आप भगवान भैरव के मंदिर जाकर वहां खुशबूदार धूप, अगरबत्ती आदि जलाएं। ऐसा माना जाता है कि कालाष्टमी व्रत के दिन भगवान भैरव के समक्ष गुलाब, चंदन और गूगल की 33 खुशबूदार अगरबत्तियों को जलाने से जीवन के सभी कष्टों व समस्याओं का निवारण होता है।
काल भैरव के 40 दिनों तक के लगातार दर्शन से नष्ट होंगे आपके जीवन के सभी विकार
जिन जातकों के जीवन में आए दिन किसी न किसी प्रकार की परेशानी समस्या बरकरार रहती है, यदि आप अपने करियर व कार्यक्षेत्र आदि में रोज किसी न किसी उलझन और परेशानी में फंसे होते हैं, आपके कारोबार उन्नति की ओर अग्रसर नहीं है, घर परिवार में कलह व तनाव की स्थिति बरकरार रहती हो, आपकी संतान का यदि पढ़ाई-लिखाई में मन नहीं लग रहा हो आदि, तो इन सभी प्रकार के समस्याओं से निजात हेतु आप कालाष्टमी जैसे शुभ दिवस का लाभ उठाएं।
इस दिन आप भगवान भैरव के मंदिर में दर्शन हेतु जाए और उपरोक्त उपायों का पालन करें, साथ ही आप अपने जीवन की समस्याएं और बाधाओं से मुक्ति पाने हेतु कालाष्टमी व्रत के दिन से भगवान भैरव के दर्शन को आरंभ कर लगातार 40 दिनों तक भगवान भैरव के दर्शन करने जाएं। इससे आपकी सभी मनोनुकूल इच्छाओं की पूर्ति होगी और आपके जीवन में सुख-शांति व समृद्धि बरकरार रहेगी।