वैदिक शास्त्रों के अनुसार जब किसी प्राण को मानव योनि में भूलोक पर भेजा जाता है, तो उसके जन्म के साथ ही ग्रह, नक्षत्र, पूर्व के कर्म फल आदि सक्रिय हो जाते हैं। साथ ही वे अपने शुभ-अशुभ प्रभाव भी देना आरंभ कर देते हैं जिनमें ग्रह गोचरों की स्थिति तत्कालीन जीवन के भूत, भविष्य एवं वर्तमान तीनों का संचालन करती है।
बात अगर मंगल की करें तो इसे ग्रहों का सेनापति कहा जाता है जो अलग-अलग जातकों के साथ भिन्न-भिन्न प्रभाव प्रदर्शित करता है। मंगल मेष एवं वृश्चिक का स्वामी ग्रह माना जाता है। यह मकर राशि में उच्च एवं कर्क राशि में नीच की स्थिति को दर्शाता है।
मंगल के सकारात्मक प्रभावों को सूर्य और बुध मिलकर बढ़ाने का कार्य करते हैं। सूर्य और शनि की एकजुटता मंगल के अशुभ प्रभावों को कम करती है, जबकि गुरु के साथ मंगल अधिक बलवान हो जाता है। मंगल की राशि प्रथम भाव की है तथा बुध और केतु का यह शत्रु माना जाता है, जबकि यह शुक्र, शनि और राहु के समान बरताव वाला जाना जाता है।
जिस भी जातक की कुंडली में मंगल अपना शुभ प्रभाव दर्शाता है, वह जातक शारीरिक और मानसिक रूप से शक्तिशाली रहता है। वहीं जिस जातक के ऊपर मंगल का अशुभ प्रभाव रखता है, वह आए दिन अस्थि, रक्त, पेशियों आदि से जुड़ी समस्याओं से पीड़ित रहता हैं। इसके अतिरिक्त अन्य भी कई प्रकार की भयावह समस्याएं जीवन में आने लगती है। मंगल ग्रह के अशुभ प्रभाव का फल ही मांगलिक दोष पर भी होता है। मांगलिक जातकों के विवाह में समस्याओं का अंबार लगा रहता है तो वहीं विवाहित जीवन में प्रतिदिन क्लेश की स्थिति बनी रहती है।
ऐसे में मंगल के दुष्प्रभाव से बचाने हेतु उचित उपाय करना अत्यंत ही आवश्यक होता है, तो आइए आज हम आपको मंगल ग्रह के दुष्प्रभावों से मुक्ति हेतु कुछ उपाय बताते हैं। मंगल ग्रह के दोषों की समाप्ति हेतु अनेकों प्रकार के उपाय हैं। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ उपाय-
जीवनचर्या व वेशभूषा
रुद्राक्ष का प्रयोग
जिन जातकों के ऊपर मंगल ग्रह का दोष होता है अथवा मंगल उनके ऊपर दुष्प्रभावी रहते हैं, उन जातकों को तीन मुखी रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए। तीन मुखी रुद्राक्ष को अग्नि का प्रतीक माना जाता है। तीन मुखी रुद्राक्ष का स्वामी ग्रह मंगल होता है। माना जाता है इस रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति आंतरिक एवं शारीरिक रूप से पूर्णता शुद्ध हो जाता है। इसी कारण मंगल ग्रह को शांत करने हेतु 3 मुखी रुद्राक्ष का प्रयोग किया जाता है।
इसे धारण करने के लिए रुद्राक्ष को गंगाजल से धोकर पवित्र कर लें। तत्पश्चात ‘ॐ क्लीं नम:’ मंत्र का जप कर उसे धारण करें। साथ ही ओम नमः शिवाय के मंत्र का 108 बार जप करें एवं नियमित 108 बार जप करने का संकल्प लें। इससे आपका रुद्राक्ष प्रभावी बना रहेगा एवं सदैव सकारात्मक परिणाम देकर आपके मंगल को सौभाग्य कारी बना देगा।
व्रत-उपाय
मंत्रोपाय
मंगल ग्रह शांति हेतु तांत्रिक मन्त्र -
“ॐ अं अंगारकाय नम:” ।।
एवं
“ऊँ भोम भोमाय नमः” ।।
मंगल ग्रह के दोष से मुक्ति पाने हेतु आप उपरोक्त 2 मंत्रों में से किसी एक मंत्र का विधिवत तौर से नियमित जप करें। इससे आपके मंगल के दोष के प्रभाव घटेगे। प्रयास करें कि उक्त मंत्रों का जप नियमित 108 बार करें।
ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः।।
मंगल ग्रह की शांति हेतु आप उपर्युक्त मंगल बीज मंत्र का भी धारण कर सकते हैं।
रत्न
मंगल ग्रह के सकारात्मक प्रभाव हेतु रत्नों में मूंगा को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। मूंगा धारण करने से आपके जीवन में मंगल के सकारात्मक प्रभाव परिलक्षित होते हैं। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार मूंगा मेष और वृश्चिक राशि के जातकों के लिए अत्यंत ही लाभकारी सिद्ध होता है
दान
मंगल ग्रह की शांति हेतु मंगल से संबंधित वस्तुओं का दान उचित समय एवं नक्षत्र में ही किया जाना लाभकारी होता है। इसके लिए मंगल की होरा, मंगल ग्रह के नक्षत्र जैसे मृगशिरा नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र, धनिष्ठा नक्षत्र आदि को उपयुक्त माना जाता है।
मंगलवार के दिन उपरोक्त शुभ मुहूर्त में मंगल से जुड़ी वस्तुएं जैसे लाल मसूर, मूंग, गेहूं, खांड, गुड, लाल कनेर के फूल, तांबे के बर्तन आदि का दान लाभकारी होता है। आज के दिन भूखे तथा गरीबों को भोजन कराना भी आपके लिए सौभाग्य का कारक बनता है।