कहते हैं प्यार वो उम्दा एहसास है, जिसे महसूस करने के लिए देवी-देवता भी लालायित रहते हैं। प्यार के अहसास को महसूस करने के लिए राधा-कृष्ण भी धरती पर अवतरित हुए। कहते हैं कि जिंदगी में हर किसी को सच्चा प्यार नसीब नहीं होता। वह इंसान किस्मत वाला होता है, जिसे जीवन में सच्चा प्यार हासिल होता है।
सच्चा प्यार केवल एक ही बार आपके जीवन में दस्तक देता है जिसे दिल खुलकर अपनाने में जन्नत का एहसास होता है। अब आपके मन में यह आना लाजिमी है कि हर किसी का भाग्य भला इतना अच्छा कहां! अगर ऐसा है, तो आपको बता दें कि हर किसी का भाग्य चमकदार हो ना हो, मगर आप चाहे तो आपके भाग्य में कोई दिल से चाहने वाला जीवन साथी जरूर आ सकता है।
हैरान ना हों, और इसके विषय में विस्तार से जानने के लिए पूरा पढ़े इस लेख को, और जानें कुछ ऐसे सरल उपाय जिसे अपनाने से जल्द ही आपके जीवन में ऐसा साथी प्राप्त होगा जिसमें आप अपना सच्चा प्यार पाएंगे।
Click here to read beautiful romantic shayari
शास्त्रों में प्रेम को सर्वोत्तम एवं सांसारिक जंजाल से परे श्रेष्ठतम की संज्ञा दी गई है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में व्यक्ति की जन्म कुंडली में मौजूद पंचम भाव को प्रेम का कारक बताया गया है जो मनुष्य जीवन को व्यवस्थित एवं संतुलित बनाए रखता है। लेकिन जब आपकी कुंडली के पंचम भाव में किसी क्रूर ग्रह की वक्र दृष्टि पड़ जाती है तो जातक के प्रेम जीवन में अनेकानेक विघ्न एवं बाधाएं आनी शुरू हो जाती है। वहीं दूसरी और कुंडली के सप्तम भाव को विवाह संबंधों का परिचालक माना जाता है। अतः जब भी कोई शुभ योग जातक की कुंडली के पंचम भाव एवं सप्तम भाव में प्रबल एवं हितकारी होता है तो व्यक्ति का प्रेम फलित होता है और बात सच्चे प्रेम से विवाह तक पहुंच जाती है।
जानिए क्या कहता है आपका राशिफल
पंचम भाव के साथ-साथ प्रेम का नैसर्गिक कारक शुक्र को माना जाता है। इसके अतिरिक्त भले ही राहु को हर क्षेत्र में कष्टकारी माना जाता है किंतु प्रेम को परवान चढ़ाने में प्रमुख घटक राहु ही होता है। अतः इन ग्रहों की दशा दिशा भाव आदि को जानने के बाद आपका यह जानना आवश्यक है कि किस तरह आप अपने जीवन में सच्चे प्रेम को प्राप्त कर सकते हैं। आइए जानते हैं कुछ अचूक उपाय।
कुंडली में विराजमान राहु को प्रसन्न करने के उपाय
मंत्रोपाय
शास्त्रों में निहित है प्रेम के इष्ट कामदेव है, अतः कामदेव को प्रसन्न करना आवश्यक है। इसके लिए कामदेव के शाबर मंत्र का जप करें:-
मंत्र- ॐ कामदेवाय विद्य्महे, रति प्रियायै धीमहि, तन्नो अनंग प्रचोदयात्।
इसके अलावा निम्न मन्त्र का भी नियमित जाप करें
ॐ नमो भगवते कामदेवाय यस्य यस्य दृश्यो भवामि यस्य यस्य मम मुखं पश्यति तं तं मोहयतु स्वाहा।
ॐ द्रां, द्रीं, द्रौं सः शुक्राय नमः
चूँकि पंचम भाव को प्रेम का कारक मानते है, अतः इसे प्रसन्न रखना आवश्यक है। इसलिए किसी ज्योतिष से सलाह लेकर उचित उपाय अपनाये।
धारण करने के योग्य
अन्य उपाय
इन उपायों को भी जाने:-