अब खिलखिलायेंगी आपके घर भी खुशहाली
जी हाँ, अब खुशियां आपके घर भी किलकारी मारेंगी। अब आप भी पुत्र-पुत्री रत्न की प्राप्ति कर पाएंगे। अपने भाग्य को कोसने व हाथ पर हाथ धरने की बजाय एस्ट्रोकाका पर नीचे दिए गए लेख को पढ़कर आप ना सिर्फ समस्या के कारण जान सकते हैं अपितु उचित समाधान और पूर्ण उपाय भी जान पाएंगे। फिर देखिये नन्ही सी जान की किलकारी आपके घर कैसे नही गूंजती। फिर देर किस बात की आइए जानते हैं -
किसी भी दंपति के लिए संतान प्राप्ति उसके वैवाहिक जीवन की नींव होती है। विवाह पश्चात जीवन के अगले पड़ाव का द्वार उनकी अपनी औलाद होती है जो केवल उनके प्रेम का ही प्रतीक नहीं, अपितु आगामी सभी खुशियों का मूर्त रूप होती है।
वहीं अगर किसी कारणवश विवाहित इस खुशी से वंचित रह जाते हैं तो उनके सभी दुखों का कारण किसी पुत्र या पुत्री का ना होना बन जाता है। इतना ही नहीं आये दिन पति-पत्नी के बीच में क्लेश भी उत्पन्न होने लग जाते हैं।
ऐसे में आपका यह जानना आवश्यक है कि ऐसे कौन-कौन से ग्रह दोष, कुंडली दोष, अथवा वास्तु दोष आदि हैं जो आपकी संतति प्राप्ति की इच्छा में विघ्न की तरह कार्य करते हैं। आइए देखते हैं ज्योतिष के दृष्टिकोण से -
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से कुंडली की स्तिथि संतान उत्पत्ति के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। हर व्यक्ति की कुडंली में उपस्थित पांचवा भाव बच्चों व उनसे जुड़े सभी गुणों एवं तत्वों को स्पष्ट करता है। पांचवा भाव एवं पंचमेश अर्थात पंचम भाव के अधिपति आपकी कुंडली के माध्यम से आपके जीवन में शिशु से जुड़े कर्मों व दोषों को स्पष्ट करते हैं। वहीं दूसरी ओर नव ग्रहों में गुरु अर्थात बृहस्पति संतान प्राप्ति के मुख्य प्रतिनिधि माने जाते हैं। इन सब के अतिरिक्त पुत्र अथवा पुत्री की प्राप्ति हेतु लग्न कुंडली में नौवें भाव अर्थात नवम भाव के अधिपति के हाव-भाव, स्थिति आदि की भी समीक्षा की जाती है।
नवमांश कुंडली के पंचमेश तथा पांचवे भाव साथ ही लग्न का अधिपति एवं सप्तांश कुंडली के पंचमेश, शिशु से सम्बंधित सूचना को प्रदर्शित करने का कार्य करते हैं। अगर पंचमेश, पांचवा भाव एवं बृहस्तपति किसी दुष्ट अथवा निष्ठुर ग्रहों के कुप्रभाव से प्रभावित होने लग जाएं, तो भी शिशु सुख की प्राप्ति में देरी ही नहीं बल्कि विघ्न भी उत्पन्न हो सकता है। उदाहरण के तौर पर शनि की असामान्य स्तिथि एवं कुदृष्टि से संतान पाने में देरी या इसका अभाव भी हो जाता है। वहीं मंगल व केतु के कुप्रभाव से शारीरिक कष्ट एवं पीड़ा इत्यादि हो सकते हैं।
राहु व केतु आपके वंशज से जुड़े नकारात्मक कर्मों की ओर इशारा करते हैं। कुंडली में मौजूद राहु, सर्पदोष तथा संतान पैदा करने के सामर्थ्य से संबंधित कमी एवं दोषों को बताता है। साथ ही राहु, गुरु या नवमेश पर अपना प्रभाव डालकर पितृ दोष भी उत्पन्न करता है जिसकी वजह से भी संतति सुख को प्राप्त करने में कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इनके अलावा षष्ठेश, अष्टमेश व द्वादेश भी संतान रत्न की प्राप्ति में रूकावट पैदा करने का कार्य करते हैं। ऐसी परिस्तिथि में यदि आपकी कुंडली में विद्यमान गुरु अर्थात बृहस्पति कमजोर हो तो भी संतति सुख की प्राप्ति तकरीबन नामुमकिन हो जाती है, यानी बच्चे होने की कोई संभावना नही रह जाती है। चूँकि पंचम भाव संचित कर्मों को भी स्पष्ट करता है, ऐसे में इन सभी कारणों को देखकर वंश से जुड़ी सुखद अथवा कष्टों से भरी जानकारी हासिल हो सकती है।
उपरोक्त तथ्यों के माध्यम से हमने ज्योतिष संबंधित वंश प्राप्ति में आ रही बाधाओं को देखा, तो चलिये अब जानते हैं इन मुसीबतों से निपटने के उपाय:-
हम यहाँ पर कुछ ऐसे कारगर उपायों को बता रहें हैं जिन पर अमल करके आप संतान की प्राप्ति में आ रहे सभी प्रकार के अवगुणों को दूर कर सकते हैं:-
संतान पाने के उपाय में नवग्रह पूजा का विशेष महत्व है। किसी भी व्यक्ति की कुंडली में नवग्रह अहम भाग होता है। अतः अपने नवग्रहों की शांति के लिए घर या मंदिर में यज्ञ एवं अभिषेक आदि करते रहें। ऐसा करने से सभी नवग्रह शांत होंगे साथ ही सभी दोष भी दूर होंगे तथा जीवन में सकारात्मकता भी बढ़ेगी, जिससे शुभ परिणाम मिलेंगे। आपके द्वारा किया गया यह पूजन संतान उत्पत्ति में आ रही बाधाओं को भी दूर करेगा।
आपको अपने गुरु अर्थात बृहस्पति की आराधना करनी चाहिए। यह संतान प्राप्ति के सभी उपायों में से सबसे आसान उपाय है। चूँकि बृहस्पति के कमजोर होने पर संतति सुख की प्राप्ति कर पाना मुश्किल होता है, इसलिए इसके लिए मुख्य अधिपति गुरु अर्थात बृहस्पति ग्रह के असर को प्रबल एवं सकारात्मक करने के लिए उनकी पूजा-अर्चना करें। इसके अतिरिक्त प्रत्येक बृहस्पतिवार के दिन गुड़ का भी अवश्य दान करें, इससे संतति सुख प्राप्ति के योग बढ़ेंगे।
शास्त्रों में मौजूद निम्न दिए गए दो मंत्रों के जाप द्वारा भी बृहस्पति ग्रह को प्रभावी बनाया जा सकता है:-
आपकी कुंडली में मौजूद राहु व केतु का स्थान, स्तिथि व उनका बाकि विद्यमान ग्रहों के साथ सम्बन्ध भी संतान होने में रुकावट डालता है। चूंकि राहु व केतु कर्मों के दोष आदि को दर्शाते हैं, जो हमारे जीवन में आने वाली आगामी मुसीबतों के लिए उत्तरदायित्व होते हैं। जीवन में घटित होने वाली सभी प्रकार की अशुभ घटनाओं, शुभ तथा लाभकारी कामों में देरी, रूठी हुई किस्मत तथा दुखदायी हालात इत्यादि सभी राहु-केतु के नकारात्मक दोष का ही परिणाम होते हैं।
राहु-केतु पुनर्जन्म के कर्मों का हिसाब-किताब भी रखते हैं और पूर्वजन्मों के कर्मों के अनुसार भी फल प्रदान करते हैं। इनके दोषों के निवारण हेतु नीचे दिए गए मन्त्रों का जाप करें साथ ही दूसरों के हित से जुड़े कार्य जैसे दान, भूखे को भोजन कराना आदि भी जरूर करें।
राहु ग्रह द्वारा उत्पन्न दोषों के निवारण हेतु इन मंत्रों का जाप करें-
केतु द्वारा उत्पन्न दोष को दूर करने के लिए निम्न मंत्रों का जाप करें-
संतान सुख में आ रहे व्यवधान को दूर करने के लिए पंचमेश की शक्ति को बढ़ाएं। अगर आपकी लग्न कुंडली पंचमेश दोष से प्रभावित है इसे दूर करने के लिए उनकी उपासना करें। इस प्रयोग को करने पर इस दोष का दुष्प्रभाव तो घटेगा ही साथ ही सकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिलेगा।
शिशु प्राप्ति के लिए नीचे दिए पूजा-अनुष्ठान के तरीकों को भी अपनाये। ये आपके मार्ग में आ रहे विघ्नों को दूर कर सकते हैं।
बाल गोपाल की पूजा
भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरुप संतान गोपाल (बाल गोपाल) की पूजा संतान प्राप्ति के उपायों में श्रेष्ठ उपाय है। उनकी पूजा-अर्चना करने से आपकी सभी समस्याएं व बाधाएँ दूर हो जाएंगी। जल्द ही आपकी खाली गोद भी भर जाएगी। इनकी पूजा दोनों पति-पत्नी को साथ में यानि जोड़े में करनी चाहिए। अगर संभव हो तो घर-परिवार के सदस्यों के साथ पूजा करें।
संतान गोपाल मंत्र:-
स्कन्द माता का पूजन
माँ दुर्गा के नौ सिद्ध स्वरूपों में से एक रूप स्कन्द माता का भी है। माँ के इस दैवी रूप में इनकी गोद भरी रहती है। सिंह पर सवार तथा अपनी गोद में भगवान कार्तिक को बैठाये स्कन्द माता अपने सभी भक्तजनों पर अपनी करुणा दृष्टि और आशीर्वाद बरसाती हैं। इनका पूजन स्त्रियों को ममता का सुख भेंट करता है।
स्कन्द माता की दया-दृष्टि एवं अपनी सूनी गोद भरने पाने हेतु इस मंत्र का जाप करें-
षष्ठी पूजन
भगवान सुब्रमण्यम अर्थात कार्तिकेय के षष्ठी पूजन से भी शिशु प्राप्ति से जुड़े नकारात्मक सभी दुष्प्रभाव दूर होते हैं और साथ ही स्वस्थ, हष्ट-पुष्ट, विकार-रहित शिशु की प्राप्ति होती है।
निम्लिखित षष्ठी पूजा मंत्र रोजाना जाप करें:-
कई बार कुछ ऐसे दोष भी होते हैं जिनके बारे में हम अमूमन नहीं ही सोचते है और वो हमारे लिए विघ्न की तरह कार्य करते हैं। उदाहरण के तौर पर कई परिवारों में उनके पूर्वजों के अंतिम संस्कार को करते समय किसी प्रकार की गलती होने अथवा उनके पूजा-पाठ को भली भांति से न करने पर भी संतान से जुड़ी परेशानियां पैदा हो जाती हैं। इसलिए अपने पितृ दोष के निवारण हेतु अपने पूर्वजों का व्यवस्थित तौर पर सही तरीके से भावपूर्ण श्राद्ध करें। इससे शिशु के जन्म से जुड़ी परेशानियां एवं सभी विघ्न दूर होते हैं। पितृ दोष को मुक्त करने के लिए पितरों का पूजन शिशु पाने में सर्वश्रेष्ठ समाधान है।
रुद्राक्ष सदैव से ही मंगलकारी रहा है जिनमें गर्भ गौरी रुद्राक्ष, मां पार्वती तथा उनके बेटे श्री गणपति को दर्शाता है। गर्भ गौरी रुद्राक्ष के दो भाग होते हैं जिसमे पहला भाग दूसरे भाग से आकार में छोटा होता है। बड़े आकार का भाग रुद्राक्ष माता गौरा अर्थात माँ पार्वती का स्वरुप माना जाता है वहीं छोटा भाग को गौरी पुत्र भगवान श्री गणेश का स्वरुप माना गया है।
प्राचीन रूद्र ग्रंथों के अनुसार गर्भ गौरी रुद्राक्ष अति पवित्र एवं शुद्ध होता है जिससे सकारात्मक ऊर्जा का उत्सर्जन होता रहता है। यह रुद्राक्ष उन सभी स्त्रियों के लिए बेहद फायदेमंद है जिन्हें हमेशा गर्भपात का भय लगा रहता है और जो मातृत्व सुख से वंचित हैं। अतः ऐसी सभी स्त्रियां जीवन में खुशहाली व ममता का सुख को पाने करने के लिए गर्भ गौरी रुद्राक्ष को अपने गले में पहन सकती हैं। इससे स्त्रियों को ममता का सुख प्राप्त होगा। इसके अलावा आप अपने घर के पूजन स्थल पर भी गर्भ गौरी रुद्राक्ष को स्थापित करें। उसके बाद प्रतिदिन 108 बार "ॐ नमः शिवाय" का जाप करें, अवश्य ही लाभ प्राप्त होगा।
वास्तु शास्त्र के अनुसार अगर घर में सकारात्मक ऊर्जा के बहाव में अगर किसी प्रकार का विघ्न पैदा होता है तो परिवार में अनेकानेक परेशानियां उत्पन्न होने लगती हैं। इनमें से कई तरह की परेशानियां आपके दाम्पत्य अथवा पारिवारिक जीवन, वित्तीय अथवा व्यापारिक दृष्टि से, या फिर आपकी अथवा आपके परिवार की सेहत से जुड़ी हो सकती हैं। आपके परिवार को जीवन शक्ति देने वाली सकारात्मक ऊर्जा घर संसार में हर तरह की खुशियाँ, अच्छी सेहत, सुख-शांति, धन एवं समृद्धि तथा मांगलिक कार्यों को लेकर आती है। अगर इस ऊर्जा के प्रवाह में कोई भी वास्तु दोष अगर बाधा डालता है तो अनेक प्रकार की परेशानियां जैसे घर में रोगों का रहना, जीवनसाथी के साथ क्लेश, नौकरी का बार बार छूटना अथवा रोजगार से असंतुष्टि, पारिवारिक झगड़े एवं अशांति, मांगलिक कामों में देरी आदि हो सकती हैं।
उपयुक्त वास्तु द्वारा उत्पन्न परेशानियों से बचने के लिए वास्तु यंत्र के साथ-साथ वास्तु दोष निवारण पूजा करने की भी आवश्यकता होती है। यह वैवाहिक जोड़ों के बीच प्रेम तो बढ़ायेगा ही, साथ ही घर-परिवार में प्रेम व एकता की भावना भी जगायेगा। इसके अतिरिक्त घर की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा और साथ ही साथ सभी मांगलिक कार्यों जैसे लक्ष्यों की प्राप्ति, विवाह और बच्चे आदि होंगे। वास्तु पूजा, शिशु को पाने के उपायों में अपना एक अहम् स्थान रखती है।
कई बार फेंगशुई से जुड़े टोने-टोटके भी शिशु पाने के उपायों में कारगर सिद्ध होते हैं।
घर की पश्चिमी दिशा को अधिक प्रभावशाली बनाना
हमारे घर की पश्चिमी दिशा हमारे जीवन में संतान पक्ष से जुड़ी होती है। इस दिशा को असरदार बनाने पर घर में अधिक सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। यह दिशा धातुओं से भी अच्छी खासी प्रभावित होती है। इसके लिए इस दिशा की दीवार पर धातु से निर्मित कोई सजावट का सामान लटकाने अथवा इस दीवार की ओर अन्य सामान रखने से सकारात्मक प्रभाव बढ़ता है तथा यह दिशा अधिक असरदार बनती है। इसके अलावा इस दिशा की दीवारों पर धातु से जुड़े रंग जैसे गोल्ड, सिल्वर, तांबा, पीतल या फिर सफेद रंग करवाने से भी अच्छा असर दिख सकता है। अगर इस दिशा में खिड़की व दरवाजे हैं तो आप धातुई रंगो के पर्दों अथवा फर्नीचर का प्रयोग करें।
दक्षिण-पश्चिम दिशा का महत्त्व
संतान से जुड़े सुख को पाने के लिए घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा को भी अधिक असरदार बना सकते हैं। ये दिशा वैवाहिक जीवन के प्रेम एवं समर्पण को दर्शाती है। इसे असरदार बनाने से विवाहित लोगों के बीच तालमेल एवं आकर्षण बढ़ता है, साथ ही बच्चे के जन्म से जुड़ी हर प्रकार की विघ्न तथा रुकावटें दूर होती हैं। इस क्षेत्र में एक लाल रंग के रिबन के साथ मिट्टी का बर्तन तथा पीली-नारंगी बत्तखों की जोड़ी का स्वरुप अथवा दीवार पर तस्वीर लटकाने से लाभ प्राप्त होगा।
हमे आशा है कि उपरोक्त उपायों के प्रयोग आपको संतान सुख की प्राप्ति करने में कारगर सिद्ध होंगे। ईश्वर से यही प्रार्थना है कि जल्द ही आपके घर में भी नन्हीं किलकारी गूंजे।