शनि की ढैया के उपाय

shani ki dhaiya ke nivaran ke upay

हम सभी इस बात से परिचित हैं कि ग्रह गोचरों की स्थिति परिस्थिति हमारे जीवन की परिस्थिति खुशी, गम, घटना, दुर्घटना आदि को प्रभावित करते हैं। इन्हीं ग्रह गोचरों के प्रभाव-दुष्प्रभाव में शनि का नाम सर्वव्यापी है। भगवान शनि सृष्टि के न्याय के देवता हैं। यह हर किसी को इनके अपराध का दंड प्रदान करते हैं जिसे प्रायः लोग इन के दुष्प्रभाव अथवा बुरी नजर के नाम से जानते हैं।

ज्ञान के अभाव में लोग शनि को अत्यंत ही दुष्प्रभावी एवं बुरा ग्रह मानते हैं, जबकि वास्तविकता तो यह है कि शनि व्यक्ति को उनके ही पूर्व कर्मों की सजा स्वयं से जुड़े प्रभावों के रूप में परिलक्षित कराते हैं। ऐसे में जातकों पर पड़ने वाले शनि के विभिन्न प्रभावों से व्यक्ति तत्काल चिंतित परेशान एवं भ्रष्ट हो जाते हैं एवं उनकी मुक्ति का मार्ग ढूंढते हैं। इन्हीं दुष्प्रभावों में शनि की ढैया अत्यंत प्रचलित है। इसके कारण जातक के जीवन में अनेकानेक प्रकार के संकट उत्पन्न होते हैं,

तो आइए आज हम जानते हैं कि क्या है शनि की ढैया जिसके तत्पश्चात हम यह भी जानेंगे कि शनि की ढैया किस प्रकार किस राशि के जातकों पर हावी होती है एवं इसके निदान हेतु क्या कुछ उपाय अपनायें जाने चाहिए।

तो आइए सर्वप्रथम जानते हैं शनि की ढैया के संबंध में-

शनि की ढैय्या

ब्रह्मांड में कुल नौ ग्रह विद्यमान है। इन नौ ग्रह में शनि का विशेष महत्व है। इसके प्रभाव जातक के जीवन में भिन्न-भिन्न रूप में परिलक्षित होते हैं जिनमें से शनि की ढैया एवं साढ़ेसाती अत्यंत ही प्रचलित है।

दरअसल शनि की चाल अत्यंत धीमी होती है। अतः जब वह किसी राशि में प्रवेश करते हैं, तो उन्हें उस राशि में गोचर करने में तथा उस राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने में कुल ढाई वर्षो की कालावधी लगती है। इन ढाई वर्षो तक शनि जातक पर उनके कर्मों के आधार पर परिणाम दर्शाते हैं जो शनि की ढैया के नाम से प्रचलित हैं।

आइए आज हम जानते हैं कि किस प्रकार आपकी कुंडली में शनि की ढैया लगती है एवं किन राशि के जातकों पर कौन सी स्थिति शनि की ढैया के प्रभाव पर प्रदर्शित करेंगी-

आपकी राशि में ढैय्या

यहाँ हम शनि के राशि परिवर्तन की स्थिति को समझते हुए शनि की ढैया के राशियों पर पड़ने वाले प्रभाव को जानेंगे जिससे हमें यह बोध होगा कि किन राशियों में शनि का संचार आपके ऊपर शनि की ढैया के प्रभाव को परिलक्षित करेगा।

1-  जब किसी जातक की कुंडली के कर्क एवं वृश्चिक राशि में शनि गोचर करता है, तो मेष राशि के जातकों पर शनि की ढैया का प्रभाव दृश्य मान होता है।

2- शनि ग्रह का गोचर जब जातक के धनु अथवा सिंह राशि में होता है, तब वृषभ राशि के जातकों को शनि देव के ढैया के प्रकोप से पीड़ित होना पड़ता है।

3-  वहीं जब कन्या व मकर राशि में शनि देव गोचर करते हैं, तो मिथुन राशि के जातकों पर शनिदेव की ढैया के प्रभाव परिलक्षित होते है।

4-   कर्क राशि के जातकों पर शनि की ढैया का प्रभाव तब हावी हो जाता है जब शनि का गोचर तुला एवं कुंभ राशि में होने लगता है।

5- शनि की ढैया का प्रभाव सिंह राशि के जातकों पर तब विद्यमान होता है, जब शनिदेव वृश्चिक और मीन राशि में अपना गोचर करते हैं।

6- धनु और मेष राशि में जब शनि देव भ्रमण करते हैं, तब इसका प्रभाव कन्या राशि के जातकों पर शनि की ढैया के रूप में दृश्य मान होता है।

7- मकर एवं वृष राशि में शनि गोचर करके तुला राशि हेतु शनि की ढैया के प्रभाव परिलक्षित करते हैं।

8- वृश्चिक राशि के जातकों पर तब शनि की ढैया का प्रभाव पड़ने लगता है, जब शनि देव कुंभ तथा मिथुन राशि में प्रवेश कर गमन करते हैं।

9- जब शनिदेव मीन तथा कर्क राशि में गोचर करते हैं, तब यह धनु राशि के जातकों पर शनि की ढैया के रूप में प्रभावी हो जाता है।

10- शनि की ढैया का प्रभाव मकर राशि के जातकों पर तब हावी हो जाता है, जब शनि देव मेष राशि तथा सिंह राशि में गमन करने लगते हैं।

11-  किसी भी जातक की कुंडली में जब शनि देव वृष तथा कन्या राशि में गमन करने लगते हैं, तब कुंभ राशि के जातकों के ऊपर शनि की ढैया का प्रभाव दृश्य मान होता है।

12-  शनि देव जब मिथुन व तुला राशि में गोचर करते हैं, तब मीन राशि के जातकों के ऊपर यह शनि की ढैया के रूप में आरंभ हो जाता है।

शनि की ढैया की काल अवधि में बरतें ये सावधानी

  • शनि की ढैया की काल अवधि के दौरान जातकों को किसी भी चुनौती भरे कार्य से बचने का प्रयत्न करना चाहिए। चुनौती भरे कार्य में आपका नुकसान होना समझिए तय माना जाता है।
  • शनि के किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव अथवा शनि की ढैया की काल अवधि के दौरान आपको धैर्य एवं हौसलों से कार्य करना चाहिए।
  • इस दौरान आप अपने सगे-संबंधियों से मदद लेने से बचें। अपने कार्य को स्वयं ही करने की चेष्टा करें।
  • शनि की ढैया अथवा शनि के दुष्प्रभाव से पीड़ित जातकों को प्रतिदिन भगवान सूर्य को प्रातः काल में अर्घ्य देकर स्वयं को बुरे कार्यों से दूर रखने हेतु प्रार्थना करनी चाहिए।
  • आप इस दौरान अधिक से अधिक यह प्रयत्न करें कि किसी भी प्रकार के बुरे अथवा पाप युक्त कार्य आपसे ना हो।
  • शनि की ढैया से प्रभावित जातकों को मांस-मदिरा जैसे तामसिक भोजन के सेवन से बचना चाहिए।
  • स्त्रियों के प्रति आप अपनी दृष्टि सकारात्मक रखें एवं हर किसी से प्रेम वत बर्ताव रखने का अधिक से अधिक प्रयत्न करें।

बचाव के उपाय

भगवान शनि के प्रकोप से बचाव हेतु शनिवार के दिन भगवान शनि की आराधना के साथ-साथ आपको सुंदरकांड अथवा हनुमान चालीसा का भी पाठ करना चाहिए।

हनुमान चालीसा का नित्य पाठ करना, शनि की ढैया के प्रकोप से बचाव हेतु शुभ फलदाई माना जाता है।

हर शनिवार को प्रातः काल पीपल के पेड़ में जल अर्पित करें, इससे भगवान शनि के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है।

पीपल के पेड़ में जल प्रदान करने के पश्चात आप उसी स्थल पर बैठकर 108 बार भगवान शनि के मंत्रों का जप करें। शनि की ढैय्या के बुरे परिणाम से मुक्ति मिलेगी।

शनिवार के दिन एवं शनि जयंती के दिन आपको शनि भगवान से जुड़ी वस्तुओं खास तौर पर काले रंग की वस्तुएं जैसे कि काले उड़द की दाल, तेल, लोहा, काले कपड़े आदि का दान करना चाहिए।

जिन जातकों के ऊपर शनि की ढैया का प्रभाव होता है, उन्हें शनिवार के दिन किसी भी व्यक्ति से सरसों अथवा तिल का तेल या लोहे की कोई भी वस्तु उपहार में नहीं लेना चाहिए ।

शनि की ढैया से बचाव हेतु आपको घर के बड़े-बुजुर्गों की सेवा करनी चाहिए, साथ ही स्त्रियों का अधिक से अधिक सम्मान करें।

भगवान श्री हनुमान जी की आराधना काले तिल से करने से भी शनि देव प्रसन्न होते हैं। इस दिन आप भगवान श्री हनुमान के मंत्रों का भी जप करें एवं उनकी प्रतिमा के समीप संध्या कालीन बेला में सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

शनि की ढैया के दुष्प्रभाव से बचाव हेतु जातकों को श्री काली चालीसा, श्री दुर्गा सप्तशती अर्गला स्त्रोत आदि का पाठ करना फायदेमंद होता है।

शनि की ढैया के प्रभाव से मुक्ति हेतु जातकों को ज्योतिषीय परामर्श से नीलम धारण करना चाहिए। नीलम शनि के लिए उपयुक्त रत्नों में से श्रेष्ठ है।

शनि की ढैया की काल अवधि के दौरान भगवान शनि को प्रसन्न करने हेतु आप भगवान श्री हनुमान को तिल के तेल के साथ-साथ सिंदूर, उड़द की दाल आदि भी चढ़ाएं। बाद में आंकड़े अथवा धतूरे की माला अर्पित कर उनकी पूजा-अर्चना करें। इससे शनि की ढैया के प्रभाव धीरे-धीरे घटने लगते हैं ।

शनि की ढैया को दूर करने हेतु जातकों को ज्योतिषीय परामर्श से मंगलवार अथवा शनिवार के दिन घोड़े की नाल से बने अंगूठी को अपने हाथ की मध्यमा उंगली में धारण करना चाहिए।

शनि के दुष्प्रभावों से निवारण हेतु श्री शनि स्रोत अथवा शनि चालीसा का नियमित पाठ करना चाहिए।

शनि की ढैया अथवा किसी भी प्रकार के संकट के निवारण हेतु महामृत्युंजय मंत्र को सर्वोत्तम एवं सर्वश्रेष्ठ मंत्र की संज्ञा दी गई है। अतः आप महामृत्युंजय मंत्र का जीवन में वरण करें एवं नियमित कम से कम 108 बार इसका जब अवश्य करें। किसी भी प्रकार की बाधा संकट आदि आपके जीवन में कभी भी नहीं आएगी।