विवाह जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव है जो किसी भी लड़के या लड़की की पूरी जिंदगी को बदल कर रख देता है। हर किसी का सपना होता है कि उसे एक अच्छी नौकरी मिलें, जिसके बाद मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त हो जो जीवन भर हर सुख-दुख में उसका साथ निभाए। किंतु जब हम अपनी जिंदगी में अपने पैरों पर खड़े हो जाते हैं, और उसके बाद भी योग्य वर/कन्या नहीं मिल पा रहे होते हैं तो हमारे लिए यह एक चिंता का विषय बन जाता है।
परिवार के लोग रिश्ते देख-देख कर तंग आ जाते हैं। एक समय बाद ऐसा होता है कि समाज के लोग भी ताना देने लग जाते हैं और आपकी उम्र भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जाती है। ऐसे में संभव है कि आपकी विवाह में आ रही बाधाएं आपकी कुंडली दोष के कारण हो। इसलिए आप अपनी कुंडली के अनुसार उपाय अपनाएं जिससे कि आपकी कुंडली दोषमुक्त हो और इच्छित वर-वधु की प्राप्ति करें।
ज्योतिषशास्त्र की दृष्टि से अगर हम देखें तो हमारी कुंडली की ग्रह दशा हमारे भाग्य का संचालन करती है। परिवार, कारोबार आदि की स्थिति हमारी जन्मकुंडली में मौजूद ग्रहों की परिस्थिति पर निर्भर करते हैं। ज्योतिष के अनुसार ऐसे कई दोष हैं जो विवाह के कारकों को प्रभावित करते हैं। आइये देखते हैं क्या है वो कारक।
गुरु का कमजोर होना
बृहस्पति को ग्रहों में प्रधानता दी गई हैं। यदि व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति की वक्र दृष्टि हो तो इसका दोष भुगतना पड़ता है। जब गुरु कमजोर होता है तब वह अपनी नीच राशि मकर में स्थित रहता है जिससे व्यक्ति के विवाह होने में अनेकों परेशानियों उत्पन्न होनी शुरू हो जाती हैं।
शुक्र का नीच होना
शुक्र सुख, शांति और भौतिकवादी चीजों का परिचायक होता है। अतः व्यक्ति की कुंडली में शुक्र के कमजोर होने से व्यक्ति का दांपत्य जीवन प्रभावित होता है, साथ ही नौकरी-विवाह आदि में भी समस्याएं उत्पन्न होती रहती हैं। शुक्र को मजबूत करने के उपाय
नवांश कुंडली द्वारा विघ्न
किसी भी जातक की जन्मकुंडली में मौजूद नौवें अंश को नवांश कुंडली कहते हैं। नवांश कुंडली के द्वारा व्यक्ति के जीवन में परिलक्षित हुई सभी घटनाओं एवं भविष्य में होने वाली घटनाओं का सटीक अनुमान लगाया जाता है। इसकी परिस्थिति में उच्च-नीच होने पर व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इससे विवाह आदि में विघ्न एवं समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
सप्तमेश का नीच होना
जब जातक की कुंडली का सप्तम भाव का स्वामी नीच राशि में स्थित रहता है अथवा उसका सप्तमेश 6, 8, अथवा 12 के भाव में मौजूद रहता है तो सप्तमेश अपने दुष्ट परिणाम देता है जिस कारण से जातक के जीवन में अनेकानेक परेशानियां आती है एवं विवाह संबंधित कार्यों में अत्यंत ही देरी होती है।
मांगलिक जातक
मांगलिक दोष को दांपत्य जीवन हेतु एक बड़ा दोष माना गया है। यदि किसी मांगलिक जातक का विवाह किसी सामान्य जातक से हो जाता है तो उन दोनों के बीच में आए दिन कलह-क्लेश बने रहते हैं। इसलिए कहा जाता है कि मांगलिक जातक का विवाह मांगलिक जातक से ही होना चाहिए। मांगलिक दोष वाले जातक को विवाह हेतु वर-वधू ढूंढने में काफी समय लगता है।
निम्न दिए गए मन्त्रों के नियमित उच्चारण से भी विवाह सम्बंधित विलम्ब दूर किये जा सकते हैं :-
ॐ विश्वावसु गंधर्व कन्यानामधिपति।
सुवर्णां सालंकारा कन्यां देहि मे देव।।
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्।
तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम।।
“क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा।
ॐ सृष्टिकर्ता मम विवाह कुरु कुरु स्वाहा।
अगर आपको लगता है कि आपकी कुंडली के दोष एवं ग्रह गोचरों की स्थिति के कारण आपके विवाह में विघ्न व बाधाएं आ रही हैं तो इसके लिए आपको सर्वप्रथम किसी सिद्ध ज्योतिषी के समक्ष जाकर अपनी कुंडली को दिखाना चाहिए। तत्पश्चात ही कोई भी निर्णय उपाय अथवा रत्न आदि धारण करना चाहिए। किसी भी तथ्य के संबंध में पूर्ण जानकारी होने के पश्चात उठाया गया कदम सफलदायक सिद्ध होता है एवं इससे किसी नई परेशानी के उत्पन्न होने का भय भी नहीं रहता।
कुछ अन्य ज्योतिषीय उपाय: