सूर्य सृष्टि का कर्ताधर्ता है। सूर्य की वज़ह से ही दिन रात और जहान है। यह संपूर्ण ब्रह्मांड भर में दिव्य अलौलिक आभा बिखेरता है। इसकी रश्मि से प्राण खिल उठता है। सूर्य हमारा मूल स्वरूप है। इसके बिना हमारा कोई अस्तित्व ही नही है।
ऐसे में जब हम ज्योतिष विज्ञान में कदम रखते है, तो बात की जाती है हमारी जन्म कुंडली की, कुंडली में स्थित ग्रह-गोचरों के स्थिति की, जिसमे सूर्य एक मुख्य ग्रह है जो कुंडली में विराजमान होता है। इसकी स्थिति हमारी परिस्थिति को प्रभावित करती है। इसकी दशा-दिशा हमारे जीवन, हमारे वर्तमान एवं भविष्य को निर्धारित करती है। अतः कुंडली में सूर्य की स्थिति का संतुलित होना हमारे लिए मंगलकारी है।
अगर कुंडली में विद्यमान सूर्य शांत ना हो अथवा कमजोर हो तो जीवन में अनेकों प्रकार की अशांति एवं बाधाएं उत्पन्न हो जाती हैं जिन्हे सही समय पर सही तरीके से ही ठीक किया जा सकता है। तो आइये आज हम जानते है कुछ ऐसे उपाय जो हमारी कुंडली में विराजमान सूर्य को दृढ एवं सुभफलदायी बनाएंगे।
1. सूर्य अर्घ्य
सूर्य की शांति के लिए सुबह-सुबह नहाने के बाद सूर्य देव को जल अर्पण करे। यह शुभ कार्य ब्रह्म मुहूर्त में ही करने का प्रयत्न करें। इसके लिए जल अर्पित करते समय निम्न मंत्र का उच्चारण भी करें।
ऊँ ऐही सूर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते। अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणार्ध्य दिवाकर:।।
ऊँ सूर्याय नम:, ऊँ आदित्याय नम:, ऊँ नमो भास्कराय नम:।
2.सूर्य देव के लिये व्रत
माना जाता है कि रविवार का दिन सूर्य देव की आराधना के लिए सर्वोत्तम है। यह दिन सूर्य देव के लिए ही होता है। अतः सूर्य देव का आशीर्वाद पाने हेतु रविवार को व्रत धारण किया जाता है जिसमें आप किसी शुभ संकल्प को धारण कर व्रत को धारण करते हैं।
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3. स्नान का सकारात्मक प्रभाव
आपके स्नान करने के तौर-तरीके भी आपके ग्रह पर अपना प्रभाव डालते हैं, इसलिए जब भी गोचर में सूर्य अहितकारी हो तो जातक का नहाते वक्त पानी में खसखस अथवा लाल फूल अथवा केसर डालकर नहाना अत्यंत शुभकारी रहता है। ये तीनो सूर्य की कारक वस्तुएं हैं। सूर्य देव के उपाय करने पर अन्य सभी प्रकार के हानिकारकों से संरक्षण के साथ जातक में प्रतिरोधक शक्ति का भी विकास होता है। स्नान करने में यदि गंगाजल का प्रयोग किया जाए तो यह सोने पर सुहागे का कार्य करता है।
4. तुलसी है खास
तुलसी को भगवान विष्णु की अर्धांगिनी माना जाता है। तुलसी का पौधा कोई सामान्य पौधा नहीं अपितु यह सर्वश्रेष्ठ औषधि के साथ दिव्यतम ज्योतिषीय प्रभाव भी डालता है। इसलिए नित्य प्रतिदिन संध्या कालीन वेला में तुलसी के समक्ष घी का दीपक जलाएं जिसकी आभा आपके जीवन को प्रकाशित करेगी। साथ ही यह सूर्य ग्रह की शांति में भी सहायक है।
5. सूर्य से जुड़ी वस्तुओं का दान है शुभकारी
सूर्य को प्रबल करने के लिए गरीबों को ताम्बे की वस्तुएं, गुड़, गेहूं, मसूर दाल इत्यादि दान करें। यह दान हर इतवार अथवा सूर्य संक्रांति के दिन भी कर सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि सूर्य ग्रहण के दिन भी सूर्य देव से जुड़ी वस्तुओं का दान करना बेहद फलदायी रहता है। इसका प्रभाव आपकी कुंडली पर पड़ता है जो आपके सूर्य ग्रह को संतुलित कर सकारात्मक परिणाम देने योग्य बनाती है। बस ये ध्यान रखें कि ये दान आप अपनी पूरी श्रद्धा एवं आस्था के साथ ही करें।
6. मंत्र उपाय
सूर्य के उपायों शांति हेतु मंत्र जाप भी किया जाता है। इसके लिए नियमित तथा विशेष मायने में सूर्य के मंत्रों में 'ॐ घूणि: सूर्य आदित्य:' मंत्र का जाप किया जाता है। हर इतवार के दिन यह जाप करना विशेष रूप से शुभ फल देता है। अगर इसे प्रतिदिन किया जाए तो यह और भी अधिक मंगलकारी हैं। अतः रोज कम से कम 108 बार इस मंत्र का जाप अवश्य करें।
7. गायत्री उपासना
गायत्री को सूर्य की ऊर्जा कहा जाता है। गायत्री सूर्य का सार है, अतः गायत्री की आराधना सूर्य को प्रसन्न करने के समान है। गायत्री का स्वरूप जब व्यक्ति के अंतर्मन में विस्तृत होता है तो स्वयं ही संपूर्ण दोष मुक्त हो जाता है, एवं सूर्य के साथ-साथ अन्य सभी ग्रह भी संतुलित एवं शुभ परिणाम दाई हो जाते हैं। अतः प्रतिदिन गायत्री मंत्र का 108 बार जप करें।