हिन्दू सनातन धर्म में प्रत्येक दिन का किसी ना किसी देवी-देवता से सम्बन्ध होता है, जैसे बुधवार गणेश जी का, मंगलवार हनुमान जी का आदि। इसी प्रकार शुक्रवार का दिन देवी माँ की आराधना का दिन होता है। इस दिन माँ लक्ष्मी एवं माँ संतोषी की आराधना की जाती है। शुक्रवार के दिन जो माँ लक्ष्मी की सच्चे मन से आराधना करता है, माँ उसके सभी कष्ट हर लेती है तथा उसे सभी सांसारिक सुखों का वरदान देती है। शास्त्रों में कुबेर जी को धन के देवता एवं माँ लक्ष्मी को धन की देवी कहा गया हैं। शुक्रवार के दिन का व्रत रखने से माँ लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है।
ऐश्वर्य और ईश्वर में कोई समानता नहीं है परन्तु कलयुग में ऐश्वर्य को ही इस्वर तुल्य मान लिया गया है। आज के युग की सबसे बड़ी समस्या निर्धनता है। निर्धन व्यक्ति ना केवल धन से बल्कि मान एवं सम्मान से भी वंचित हो जाता है। अतः इस समस्या का समाधान धन की देवी माँ लक्ष्मी की आराधना एवं उनका व्रत कर के प्राप्त होता है। माँ लक्ष्मी को चंचला की संज्ञा दी गई है क्यूँकि लक्ष्मी कभी एक स्थान पर स्थिर नहीं रहती है।
माँ लक्ष्मी के द्वादश अक्षर मन्त्र की महिमाः
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं जगात्प्रसुत्यै नमः
समुद्र मंथन के समय जब माँ लक्ष्मी प्रकट हुई तब देवराज इंद्र ने इन द्वादश अक्षरों से माँ लक्ष्मी की स्तुति की। माँ लक्ष्मी ने अपनी स्तुति सुन प्रसन्न हो देवराज इंद्र को यह वरदान दिया के जो मनुष्य, गन्धर्व, नाग, देव, या किन्नर इस स्तुति द्वारा मेरा सच्चे मन से दिन के तीन पहर स्मरण करेगा वह धन देव कुबेर के समतुल्य धनवान हो जायगा। अतः इस युग में जब लोगों को धन वैभव के कारण ही सम्मान प्राप्त होता है, यह मंत्र अति फलदायक है।
अष्टस्वरूपा माँ लक्ष्मीः
माँ लक्ष्मी को अष्टस्वरूपा कहा गया है। उनके ये आठ रूप मनुष्य के जीवन की 8 महत्वपूर्ण आधारशिला हैं। इन अष्टस्वरूपों द्वारा माँ लक्ष्मी मनुष्य जीवन के 8 अलग-अलग अवस्थाओं से जुडी हुई हैं। माँ के अष्टस्वरूपा रुप की आराधना करने से मानव जीवन के समस्त दुःख नष्ट हो जाते है, धन का आभाव नहीं रहता है, कर्ज समाप्त हो जाता है, दीर्घायु होता है, बुद्धि कुशाग्र होती है, समाज में उसको सम्मान मिलता है और स्वास्थ्य बना रहता है।
अष्ट लक्ष्मी स्वरुप एवं उनके मूल बीज मंत्र कुछ इस प्रकार हैंः
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार शुक्र ग्रह वास्तव में एक स्त्री ग्रह है तथा इसकी प्रकृति मृदु होती है। यह जातक के जीवन में स्त्री, एवं धन सुख को प्रभावित करता है। यह ऐश्वर्य का साधक होता है। शुक्र ग्रह को रजोगुणी ग्रह कहा गया है। यह विवाह, प्रेम सम्बंध, यौन संबंध, सुख सौन्दर्य आदि का नैसर्गिक कारक है। जातक की कुंडली में शुक्रग्रह उसके विवाह सम्बंध में अहम भूमिका निभाता है। जातक की कुंडली में शुक्र ग्रह का अच्छा होना उसे सुंदर,आकर्षित एवं तेजस्वी बनता है। कुंडली में शुक्र की उच्च दशा होने पर जातक का रुझान काव्य लेखन, अभिनय, गायन, कला आदि में बढ़ता है।
देवियों को समर्पित है शुक्रवार का दिनः
शुक्रवार का दिन देवी माँ के हर स्वरूप की पूजा के लिए विशेष माना जाता है। इस दिन लोग मिठाई एवं खीर का दान करते है। पौराणिक कथाओं के अनुसार 16 शुक्रवार व्रत रखने से खासा लाभ होता है। इस दिन सफेद रंग के वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है। समस्त ब्रह्माण्ड के वैभव की देवी, माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए शुक्रवार के दिन का बहुत महत्त्व है। शुक्रवार का व्रत कुछ लोग संतान की प्राप्ति के लिए तो कुछ खुशहाल जीवन एवं समस्त बाधाओं को दूर रखने के लिए रखते है।
शुक्रवार माँ लक्ष्मी का दिन है। इस दिन माँ लक्ष्मी की आराधना एवं उनके मंत्रों का जाप करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। जातक को इस दिन का आरंभ 'ॐ श्रीं श्रीये नमः' का 108 बार जाप कर करना चाहिए। माँ लक्ष्मी का यह बीजमंत्र बहुत फलदायी है।