दैनिक जीवन में जिन वस्तुओं का हम उपयोग करते है, उन वस्तुओं का रखरखाव किस प्रकार से किया जाए, वह भी वास्तु का एक स्वरूप है।
माना जाता है कि वास्तु का निर्माण वस्तु शब्द से हुआ है। वास्तु शास्त्र के बताए गए नियमों के द्वारा यदि घर, कार्यालय, भवन अथवा मन्दिर आदि का निर्माण किया जाए तो इसे शुभ माना गया है।
वास्तुकला का उपयोग एवं हर प्रकार से उसे प्रयोग में लाना एक वृहद प्राचीन भारतीय विज्ञान है, जिसे आधुनिक समय या आज के समय में विज्ञान के आविष्कार - आर्किटेक्चर का प्राचीन रूप बताया जा सकता है।
घर के नक्शों और आसपास निर्माण के स्थान का ऐसा समावेश करना और ढांचे को उपयुक्त ढँग से आकार देना, जिससे सुविधाजनक एहसास के साथ ही समरसता, सुंदरता, सफलता, अखंडता और साहस का सृजन हो सके, इसी प्राचीन विद्या को वास्तुकौशल भी कहा जाता है।
हिंदू धर्म में खासकर ऐसी मान्यता है कि यदि किसी वस्तु को उसके सही स्थान पर ना रखा जाए, या जिस वस्तु के लिए जो स्थान निर्धारित किया गया है, वहाँ ना रखा जाए तो घर परिवार में नकारात्मकता एवं बुरा प्रभाव रोजमर्रा की जिंदगी में आसानी से आने लगता है।
दूसरे शब्दों में कहें तो यदि हमारे आसपास के माहौल में नकारात्मकता बढ़ेगी, तो हमारे लिए नई-नई परेशानियों का सबब हर दिन बनता रहेगा और परेशानियां भरी जिंदगी गुजारना आम इंसान के तो बस की बात नहीं है। इसीलिए वास्तु को ध्यान में रखकर कोई भी कार्य किया जाए तो यह हमारे लिए ही शुभ फलदाई होता है।
जिस प्रकार से हम अपनी रोजमर्रा के जीवन में वास्तु का महत्व देखते हैं, ठीक उसी प्रकार यदि कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखा जाए तो आपस में परिवार के मध्य सहानुभूति एवं दृढ़ता और प्रेम बने रहते हैं जिससे हमें आम दिन में मिलने वाली परेशानियों का भय कम हो जाता है।
आइए आज जानते हैं वह कौन-कौन से वास्तु नियम है जिनको अपने दैनिक जीवन में अपनाकर हम अपनी परेशानियों एवं बाधाओं से दूर रह सकते हैं।
नियम 1:
पहला वास्तु नियम कहता है कि हमें हर दूसरे या तीसरे दिन, या फिर सप्ताह में कम से कम एक बार तो कपूर जलाकर पूरे घर में दिखाना ही चाहिए। कपूर का ना केवल अध्यात्म के अनुसार, बल्कि विज्ञान के अनुसार भी नकारात्मकता को दूर रखने के लिए इसका उपयोग हितकर बताया गया है।
कपूर जलाने से घर के आस-पास या घर के अंदर मौजूद सभी तरह की नकारात्मक ऊर्जा से निजात मिलती है एवं घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
नियम 2:
जब भी भोजन पकाते समय रोटी बनाएं, रोटी डालने के पहले तवे पर दूध के छींटे मारना सही रहता है। ऐसा माना जाता है कि तवे पर दूध के छींटे मारने के बाद रोटी सेकने से पारिवारिक कलह से बचाव होता है और सभी का स्वास्थ्य ठीक बना रहता है।
नियम 3:
वास्तु नियम यह भी कहता है कि घर की पूर्व दिशा में या फिर जिस स्थान पर घर का मंदिर हो, जहाँ हर दिन पूजा की जाती हो, उसके आसपास तुलसी का पौधा अवश्य लगाना चाहिए।
हिंदू धर्म में तो वैसे भी तुलसी के पौधे का विशिष्ट स्थान है और गुरुवार को तुलसी के पौधे में जल का अर्घ्य डालते समय थोड़ा सा दूध मिलाकर जल अर्पित करना शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इससे पारिवारिक अशांति एवं मानसिक तनाव दूर रहते हैं।
नियम 4:
जिस जगह पर घर में बाकी सदस्यों के एक साथ बैठने का स्थान (बैठक) बनाया गया हो, वहाँ पर किसी संत महात्मा एवं, किसी जाने-माने दर्शनशास्त्र की तस्वीर लगाने से घर परिवार में सकारात्मकता बनी रहती है, साथ ही हर कार्य में सफलता मिलती है और परिवार के सदस्यों की मेहनत सिद्ध होती है।
नियम 5:
यह बात तो आम है, जो सबको पता होनी चाहिए। अपने घर में किसी भी प्रकार की टूटी फूटी वस्तुएं, गमले, फर्नीचर, खिलौने, फटे कपड़े, या फिर मुरझाए हुए पेड़-पौधे नहीं रखने चाहिए। यदि इन चीजों को घर से दूर कर दिया जाए तो घर में सकारात्मक ऊर्जा का रिसाव होता है।
नियम 6:
वास्तु नियम कहता है कि हमारे घर में हरे भरे पेड़ पौधे अवश्य होने चाहिए। इसके दो कारण है, पहला यह कि इन पेड़-पौधों से हमें सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है, और दूसरा प्रभाव यह है कि इनके कारण ही हमें प्राणवायु मिलती है। यह पेड़-पौधे हमारे सच्चे मित्र होते हैं जो घर में आसपास के माहौल को सकारात्मक बनाने में हमारी सहायता करते हैं। घर में हरे भरे पौधे रखने का स्थान दक्षिण पूर्व दिशा को माना जाता है।
नियम 7:
घर में किसी भी प्रकार का फर्नीचर खरीदने या रखने से पहले इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि ये आकार में नुकीले न हों। वास्तु नियमों के अनुसार फर्नीचर वहीं शुभ माने जाते हैं जिनका किनारा गोलाकार हो। फर्नीचर खरीदते समय इस बात का ध्यान भी अवश्य रखना चाहिए कि जो फर्नीचर खरीद रहे हैं, वह कमरे के हिसाब से सही आकार में हो। अर्थात ना ही कमरे के अनुसार अत्यधिक बड़ा और ना ही ज्यादा छोटा।
नियम 8:
दिशाओं के हिसाब से बात करें तो घर के पूर्व, उत्तर की दिशाएं एवं ब्रह्म स्थान, अर्थात घर के बीचो बीच के स्थान को हमेशा हल्का और खाली खाली रखें। वहीं दूसरी ओर बात करें तो दक्षिण दिशा में भारी-भरकम ढांचे का निर्माण किया जा सकता है, या फिर आप दक्षिण दिशा में कोई भारी वस्तु भी रख सकते हैं। ऐसा करना शुभ माना जाता है और घर की सकारात्मकता भी बनी रहती है।
नियम 9:
ऐसी मान्यता है कि परिवार का स्वास्थ्य एवं सेहत सही बनी रहे, इसलिए हमें अपने घर में दीपक जलाते वक्त तेल में लौंग डालकर रखना चाहिए। यदि आपको दीपक जलाने की आवश्यकता नहीं है तब भी एक दीपक में सरसों के तेल के साथ ही लौंग डालकर रखें।
नियम 10:
सुबह सोकर उठने के पश्चात घर के पूर्व दिशा में बने सभी खिड़की दरवाजे पूरी तरह खोल देना चाहिए। इस तथ्य के भी दो कारण है - पहला यह कि पूर्व दिशा से आने वाली सूर्य की किरणें सकारात्मक प्रभाव लाती है, और दूसरे यह कि वास्तु नियम के अनुसार पूर्व दिशा से आने वाली ऊर्जा को शुभ माना जाता है।