बेडरूम से जुड़े महत्वपूर्ण वास्तु टिप्स
वास्तु का अर्थ, जैसा की हम पहले के अंकों में बता चुके है, किसी स्थान के निर्माण की वह प्राचीनतम विधि है जिसके माध्यम से हम प्राकृतिक ऊर्जा का सकारात्मक संचार उस निर्माण स्थान में करते है। किसी स्थान को वास्तु के अनुसार बनाने से उस स्थान में निवास करने वाले व्यक्तियों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है एवं मानसिक तनाव से उन्हें छुटकारा मिलता है। वास्तु शास्त्र लोगों पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।
आज के अंक में हम चर्चा करेंगे बैडरूम यानी शयनकक्ष में होने वाले वास्तु शास्त्र की। शयनकक्ष के लिए वास्तु बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक ऐसी जगह है जहाँ हम दिन भर की थकान मिटाने के लिए आराम करते है और अगले दिन के लिए ऊर्जा प्राप्त करने के लिए एक अच्छी नींद लेते हैं। शयनकक्ष के लिए वास्तु शास्त्र को बहुत ही उच्च प्राथमिकता और महत्व दिया गया है। बेडरूम को वास्तु शास्त्र के अनुसार बैडरूम का आकार चौकोर या आयताकार होना चाहिए।
बेडरूम के लिए उपयुक्त वास्तु टिप्स
- बेडरूम के लिए वास्तु के अनुसार, परिवार के मुखिया को घर के दक्षिण-पश्चिम कोने में स्थित बैडरूम में रहना चाहिए।
- मास्टर बेडरूम घर के दूसरे कमरों से सदैव बड़ा होना चाहिए।
- यदि घर कई मंज़िलों वाला है तो ऊपरी मंजिल के दक्षिण-पश्चिम कोने में मास्टर बेडरूम का होना उपयुक्त होता है।
- बेडरूम में बिस्तर को दक्षिण या पूर्व की दीवार की ओर रखना चाहिए ताकि सोते समय व्यक्ति का सिर दक्षिण या पूर्व की ओर हो और पैर उत्तर या पश्चिम की ओर हो।
- वास्तु शास्त्र के अनुसार बेडरूम में सोने की विभिन्न दिशायें : -
- पूर्व की ओर पैर करके कदापि नहीं सोना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि क्योंकि पूर्व दिशा से सूर्य का उदय होता है, इसलिए इस दिशा में देवी-देवता वास करते हैं।
- पश्चिम की ओर पैर रखकर सोने से मानसिक संतुष्टि और आध्यात्मिकता का शौक बढ़ता है।
- उत्तर की ओर पैर रखकर सोने से समृद्धि और वैभव बढ़ता है।
- व्यक्ति को दक्षिण की ओर पैर करके नहीं सोना चाहिए। ऐसा करने से उसे गहरी नींद नहीं आएगी उसे बुरे सपने, बुरे विचार आदि आएंगे। दक्षिण दिशा यम (मृत्यु के देवता) का स्थान है अतः इस और पैर करने से मन की बीमारी बढ़ेगी और आयु कम होने की संभावना है।
- बिस्तर को किसी भी कोने में लगाना अनुपयुक्त होता है।
- वास्तु के अनुसार मास्टर बेडरूम का उपयोग केवल विवाहित जोड़ों को करना चाहिए।
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- पश्चिम या उत्तर की दिशा कमरे अटैच्ड बाथरूम के लिए उपयुक्त है।
- बेड के सीधे सामने बाथरूम का दरवाज़ा नहीं होना चाहिए और बाथरूम का दरवाजा हमेशा बंद रखना चाहिए।
- मास्टर शयनकक्ष के प्रवेश द्वार के लिए पूर्व, उत्तर या पश्चिम की दिशा में स्थित दीवार सबसे उपयुक्त होती है, दक्षिण की दिशा में स्थित दीवार से प्रवेश से बचें।
- सुनिश्चित करें कि बेडरूम का दरवाजा सिंगल डोर हो और हमेशा बिना किसी शोर के पूरी तरह से खुलता हो।
- बेडरूम में पूर्व या उत्तर की दिशा में स्थित दीवारें खिड़कियों के लिए उपयुक्त होती हैं।
- मास्टर बेडरूम का दक्षिण-पश्चिम कोना हमेशा भरा होना चाहिए।
- भारी अलमारी रखने के लिए मास्टर बेडरूम का दक्षिण-पश्चिम दिशा सबसे उपयुक्त है।
- शयनकक्ष में कभी भी तिजोरी को न रखें। यदि तिजोरी का बैडरूम में रखना अनिवार्य हो तो उसको कोनों और पूर्व और पश्चिम दिशाओं से दूर रखें। दक्षिण की दिशा की ओर रखी तिजोरी जो उत्तर दिशा की ओर खुलती है, बहुत शुभ होती है।
- ड्रेसिंग टेबल को उत्तर या पूर्व दिशा में रखें।
- यदि बैडरूम में बिस्तर के समक्ष कोई दर्पण है तो सुनिश्चित करें कि बेड पर सोते समय शरीर का कोई भी अंग दर्पण में दिखाई न दे, अन्यथा शरीर का वह भाग चिकित्सा समस्याओं का विकास करेगा।
- कृपया बेडरूम में टीवी, कंप्यूटर या लैपटॉप रखने से बचें। अतिआवश्यक होने पर बेडरूम के दक्षिण-पूर्व में टीवी, हीटर और अन्य बिजली के उपकरणों को रख सकते है।
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- एक सुंदर पेंटिंग को बैडरूम के मुख्य द्वार के ठीक सामने वाली दीवार पर लटकाएं ताकि बेडरूम में प्रवेश करने वाला इसे आसानी से देख सके।
- पौधे, मछली एक्वैरियम या किसी भी अन्य जीवन रूप का बेडरूम में होना सख्त मना हैं।
- पश्चिम की ओर स्थित बैडरूम बच्चों के लिए सबसे अच्छा है।
- पूर्व में स्थित बैडरूम का अविवाहित, बच्चे या मेहमान कोई भी उपयोग कर सकता हैं।
- दक्षिण-पश्चिम में स्थित बच्चों के बेडरूम में बिस्तर इस प्रकार बिछाएं ताकि बच्चे का सिर पूर्व या दक्षिण दिशा में हो।
- मुख्य भवन के दक्षिण-पूर्व दिशा में कोई भी शयनकक्ष नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे पति-पत्नी के बीच अनावश्यक झगड़े होते हैं।
- दक्षिण-पूर्व दिशा में स्थित बैडरूम से अयोग्य खर्च बढ़ता है।
- यदि कोई बेडरूम दक्षिण-पूर्व दिशा में स्थित है तो इसे एक कार्यालय या अविवाहित पुत्र के बेडरूम के रूप में उपयोग करें।
- उत्तर-पूर्व दिशा में कोई भी शयनकक्ष नहीं होना चाहिए क्योंकि यह देवताओं का स्थान है। यदि कोई बेडरूम इस दिशा में मौजूद है तो व्यक्ति को दुखों का सामना करना पड़ सकता है।
- यदि कोई विवाहित जोड़ा उत्तर-पूर्वी दिशा के बेडरूम में सोता है तो उसे लंबे समय तक बीमारियों का सामना करना पड़ता है।
- घर के केंद्र में किसी भी बेडरूम को नहीं बनवाना चाहिए।
- बेडरूम में हल्के गुलाबी, ग्रे, नीले, चॉकलेटी, हरे आदि रंगों का उपयोग करें।
- नवविवाहित जोड़े के सोने के कमरे में संगमरमर के पत्थरों (सफेद और पीले रंग) के उपयोग से दूर रहें।
- नकारात्मकता से बचाने के लिए बेडरूम के बाहर बगुआ स्थापित करें।
- बेडरूम में प्रवेश करते समय कोई रुकावट नहीं होनी चाहिए।
- बीम के ठीक नीचे बिस्तर नहीं डालना चाहिए।
- बेडरूम का आकार असमान नहीं होना चाहिए।
- बेडरूम के दरवाजे के सामने दर्पण नहीं होना चाहिए, यह सकारात्मक ऊर्जा का खंडन करता है।
- शयनकक्ष के कोने में खिड़कियां या प्रवेश द्वार नहीं होना चाहिए।
- बैडरूम में पूजा घर या पूजा स्थल को स्थापित नहीं करना चाहिए।
- शांति और समरूपता प्राप्त करने के लिए चौकोर और आयताकार आकार के बेड का चयन करना चाहिए।