घड़ी यानी वक्त की वक्ता। आपकी घड़ी केवल समय जानने मात्र का यंत्र नहीं है, अपितु यह समय को बनाने और बिगाड़ने में कार्यरत भी रहती है। अगर आपको लगता है कि आपके घर की दीवार घड़ी केवल घरेलू साज-सज्जा और समय देखने का माध्यम मात्र है तो आप गलत हैं। दरअसल वास्तुशास्त्र में यह वर्णित है कि घर या कार्यस्थल आदि में लगी दीवार घड़ी या फिर आपके दैनिक जीवन में प्रयोग आने वाली हाथों की घड़ियां, टेबल घड़ी आदि आप की ग्रह स्थिति, आप की दशा-दिशा व भाग्य पर सूक्ष्म प्रभाव डालती हैं। ऐसे में आपका यह जानना आवश्यक है कि किस दिशा में घड़ी का होना आपके लिए सकारात्मकता लाएगा और घड़ी से जुड़ी वो कौन सी बातें जो हम पर अपना दुष्प्रभाव डालती हैं। आइए जानते हैं।
धर्म ग्रंथों में मौजूद अनेकों शास्त्रों में वास्तु शास्त्र का अपना एक अलग ही महत्व है। एक ओर जहाँ इसके दोष व्यक्ति के जीवन में उथल-पुथल मचा सकते हैं, तो वहीं दूसरी तरफ इसके उपाय अचूक औषधि की तरह कार्यरत रहते हैं। घर या कार्यस्थल पर मौजूद घड़ी के संदर्भ में वास्तु शास्त्र का मानना है कि घर की पूर्व दिशा की दीवार पर घड़ी लगाना शुभ फलदाई रहता है। इसके अतिरिक्त पश्चिम, उत्तर तथा उत्तर-दक्षिण दिशा में भी घड़ी का होना आपके ग्रह गोचर एवं भाग्य हेतु सकारात्मक परिणाम देता है।
हर व्यक्ति अपने घर में खुशहाली चाहता है। अपने कार्य क्षेत्र में उन्नति की कामना रखता है। ऐसे में हमारे घर की घड़ी के दिशा का नकारात्मक प्रभाव अनेकानेक परेशानियों को लेकर आता है। इससे बचने हेतु वास्तुशास्त्रानुसार घर या ऑफिस की दक्षिण दिशा में कभी भूल कर भी घड़ी ना लगाएं। यह आपकी खुशियों के अंत का कारण बन सकता है। चूँकि वास्तु के अनुसार घर की दक्षिण दिशा यम की दिशा होती है जिसे मृत्यु का देवता माना जाता है, इस दिशा में समय यंत्र को समर्पित करना अपने पांव पर स्वयं ही कुल्हाड़ी मारने जैसा है। इसलिए भूल कर भी कभी दक्षिण दिशा में घड़ी ना लगाएं।
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इन्हें भी रखे ज्ञात