कहते हैं कि दिल की खुशियों का रास्ता पेट से होकर जाता है। यानी अगर आपका पेट खुश है तो आपके सभी कार्य ठीक होंगे और खुशहाली बरकरार रहेगी। तो क्यों ना हम पेट की खुशियों की कड़ी को मजबूत बनाएं।
नहीं समझे? दरअसल हम बात कर रहे हैं आपके घर की रसोई की। अगर आपके घर की रसोई शुद्ध, सकारात्मक, पवित्र व स्वच्छ होगी तो अवश्य ही आपका भोजन भी स्वच्छ एवं पवित्र होगा। आपकी रसोई में पका स्वास्थ्यवर्धक भोजन आपके शरीर के साथ-साथ मन को भी स्वस्थ रखेगा। इससे आपके सभी कार्य मनोनुकूल उचित तरीके से बनते जाएंगे।
पर क्या आपको अंदाजा भी है कि स्वच्छता व शुद्धता के अतिरिक्त कुछ ऐसे भी सूक्ष्म प्रभाव होते हैं जो आपके जीवन को प्रभावित कर सकते हैं? अगर नहीं, तो आज हम आपको कुछ ऐसे उपाय बतायेंगे जिसे आजमाकर आप अपनी रसोईघर को सूक्ष्म एवं स्थूल दोनों तरीके से शुद्ध व गुणवत्तापूर्ण बनाए रख सकते हैं।
वास्तु के माध्यम से आपको अपनी ऐसी छोटी-छोटी भूल का भी आभास होगा जो आपके जीवन पर बड़ा प्रभाव छोड़ती है। तो देर किस बात की आइए वास्तविकता से हम आपका परिचय करवाते हैं और आपको बताते हैं कुछ ऐसे अचूक वास्तु टिप्स जो आपकी रसोई के सभी दोषों को मुक्त करने में रामबाण सिद्ध होंगे।
रसोई की बनावट: सर्वप्रथम हमें रसोई की बनावट पर ध्यान देना चाहिए। आप अपने घर की बनावट के पूर्व किसी सिद्ध ज्योतिषी से वास्तु अनुसार घर के ढांचे को बनवाएं। आपको इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए कि घर के दक्षिण दिशा में गलती से भी रसोई का मुख्य द्वार ना पड़े। आपके रसोई घर की बनावट चौकोर होनी चाहिए, चारों ओर से खुला रहे।
गैस चूल्हे का स्थान: रसोईघर में चूल्हा, गैस आदि उत्तर, दक्षिण मुख में कदापि न रखें। माना जाता है उत्तर की दिशा कुबेर की दिशा होती है एवं कुबेर व अग्नि के बीच 36 का आंकड़ा होता है। इस कारण भूलकर भी रसोई घर के उत्तर दक्षिण दिशा की ओर अग्नि से संबंधित वस्तु ना रखें।
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किचन में रौशनी और विद्युतीय उपकरणों का महत्त्व: रसोई घर में प्रकाश के स्रोत लाइट, खिड़की आदि को सदैव उत्तर दिशा में स्थान देना चाहिए। वहीं इलेक्ट्रॉनिक खाद्य सामग्री निर्मित करने के प्रसाधनों जैसे इंडक्शन, माइक्रोवेव आदि को दक्षिण पूर्व की ओर स्थान दिया जाना चाहिए।
दीवारों का रंग: आपकी रसोई के दीवारों के रंगों का भी वास्तु में महत्व होता है। अतः रसोई की दीवारों पर नारंगी, गेरवा, पीला जैसे रंगों का इस्तेमाल करना चाहिए। ध्यान रखें, अपनी रसोई की दीवारों पर आसमानी रंग से पेंट ना करवाएं।
कूड़ेदान की जगह: रसोईघर में कामकाज के दौरान बचने वाले अपशिष्ट पदार्थों के लिए उत्तर पश्चिम दिशा में कूड़ेदान आदि की व्यवस्था रखनी चाहिए।
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बर्तनो का स्थान: आप अपनी रसोई घर में बड़े व भारी बर्तनों के साथ सिलबट्टा, मिक्सी आदि जैसी वस्तुओं को दक्षिण की ओर दीवार के पास रखें, जबकि पानी के कंटेनर फिल्टर, एक्वागार्ड आदि को रसोई घर के पूर्व उत्तर कोने में स्थान दें।
क्या होना चाहिए रसोई में पूजा स्थल? हमारे घर की रसोई काफी पवित्र एवं स्वच्छ स्थानों में गिनी जाती है। इस कारण कुछ लोग अपने घर की रसोई में पूजा स्थल निर्मित कर लेते हैं। किंतु वास्तु के दृष्टिकोण घर की रसोई में पूजन स्थल का होना उचित नहीं माना जाता है।
इस्तेमाल किये जाने वाले बर्तन: आधुनिकता के इस दौर में घर में अनेकानेक प्रकार के बर्तनों का प्रयोग भोजन पकाने में किया जाने लगा है किंतु अगर वास्तु की माने तो स्टील, एलुमिनियम एवं चांदी के बर्तनों में भोजन पकाना आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक दोनों दृष्टिकोण से बेहतर होता है।
स्नान कर करें रसोई में प्रवेश: कोशिश यह रखें कि आप अपनी रसोई में बिना स्नान किए प्रवेश ना करें। साथ ही अधिक समय तक झूठे बर्तन वह खाली बर्तन ना रखें। यह जीवन में अनेकानेक प्रकार के रोगों को आमंत्रित करने का कार्य करता है।
स्वच्छता: इन सभी उपायों में सर्वश्रेष्ठ एवं सबसे अधिक महत्वपूर्ण यह है कि आप अपनी रसोई घर की स्वच्छता का खास ख्याल रखें। घर के किसी भी कोने में खटमल, कीड़े आदि न पनपने दें। यह बीमारियों का घर बना सकता है। अतः घर की शुद्धता एवं स्वच्छता का खास ख्याल रखें। रसोई घर की नियमित तौर पर सफाई करें। साथ ही भोजन बनाने में प्रयुक्त वस्तुओं की शुद्धता का भी विशेष ख्याल रखें।
उपरोक्त उपायों को अपनाकर आप अपने घर की रसोई की शुद्धता एवं पवित्रता को बरकरार रख सकते हैं ताकि आपके घर में सभी स्वस्थ व सुखी संपन्न रहें।