आदिकाल से ही भारतवर्ष में धर्म और विज्ञान का अद्धभुत सार्थक समन्वय देखने को मिला है। आर्यवर्त के लिखित धरोहरों में इसकी परिचर्चा सर्वेत्र की गयी है। आध्यत्म और विज्ञान के समन्वय में वास्तु आध्यत्म का अहम भूभाग है जिसका सरोकार विज्ञान से है। तो आइये देखते है वास्तु और विज्ञान की एकत्रित चक्षु से ।
घर में प्रायः हमे दूसरों के उपयोग में लायी जाने वाली वस्तुओं के प्रयोग से बचने को कहा जाता है। ऐसा करने से टोकने वाले केवल घर के बड़े बुजुर्ग ही नही होते, अपितु शिक्षित युवा वर्ग भी होते है।
घर के वरिष्ठों के अनुसार
दूसरों की वस्तुओं का प्रयोग हमारे अंदर उस व्यक्ति की नकारात्मक ऊर्जाओं का प्रवाह करता है। किसी व्यक्ति के शुभ-अशुभ कर्मों का प्रभाव उसके द्वारा प्रयोग में लायी गयी वस्तुओं पर भी रहता है। अतः जब हम किसी की वस्तुओं का प्रयोग करते है तो उसके साथ उस व्यक्ति के ग्रह-गोचर का प्रभाव हम पर भी पड़ता है। इसलिए हमें किसी के प्रयोग में लायी जाने वाले पदार्थो के उपभोग से बचना चाहिए।
शिक्षित युवाओं के मनोभाव
वर्तमान के शिक्षित युवाओं के अनुसार दूसरों के वस्तुओं के प्रयोग से हमारे अंदर संक्रमण के माध्यम से सूक्ष्म जीवाणु आदि प्रवेश करते है, जिससे हमारे स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है। सर्दी-जुकाम आदि हो सकते हैं।
वैज्ञानिकों के मतों के अनुसार
विज्ञान के अनुसार इसका संबंध ऊर्जा और स्वास्थ्य से है। हमें दूसरें की वस्तुएँ जैसे रुमाल, बिस्तर,कपड़े आदि जैसी चीजें हाइजिन के कारण उपयोग नहीं करना चाहिए। एक दूसरे का समान उपयोग करने से बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ऐसा करने शारारिक एवं मानसिक ऊर्जाओं का भी स्थानांतरण होता है।
वास्तुशास्त्र
वास्तुशास्त्र के अनुसार हमे अपने दैनिक जीवन में दुसरो के कुछ खास वस्तुओं के साँझा प्रयोग से विशेष रूप से बचना चाहिए। चूंकि ऐसा करने से उस इंसान की सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा भी वस्तु के साथ हम तक पहुंचती है। नकारात्मक ऊर्जा की वजह से हमारे व्यक्तित्व पर गलत असर पड़ने लगता है। ऐसी ही कुछ वस्तुएँ है
दूसरों का रुमाल इस्तेमाल करना
वास्तु के अनुसार अगर आप किसी दुसरे व्यक्ति के रुमाल का इस्तेमाल करते हैं, तो उस इंसान से आपका मनमुटाव हो सकता है। इसलिए हमें किसी दूसरे के द्वारा इस्तेमाल में लिए जाने वाले रुमाल का उपयोग नहीं करना चाहिए। वहीं विज्ञान के अनुसार रुमाल में शारीरिक बैक्टेरिया होने की सम्भावना ज्यादा होती है जिनकी वजह से सर्दी-जुकाम आदि फ़ैलाने वाले रोगाणु आसानी से फैल सकते हैं।
ये भी पढ़ें:-
दूसरों की घड़ी पहनना
वास्तु के अनुसार दुसरे व्यक्ति की घड़ी पहनने से भी सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार की ऊर्जाओं का हमारे ऊपर प्रभाव पड़ता है। हमारे अच्छे-बुरे वक्त पर साँझा असर होने लग जाता है। इसलिए हो सके तो कभी भी दूसरों द्वारा इस्तेमाल में ली जा रही घड़ी नहीं पहननी चाहिए। वहीं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से घड़ी पर सूखे एवं जमा हाथो के पसीने आदि से चर्मरोग आदि जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
दूसरों द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे वस्त्रों को प्रयोग में लाना
किसी के वस्त्र अपने साथ कईं सकारात्मक एवं नकारात्मक ऊर्जाओं को साथ रखते हैं। प्रायः ये ऊर्जाएं व्यक्ति पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं, वहीं वैज्ञानिक मतानुसार किसी दुसरे के कपड़ो को पहनने से शरीर के ऊपरी सतह के सूक्ष्मजीवों का स्थानांतरण होता है, जो एलर्जी अथवा स्किन संबंधी परेशानी उत्पन्न कर सकता है।
बिस्तर का प्रयोग
अगर आप किसी अन्य व्यक्ति से बिस्तर अथवा पलंग पर सोते हैं तो इससे भी वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है। यह दोष आपके ग्रह-गोचर पर प्रभाव डालता है। विज्ञानं की दृष्टि में ऐसा करना हमारे स्वास्थ्य के लिए उचित नहीं है। ऐसा करने से एक के शारीरिक कष्टों एवं रोग आदि का दूसरे पर प्रभाव पड़ सकता है।
कलम
किसी भी व्यक्ति का कलम उसके मस्तिष्क का प्रखर एवं व्यख्यात्मक स्वरुप होता है, जो उसके मानसिक प्रगाढ़ता का परिचायक होता है। यह सकारात्मक एवं नकारात्मक वैचारिक प्रवाह से भी जुड़ा होता है। अतः दुसरो के कलम के प्रयोग अथवा अपने कलम की साझेदारी से बचें।