अगर आप स्वस्थ हैं, तो जान लीजिए कि आप ही सबसे मस्त है। माना जाता है स्वास्थ्य ही सर्वोत्तम धन है, इसीलिए हम खुद को स्वस्थ एवं हष्ट पुष्ट रखने के लिए क्या कुछ नहीं करते हैं। व्यायाम, क्रीड़ा, स्वास्थ्यवर्धक भोजन, आराम आदि-आदि। वहीं जब हमारा स्वास्थ्य बिगड़ जाता है तो इसे सुधारने हेतु भी हम अनेकानेक तौर-तरीके के उपचार करते रहते हैं।
हम अपने स्वास्थ्य को उत्तम रखने हेतु होम्योपैथी, एलोपैथी, पंचकर्म, आयुर्वेद आदि सबका सहारा लेते हैं क्योंकि हमें लगता है कि हमारे स्वास्थ्य की बिगड़ती स्थिति का जिम्मेदार केवल हमारे खान-पान का तौर तरीका व दैनिक दिनचर्या की बिगड़ी हुई स्थिति है। पर यकीन मानिए हमारे क्रियाकलापों के अतिरिक्त कई बार ज्योतिषीय गतिविधियां भी आपके स्वास्थ्य एवं जीवन पर दुष्प्रभाव डालती हैं।
कई बार तो हमारी छोटी-छोटी गलतियां, हमारी भूल चूक आदि हमारी स्थिति हेतु जिम्मेदार हो जाती हैं और हमें इनका भान तक नहीं होता। इन्हीं भूल-चूक एवं ज्योतिष परिणामों को आपके अनुकूल बनाने के लिए आज हम आपको कुछ ऐसे वास्तु उपाय बताएंगे जिन्हे आप अपनी आदतों से लेकर आसपास के परिवेश में छोटे-मोटे परिवर्तन कर अपना सकते हैं। ऐसा करना आपके बेवजह बिगड़ रहे स्वास्थ्य की स्थिति को बेहतर बनाने हेतु मददगार सिद्ध हो सकता है।
तो फिर देर किस बात की है, आइये जानते है कुछ ऐसे वास्तु टिप्स।
सोने की सर्वोत्तम दिशा
विज्ञान से लेकर वास्तु तक उत्तम स्वास्थ्य हेतु बेहतरीन नींद को रोग से पूर्व अपनाया जाने वाला उत्तम उपचार मानते हैं। वहीं वास्तु के अनुसार हमें रात को सोने के समय अपने सिर को दक्षिण की ओर और अपने पैरों को उत्तर दिशा की ओर करके सोना चाहिए। वास्तु शास्त्र में यह सोने हेतु सर्वोत्तम दिशा मानी जाती है। इस दिशा अनुसार सोने से अनिद्रा, मानसिक तनाव आदि जैसी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है। दिशा की इस धारणा को वास्तु में आग्नेय कोण कहा जाता है।
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प्रातःकाल का सरल उपाय
प्रातःकाल चेष्टा करें कि आप ब्रह्म मुहूर्त में उठें एवं सर्वप्रथम अपने कर्म योद्धा अपने हाथों का दर्शन करें एवं अपने इष्ट को याद कर दिन के उत्तम व्यतीत होने एवं स्वयं को कर्मशील बनाए रखने हेतु प्रार्थना करें। तत्पश्चात धरती माता को छूकर प्रणाम करें। फिर कुछ देर सूर्य की किरणों का लुफ्त उठाएं। प्रातः काल में सूर्य की किरणे स्वर्णिम करके हमें स्वर्ण के समान पुलकित एवं चमकदार बनाने का कार्य करती है।
घर में सीढ़ियों का स्थान
आपके घर की सीढ़ियां केवल आपको घर की छत तक ही पहुंचाने का कार्य नहीं करती, अपितु इसका प्रभाव आपके जीवन एवं स्वास्थ्य, लक्ष्य आदि के मंजिलों तक भी जाता है। अतः अपने घर की बनावट अनुसार घर के मुख्य द्वार के बिल्कुल सामने सीढ़ियां ना बनवाएं। अगर घर की मरम्मत करना और सीढ़ियों के स्थान में परिवर्तन करना संभव ना हो तो आप घर के मुख्य द्वार एवं सीढ़ियों के बीच एक बड़ा पर्दा लगा दें ताकि वास्तु का दुष्प्रभाव आपके जीवन पर न पड़े। यह आपकी सेहत को प्रभावित करता है।
हवादार बैडरूम
आप इन बातों पर भी ध्यान दें कि कहीं आपका शयनकक्ष दिनभर बंद तो नहीं रहता। अगर ऐसा है तो आप अपने बेडरूम की खिड़कियां, दरवाजे आदि खुला रखना आरंभ कर दें ताकि सकारात्मकता एवं बाहरी प्राकृतिक हवा आपके कमरे में प्रवेश कर वातावरण की शुद्धता को बनाए रखें। अपने घर के मध्य भाग को अधिक से अधिक खाली रखें ताकि सकारात्मक परिवेश पनपने में समस्या ना उत्पन्न हो।
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घर का मध्य भाग
वास्तु के अनुसार घर के मध्य भाग में रेड क्रिस्टल का रखा जाना अत्यंत ही शुभकारी माना जाता है। यह हमारे स्वास्थ्य, अर्थ, सुख, शांति व समृद्धि हेतु अत्यंत ही गुणकारी माना जाता है। अतः आप इसे भी अपना सकते हैं।
घर की रसोई से जुड़ा उपाय
आपके घर का किचन आपके घर के सभी सदस्यों को स्वास्थ्य से लेकर बीमारी तक परोसने का कार्य करता है। अतः अपने घर में किचन के पास बाथरूम आदि बिल्कुल ना बनवाएं। किचन के पास बाथरूम का होना अनेकानेक रोग एवं संकट व महामारी आदि को न्योता देता है।
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घर का मुख्य द्वार
घर का मुख्य द्वार सभी सुख-दुख, परेशानी, खुशियों आदि का प्रवेश पुंज माना जाता है। अतः आप अपने घर के मुख्य द्वार को शुभ संकेतों से फलीभूत रखें ताकि बुराइयां व दुष्प्रभाव आदि प्रवेश करने ना कर पाए। इसके लिए आप अपने घर पर के मुख्य द्वार पर नियमित स्वास्तिक का निर्माण करें। साथ ही मुख्य द्वार के आसपास तुलसी आदि जैसे पवित्र आयुर्वेदिक एवं आध्यात्मिक पौधे रोपण करें।
उपरोक्त कुछ उपायों को अपनाकर आप अपने स्वास्थ्य के प्रति वास्तु के दृष्टिकोण से एहतियात बरत सकते हैं। वास्तु के लिए कुछ उपाय करना ही आपके स्वास्थ्य सुधार में कारगर सिद्ध हो सकता है।