सुख एवं सफलता प्राप्ति के कुछ सरल वास्तु उपाय

Vastu Tips for Success and Happiness

कहते हैं, जिंदगी जंग एक है और हमें इस जंग से बस लड़ते जाना है। हम शिद्दत से इस जंग से लड़ने की कोशिश में डटे रहते हैं जिसमें कुछ लोग हर मुकाम पर सफलता के कदम चुमते हुए आगे निकल जाते हैं तो कुछ शक्ति से चुनौतियों का सामना नहीं कर पाते हैं।

इसके परिणाम भले ही अलग-अलग होते हो पर उद्देश्य हमेशा समान होता है। हर किसी के संघर्ष की बुनियाद सफलता की प्राप्ति और सुख के भोग पर ही टिकी होती है, बेशक जीतने में जीवन में सफलता प्राप्ति के लिए हर परिस्थितियों से लड़ना आवश्यक होता है।

इसके अतिरिक्त भी सृष्टि में निरन्तर एक और विज्ञान का क्रम चलता रहता है जो सूक्ष्म रूप से हमारे सफलता एवं सुख के लिए चहुँओर विद्यमान रहता है। इस भौतिकवादी जगत में ऐसा विज्ञान है- अध्यात्म, ज्योतिष आदि।

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कई बार अनेकानेक जतन  के बावजूद भी हमें बार-बार असफलता का सामना करना पड़ता है। ऐसे में आवश्यक है कि हम आत्मविश्वासी बनें और हृदय से सूक्ष्म सत्ता को आत्मसात कर आगे बढ़ते जाएं। इसके लिए हमें बहुत अधिक मेहनत करने की आवश्यकता नहीं है। कुछ छोटी-छोटी क्रियाकलापों को अपने जीवन का हिस्सा बनाकर हम देवीय आशीष को साथ लिए सफलता की बुलंदियों को छू सुख की प्राप्ति कर सकते हैं। इसके लिए हमें अपने दैनिक जीवन में कुछ अमूलभूत परिवर्तन करने की आवश्यकता है। आइए जानते हैं क्या हो सकते हैं वे परिवर्तन-

कामयाबी एवं सुख पाने के उपाय

  • नित्य प्रतिदिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में जागें एवं बिस्तर से उठते ही दोनों पैर एक साथ जमीन पर रखें और अपने हाथों का दर्शन करते हुए अपने इष्ट देव को याद करें और नमन करें।
  • तत्पश्चात आप अपने घर के बड़े बुजुर्गों का आशीष ग्रहण कर भगवान सूर्य की लालिमा युक्त छवि का दर्शन करें।
  • उगते हुए भगवान सूर्य की पहली दर्शन के साथ गायत्री मंत्र का स्पष्ट एवं जोर से उच्चारण करने से घर के वास्तु दोष समाप्त होते हैं।
  • कोशिश करें कि घर के सभी जन ब्रह्म मुहूर्त में नित्य कर्म आदि से निवृत हो कर स्नान पश्चात अपने इष्ट की साथ पूजा-अर्चना करें। अगर आप ब्रह्म मुहूर्त में करने में असमर्थ हैं, तो प्रतिदिन सुबह 7:00 से 8:00 बजे के बीच की काल अवधि में अवश्य ही पूजन कर्म संपन्न कर लें।
  • आप अपने स्नानघर को कभी भी गंदा ना छोड़े, इससे घर में वास्तु दोष उत्पन्न होता है।
  • नित्य प्रतिदिन सुबह-सुबह पक्षियों को दाना अवश्य डालें, इससे घर में समृद्धि आती है।
  • घर में भोजन बनने के पश्चात गाय और कुत्ते के लिए भोजन निकालना ना भूलें।
  • भोजन बनने के पश्चात भोजन की पाँच आहुतियां चूल्हें अथवा गैस पर अवश्य करें। इसे हिंदू धर्म में बलिवैश्व की प्रक्रिया कहते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान गायत्री मंत्र का जाप अथवा महामृत्युंजय मंत्र का जप करना अधिक फलदाई होता है।
  • किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करने के पूर्व तिथि व मुहूर्त अवश्य देख लें। राहुकाल में भूलकर भी किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत ना करें अन्यथा सफलता की जगह संकट उत्पन्न होने की संभावना रहेगी।
  • घर की दशा-दिशा की शुद्धता एवं वास्तु दोष के निवारण हेतु हर शनिवार एवं अमावस्या तिथि को घर के हर एक कोने की सफाई करें। कूड़ा, कचरा आदि कहीं भी ना रहने दें, कबाड़ आदि को बाहर निकाल दें व जूते चप्पलों का दान भी करें।
  • घर में जहां एकतरफ पूजा-पाठ समृद्धि लाता है तो वहीं दूसरी तरफ जप-तप आदि आध्यात्मिक एवं सकारात्मक वातावरण उत्पन्न करता है। अतः घर में निरन्तर जप-तप  का होना अत्यंत आवश्यक है। इसलिए घर के सभी जन अपने इष्ट देव का नियमित तौर पर जप करें।
  • बुधवार के दिन निवेश करने से बचें। बुधवार के दिन किसी को उधार आदि भी न दें अन्यथा उधार वापस नहीं प्राप्त होगा।
  • घर में तुलसी का पौधा अवश्य ही लगाएं। तुलसी का पौधा सुख-समृद्धि का प्रतीक होता है। तुलसी की हरियाली आपकी घर में खुशहाली लाती हैं।
  • श्री सूक्त का पाठ करना घर में आर्थिक समृद्धि लाता है जिससे आर्थिक स्तिथि शीघ्र ही बेहतरीन हो जाती है।
  • कोशिश करें कि हर पूर्णिमा तिथि को घर में हवन, यज्ञ आदि करवाएं। इससे घर में सुख-समृद्धि बरकरार रहती है एवं सकारात्मकता निरंतर बढ़ती रहती है।
  • अपनी कुंडली को किसी सिद्ध ज्योतिषी से दिखाएं। तत्पश्चात अपने-अपने लग्न स्वामी ग्रह के रंग की किसी वस्तु को सदैव अपने साथ रखें। आपका भाग्य पक्ष मजबूत बना रहेगा।
  • संभव हो तो अपनी भांजी एवं भतीजियों को निरंतर कोई ना कोई उपहार आदि देते रहें। किसी बुधवार को बुआ को भी वस्त्र आदि उपहार स्वरूप दें। इससे आपके घर पर देवियों की कृपा निरंतर बनी रहेगी एवं घर के कलह-क्लेश समाप्त होंगे।
  • स्फटिक का श्रीयंत्र, पारद शिवलिंग, श्वेतार्क गणपति और दक्षिणावर्त शंख को अपने मकान अथवा व्यवसाय क्षेत्र, दुकान आदि में स्थापित कर पूजा अर्चना करें। इससे घर धन-धान्य आदि से संपन्न रहेगा।
  • अपनी क्षमता अनुसार अन्न, वस्त्र, तेल, कंबल, अध्ययन सामग्री आदि का जरूरतमंदों में दान करें। दान करने के बाद उसका उल्लेख न करें।