Mangal Grah Dosh Shanti Puja (Pauranik Vidhi)

मंगल ग्रह शांति पूजा (पौराणिक विधि, 10000 मंत्र जाप व हवन सहित)

जब कुंडली में मंगल अशुभ स्थान पर स्तिथ होता है, तो यह जातक पर बुरे प्रभाव दर्शाता है। मंगल ग्रह शांति जाप द्वारा मंगल ग्रह दोष के सभी दुष्प्रभावों को दूर किया जा सकता है।

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एस्ट्रोकाका द्वारा निर्धारित पुरोहितों द्वारा मंगल ग्रह दोष शांति हेतु पूजा करवाएं। इस पूजन में पौराणिक विधि द्वारा मंगल ग्रह के मंत्र "ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:' का 10000 जाप होता है।

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विशेषताएं:-

  • मन में इच्छा शक्ति बढ़ती है, साथ ही साहस प्राप्त होता है।
  • आलस्य से छुटकारा पाने और ऊर्जा प्राप्त करने के लिए
  • मंगल दोष से उत्पन्न दुष्प्रभावों से मुक्ति पाने के लिए
  • मंगलवार के दिन या जन्म नक्षत्र के अनुसार शुभ तिथि पर संपन्न किया जाने वाला अनुष्ठान
  • मुख्य देवता: मंगल

क्या होते हैं पौराणिक विधि द्वारा कराई गई मंगल ग्रह शांति पूजा के शुभकारी नतीजे?

  • मंगल ग्रह दोष से होने वाली समस्याओं से मुक्ति मिलती है
  • सुखमय वैवाहिक जीवन प्रदान करता है
  • विवाह में आ रहे विलम्ब को दूर करता है
  • उधार में लिया हुआ धन जल्दी उतरता है
  • संतान प्राप्ति में आ रही रुकावट को दूर करता है
  • रक्त सम्बंधित रोगों को दूर करता है

मंगल ग्रह दोष शांति हेतु मंगल ग्रह शांति का जाप किया जाता है। कुजा दोष और अंगारक दोष, ये मंगल दोष के अलग-अलग नाम हैं। यदि मंगल ग्रह किसी जातक की कुंडली के 1, 4थे, 7वें, 8वें और 12वें घर में स्तिथ है तो यह मांगलिक दोष का कारण बनता है। यह ग्रह मांसपेशियों, अस्थि, मज्जा और रक्त आदि पर शासन करता है। यदि कुंडली में मंगल दोष उपस्थित होता है, तो यह व्यक्ति के शरीर में रक्त के थक्के जमने और रक्त से संबंधित कई समस्याओं का कारण बनता है।

कब करवाएं मंगल ग्रह शांति जाप?

यह जाप मंगलवार के दिन अथवा जातक के जन्म नक्षत्र के अनुसार किसी भी शुभ तिथि को किया जा सकता है।

कैसे संपन्न होती है पौराणिक मंगल ग्रह दोष निवारण पूजा?

  • सबसे पहले श्री गणेश-गौरी जी की आराधना की जाती है, फिर ओमकार देवता, स्वस्तिक, श्री लक्ष्मी माता, श्री ब्रह्मा, विष्णु, महेश, षोडशमातृका, सप्त घृत मातृका, सर्प देवता, क्षेत्रपाल, दस दिक्पाल, वास्तु पुरुष, चतुःषष्टि योगिनी आदि का एक के बाद एक की पूजा संपन्न होती है। फिर कलश पूजन होता है जिसके बाद नवग्रह पूजा संपन्न होती है।
  • नवग्रह की पूजा के बाद मंगल ग्रह का पूजन होता है।
  • इन सभी पूजाओं के पश्चात् मंगल दोष शांति हेतु "ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:' मंत्र का 10000 जाप अनुभवी ब्राह्मणों द्वारा पूरी श्रद्धा भाव और निष्ठापूर्वक पूर्ण होता है।

मन्त्रोजाप के बाद मंगल ग्रह हेतु दशांश हवन संपन्न होगा, जिसके बाद विधि-विधान द्वारा जातक द्वारा संकल्प धारण करवाया जायेगा।

पूजन कालावधि:-

  • 1 दिन (2 ब्राह्मणों द्वारा)

ध्यान दें:- मंगल ग्रह की इस पौराणिक पूजन विधि में हवन सामग्री एवं ब्राह्मण दक्षिणा का खर्च सम्मिलित हैं। फल, फूल एवं मिष्ठान का प्रबंध पूजा करवाने वाले जातक को करना होगा। दिए गए व्यय में एस्ट्रोकाका निर्धारित मंदिर में पूजन संपन्न होगा। आपके घर या चुने हुए स्थान पर पूजन करवाने हेतु व्यय में आने-जाने का व्यय जुड़ जायेगा जो कि अलग से देय होगा। आपके द्वारा चुने हुए स्थान पर पूजन की सुविधा अभी केवल दिल्ली एनसीआर में ही उपलब्ध है।

एस्ट्रोकाका द्वारा ही क्यों करवाएं पौराणिक विधि द्वारा मंगल शांति हेतु अनुष्ठान?

  • वैदिक पाठशाला प्रमाणित और अनुभवी पुजारी / विद्वान
  • सभी अनुष्ठान वैदिक मानकों और प्रक्रियाओं का पालन करते हुए किये जाते हैं।
  • सुखद पूजा अनुभव सुनिश्चित करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री का उपयोग।
  • समय की पाबंदी और प्रामाणिकता की गारंटी।
  • पेशेवर मार्गदर्शन और समर्थन।